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Uttarakhand: गैरसैंण विधानसभा में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान की शुरुआत

मुख्यमंत्री धामी और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने किया पौधारोपण, जनता से भी जुड़ने की अपील

भराड़ीसैंण (गैरसैंण), बुधवार। गैरसैंण (भराड़ीसैंण) में बुधवार को एक अनूठा अभियान शुरू हुआ, जिसका नाम है – “एक पेड़ माँ के नाम”। इस अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने पौधा रोपण कर की। इसके साथ ही यह संदेश दिया गया कि हर नागरिक अपने जीवन में कम से कम एक पौधा अपनी माँ के नाम पर जरूर लगाए, ताकि मातृत्व के सम्मान के साथ-साथ प्रकृति की रक्षा का संकल्प भी मजबूत हो।

मंत्रियों और अधिकारियों ने भी लगाया पौधा

इस अवसर पर राज्य के कई कैबिनेट मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भागीदारी निभाई। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, रेखा आर्या और सौरभ बहुगुणा ने भी पौधारोपण कर इस अभियान को समर्थन दिया।
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, अपर मुख्य सचिव आर.के. सुधांशु, डीजीपी दीपम सेठ और प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) समीर सिन्हा ने भी पौधे लगाए। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की इस भागीदारी ने यह स्पष्ट किया कि अभियान केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक जन-आंदोलन के रूप में लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री का आह्वान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे अपने जीवन में कम से कम एक पौधा जरूर लगाएँ। उन्होंने कहा कि यह अभियान केवल पौधारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण, जलवायु संतुलन और आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य देने का एक सशक्त माध्यम है।

सीएम धामी ने कहा – “हमारे पूर्वजों ने जंगलों को बचाया, नदियों को संरक्षित किया और प्रकृति को पूजा। आज हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस परंपरा को आगे बढ़ाएँ और धरती को हरा-भरा रखें। एक पेड़ माँ के नाम अभियान इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”

अभियान का महत्व

विशेषज्ञों के अनुसार यह अभियान न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक जुड़ाव के लिहाज से भी बेहद खास है। हर नागरिक जब अपनी माँ के नाम पर पौधा लगाएगा तो उस पौधे से उसका भावनात्मक रिश्ता बनेगा। इससे पेड़ों की देखभाल और संरक्षण की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी।

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे को देखते हुए यह पहल बेहद सार्थक मानी जा रही है। पौधारोपण के जरिए राज्य में ग्रीन कवर बढ़ाने और ऑक्सीजन की उपलब्धता बनाए रखने में मदद मिलेगी।

महिलाओं और युवाओं की भागीदारी पर जोर

अभियान का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं को जोड़ने की योजना है। सरकार का मानना है कि यदि गांव-गांव की महिलाएँ और स्कूली-काॅलेज के युवा इसमें सक्रिय रूप से शामिल हों तो यह आंदोलन बड़े पैमाने पर सफल हो सकता है।

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने कहा कि पेड़ हमारे जीवन का आधार हैं। “माँ धरती और माँ प्रकृति को बचाना ही हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। जब हर बच्चा और हर परिवार एक पौधे को माँ का आशीर्वाद समझकर सींचेगा, तब यह आंदोलन सही मायनों में सफल होगा।”

जनभागीदारी ही सफलता की कुंजी

कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों ने भी यह स्वीकार किया कि पर्यावरणीय अभियानों की सफलता केवल सरकार के प्रयासों से संभव नहीं है। इसके लिए जनभागीदारी अनिवार्य है। जब तक हर व्यक्ति अपने स्तर पर पौधा लगाएगा और उसकी देखभाल करेगा, तब तक अभियान का सही असर नहीं दिखेगा।

गैरसैंण से शुरू हुआ “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान अब पूरे प्रदेश में फैलने जा रहा है। मुख्यमंत्री धामी की अपील और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से यह स्पष्ट है कि सरकार इसे व्यापक स्तर पर लागू करने के लिए गंभीर है। आने वाले दिनों में यह अभियान उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए पर्यावरण संरक्षण का आदर्श मॉडल साबित हो सकता है।

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