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टिहरी बांध विस्थापन पुनर्वास घोटाला: भूखंड आवंटन में गड़बड़ी पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी, सीबीसीआईडी जांच की सिफारिश

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देहरादून, 26 जुलाई 2025: टिहरी बांध परियोजना से जुड़े विस्थापितों के पुनर्वास में जमीन आवंटन के नाम पर हुए घोटाले को लेकर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपना लिया है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने मामले की गहनता को देखते हुए सीबीसीआईडी जांच की संस्तुति उत्तराखंड शासन को भेज दी है। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन अब इस प्रकरण में संलिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों पर आपराधिक कार्यवाही के तहत जेल भेजने की तैयारी में है।

जिला प्रशासन के अनुसार, जनसुनवाई (जन दर्शन) के दौरान बड़ी संख्या में विस्थापितों ने शिकायत की कि पुनर्वास विभाग द्वारा उन्हें आवंटित की गई भूमि या तो पहले ही किसी अन्य को दी जा चुकी थी या फर्जी तरीके से दोबारा आवंटन कर धोखाधड़ी की गई। एक ही भूखंड को दो व्यक्तियों को आवंटित करने जैसे मामले सामने आने से पूरा आवंटन तंत्र संदेह के घेरे में आ गया है।

पुनर्वास विभाग की भूमिका संदेहास्पद, वरिष्ठ अभियंता का वाहन जब्त

प्रशासन द्वारा की जा रही जांच में टिहरी बांध पुनर्वास विभाग की लापरवाही और अनियमितता की परतें खुल रही हैं। अधीक्षण अभियंता स्तर के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। यही कारण है कि प्रशासन ने विभागीय वाहन तक जब्त कर लिया है।

जन दर्शन में लगातार उजागर हो रहे हैं फर्जीवाड़े के नए मामले

अब तक चार नए मामले जन शिकायत कार्यक्रम के माध्यम से सामने आए हैं। इनमें पुलमा देवी, सुमेर चंद, हेमंत कुमार, शैलेन्द्र कुमार और अजय चौहान जैसे शिकायतकर्ताओं ने दोहरे आवंटन, अवैध कब्जे और भूमिधरी में हेराफेरी जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इन सभी मामलों में भूखंडों का दोहरा आवंटन, दस्तावेजों में गड़बड़ी और स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत की बात सामने आई है।

प्रमुख मामलों की पड़ताल में सामने आए गंभीर तथ्य

  • पुलमा देवी मामले में एक ही भूखंड को पहले दिनेश रावत के माध्यम से पुलमा देवी को बेचा गया, बाद में पुनर्वास विभाग ने उसी जमीन को किसी अन्य महिला को आवंटित कर दिया। विभाग ने इस मामले में गलती स्वीकारते हुए एक आवंटन निरस्त भी किया है।
  • सुमेर चंद और अन्य के मामले में अटकफार्म, विकासनगर क्षेत्र में दो भूखंडों पर अवैध कब्जा और दस्तावेजों में भ्रम की स्थिति उजागर हुई। पुनर्वास विभाग द्वारा आवंटित भूखंड पर कोई और व्यक्ति कब्जा जमाए बैठा था।
  • अजय चौहान की शिकायत के अनुसार, अजबपुर कलां में एक ही भूखंड को पहले इरशाद अहमद को दिया गया, बाद में वही भूखंड फतरू नामक व्यक्ति को पुनः आवंटित कर दिया गया। विभाग को अंततः दूसरा आवंटन निरस्त करना पड़ा।

प्रशासन ने शासन को भेजी सीबीसीआईडी/विजिलेंस जांच की संस्तुति

प्राप्त तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर जिलाधिकारी ने इन सभी मामलों की जांच सीबीसीआईडी या विजिलेंस से कराए जाने की संस्तुति शासन को भेज दी है। जांच का उद्देश्य दोषियों की शिनाख्त कर उनके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करना और भविष्य में विस्थापितों के अधिकारों की रक्षा करना है।

जिलाधिकारी बंसल ने स्पष्ट किया है कि, “यह केवल अनियमितता नहीं बल्कि विस्थापितों के साथ विश्वासघात है। जिला प्रशासन दोषियों को बख्शने के मूड में नहीं है और इस मामले में दोषियों को हर हाल में दंडित किया जाएगा।”

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