
देहरादून, 3 सितंबर 2025: उत्तराखंड में आई आपदा के बीच दून विश्वविद्यालय ने राहत और पुनर्वास कार्यों को मजबूती देने के लिए सराहनीय पहल की है। बुधवार को विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री आवास में शिष्टाचार भेंट की और इस दौरान विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों का एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में भेंट किया।
मुख्यमंत्री ने इस योगदान को एक प्रेरणादायी कदम बताते हुए कहा कि यह न केवल आपदा प्रभावित लोगों के लिए सहारा बनेगा, बल्कि राज्य के शैक्षणिक संस्थानों की सामाजिक जिम्मेदारी और संवेदनशीलता को भी उजागर करता है।
सामूहिक सहयोग की मिसाल
मुख्यमंत्री धामी ने दून विश्वविद्यालय के इस योगदान की सराहना करते हुए कहा,
“आपदा की इस घड़ी में दून विश्वविद्यालय का यह कदम एक मिसाल है। इससे अन्य शैक्षणिक, सामाजिक और निजी संस्थान भी प्रेरित होंगे और आपदा राहत कार्यों में सहयोग देंगे।”
उन्होंने कुलपति प्रो. डंगवाल और विश्वविद्यालय परिवार का आभार व्यक्त करते हुए भरोसा जताया कि इस प्रकार की सामूहिक भागीदारी से राहत और पुनर्वास कार्य और अधिक प्रभावी ढंग से संपन्न होंगे।
सरकार की प्राथमिकता: त्वरित राहत और पुनर्वास
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित राहत और पुनर्वास कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। सरकार की टीम लगातार प्रभावित इलाकों में कार्यरत है और जन सहयोग से इन प्रयासों को और मजबूती मिलेगी।
उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में सरकारी मशीनरी के साथ-साथ सामाजिक संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और स्थानीय समुदायों की भूमिका भी बेहद अहम है।
शिक्षा जगत की सामाजिक भूमिका
दून विश्वविद्यालय का यह योगदान राज्य के शिक्षा जगत के लिए भी एक नई दिशा तय करता है। आमतौर पर विश्वविद्यालय और संस्थान अपनी शैक्षणिक गतिविधियों तक सीमित रहते हैं, लेकिन इस कदम से यह संदेश गया है कि शैक्षणिक संस्थान केवल ज्ञान के केंद्र नहीं, बल्कि समाजिक जिम्मेदारी निभाने वाले स्तंभ भी हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब विश्वविद्यालय और कॉलेज इस प्रकार राहत कार्यों में सहभागी बनते हैं, तो छात्र-छात्राओं में भी सेवा, संवेदनशीलता और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना मजबूत होती है।
आपदा प्रभावित क्षेत्रों में चुनौतियां
राज्य के कई हिस्सों में हालिया आपदा ने जनजीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
- सड़कों, पुलों और मकानों को भारी नुकसान हुआ है।
- हजारों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है।
- सरकार द्वारा राहत शिविर, भोजन, चिकित्सा और पुनर्वास की व्यवस्था की जा रही है।
ऐसे समय में दून विश्वविद्यालय का योगदान प्रभावित परिवारों के लिए संबल साबित होगा।
अन्य संस्थानों के लिए प्रेरणा
मुख्यमंत्री धामी ने उम्मीद जताई कि दून विश्वविद्यालय की इस पहल से राज्य के अन्य संस्थान, निजी कंपनियां और समाजसेवी संगठन भी आगे आएंगे। आपदा प्रबंधन और राहत कार्य केवल सरकार के भरोसे नहीं छोड़े जा सकते, बल्कि इसमें जन-भागीदारी से ही सफलता मिलती है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश का हर नागरिक यदि अपनी सामर्थ्य के अनुसार सहयोग करता है तो आपदा पीड़ितों को तेजी से राहत और पुनर्वास मिल सकता है।
दून विश्वविद्यालय द्वारा मुख्यमंत्री राहत कोष में एक दिन का वेतन दान करना न केवल आपदा पीड़ितों के लिए राहत का बड़ा कदम है, बल्कि यह पूरे राज्य के लिए एक सकारात्मक और प्रेरक संदेश भी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की बातों में साफ झलकता है कि सरकार जनसहयोग को आपदा प्रबंधन का महत्वपूर्ण आधार मानती है। आने वाले दिनों में यदि अन्य संस्थान भी इसी प्रकार आगे आते हैं तो उत्तराखंड न केवल आपदा से उबर पाएगा बल्कि एक सशक्त और संवेदनशील समाज का निर्माण भी होगा।