
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, पाकिस्तान की भूमिका पर गहरा सवाल खड़ा होता जा रहा है। इस हमले में मारे गए आतंकियों के पास से बरामद अमेरिकी हथियार, गोला-बारूद और हाई-टेक डिजिटल उपकरणों के साथ अब एक अहम संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट भी पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
UN रिपोर्ट में खुलासा: लश्कर-TRF के बीच करीबी संबंध
हाल ही में प्रकाशित एक यूएन रिपोर्ट में लश्कर-ए-तैयबा और ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) के बीच करीबी रिश्तों की पुष्टि की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, TRF की गतिविधियों के पीछे सीधे तौर पर लश्कर का समर्थन और ट्रेनिंग शामिल है। ऐसे में पहलगाम हमले में TRF की संलिप्तता की पुष्टि लश्कर और अंततः पाकिस्तान की भूमिका पर भी संदेह की सुई घुमा रही है।
एनआईए ने जांच तेज की, डिजिटल और बैलिस्टिक साक्ष्य कब्जे में लिए जाएंगे
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) इस हमले की जांच कर रही है और अब आतंकियों से बरामद हथियारों, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज और अन्य वस्तुओं को अपने कब्जे में लेने की तैयारी में है।
सूत्रों के मुताबिक, NIA सुरक्षाबलों से:
- हथियारों की बैलेस्टिक रिपोर्ट
- मोबाइल और डिजिटल डिवाइसेज
- डाटा लॉग्स, चैट हिस्ट्री, क्लाउड एक्सेस
- लोकेशन और नेटवर्क एनालिसिस रिपोर्ट
जांच के लिए लेगी, जिससे हमले की योजना, नियंत्रण और विदेशी कनेक्शन को लेकर कई परतें खुल सकती हैं।
क्या-क्या मिला आतंकियों से:
हमले के बाद तीन आतंकियों को मार गिराया गया और उनके पास से निम्न सामग्री बरामद हुई:
- 2 AK-47 राइफल
- 1 M4 अमेरिकन मेड कार्बाइन
- 10 खाली AK मैगज़ीन, 371 M4 कार्बाइन कारतूस
- 3 हैंड ग्रेनेड
- स्विस मिलिट्री पॉवर बैंक, गोप्रो हार्नेस, मोबाइल चार्जर, सोलर चार्जर
- दो आधार कार्ड (अलग-अलग नामों पर), 3000 रुपये नकद
- दवाएं, नेल कटर, सिगरेट लाइटर, सुई-धागा
इलेक्ट्रॉनिक सबूत खोल सकते हैं पूरी साजिश का राज
सूत्रों का मानना है कि बरामद मोबाइल फोन, पेन ड्राइव और अन्य डिजिटल डिवाइस की फॉरेंसिक जांच में यह सामने आ सकता है कि:
- हमले की योजना कहाँ बनी
- किसने आतंकियों को निर्देश दिए
- पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी की कोई भूमिका थी या नहीं
- और TRF को किस तरह से लॉजिस्टिक/तकनीकी सपोर्ट मिला
गिरफ्तार आरोपियों से NIA को अहम सुराग
हमले में दो स्थानीय मददगार — बशीर अहमद और परवेज अहमद को भी गिरफ्तार किया गया है। जांच में पता चला है कि इन्होंने मारे गए आतंकियों को अपने घर में ठहराया था और स्थानीय सपोर्ट उपलब्ध कराया था।
पाकिस्तान भले ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर “घुसपैठ न करने” का दावा करता हो, लेकिन जमीन पर मिले साक्ष्य और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स इसके दावों को उल्टा साबित कर रही हैं। पहलगाम हमले की यह जांच पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर एक बार फिर कठघरे में ला सकती है।