अब दुश्मन की खैर नहीं! सिर्फ 85 सेकंड में तैयार, एक मिनट में 6 गोले दागती है भारत की स्वदेशी माउंटेड गन

नई दिल्ली, 7 जुलाई 2025: भारत ने एक और बड़ी सैन्य तकनीकी छलांग लगाई है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के अधीन काम करने वाली व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (VRDE) ने देश की पहली पूरी तरह स्वदेशी माउंटेड आर्टिलरी गन सिस्टम को सफलतापूर्वक तैयार कर लिया है। जल्द ही इसका फील्ड ट्रायल भारतीय सेना द्वारा किया जाएगा।
क्या है माउंटेड गन सिस्टम?
माउंटेड गन सिस्टम एक ऐसा हथियार है जिसे एक विशेषीकृत व्हीकल पर लगाया गया है। इसका उद्देश्य है—
- तेज तैनाती
- तेज़ गति से लोकेशन बदलना
- सभी भौगोलिक परिस्थितियों में संचालन
रेगिस्तान से लेकर सियाचिन की बर्फीली चोटियों और उत्तर-पूर्व के पहाड़ी इलाकों तक, यह गन कहीं भी 90 किमी प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार से पहुंचाई जा सकती है। साथ ही C-17 एयरक्राफ्ट या रेल के जरिए भी इसकी तैनाती संभव है।
तकनीकी विशेषताएं: दुश्मन के इलाके में कहर बरपाने वाला सिस्टम
| विशेषता | विवरण |
|---|---|
| कैलिबर | 155 मिमी / 52 कैलिबर |
| फायरिंग क्षमता | 1 मिनट में 6 राउंड |
| फायरिंग के लिए तैयारी समय | सिर्फ 85 सेकंड |
| फायरिंग रेंज | 45 किलोमीटर |
| प्रभाव क्षेत्र | 50 वर्ग मीटर की तबाही |
| गति | 60 किमी/घं (ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र), 90 किमी/घं (समतल) |
| वजन | कुल ~30 टन (गन + व्हीकल) |
| क्रू क्षमता | 7 लोगों के लिए स्पेस |
| सुरक्षा | फ्रंट केबिन बुलेटप्रूफ |
इस प्रणाली में ATAGS (Advanced Towed Artillery Gun System) लगाया गया है, जो भारत का पहले से सेना में शामिल आधुनिक गन सिस्टम है। यह संपूर्ण सिस्टम 80% स्वदेशी सामग्री से निर्मित है।
कम लागत, ज़्यादा मारक क्षमता
इस गन सिस्टम की लागत भारत में लगभग 15 करोड़ रुपये है। जबकि इसी श्रेणी का कोई भी आयातित सिस्टम 30 से 35 करोड़ रुपये तक पड़ता है।
अगर बड़ी संख्या में ऑर्डर मिलते हैं तो इसकी यूनिट लागत और कम हो सकती है। भारतीय सेना को 700–800 माउंटेड गन की ज़रूरत है, और फिलहाल ऐसी कोई गन भारतीय सेना के पास नहीं है।
रणनीतिक लाभ: हर वार के बाद तुरन्त हटने की क्षमता
माउंटेड गन का सबसे बड़ा सामरिक लाभ यह है कि
- फायरिंग के बाद तुरंत जगह बदल सकते हैं
- दुश्मन के काउंटर-अटैक से पहले स्थान बदलने की सुविधा
- तेजी से तैनाती और फायरिंग क्षमता, जिससे जंग की दिशा बदली जा सकती है
रूस-यूक्रेन युद्ध से यह साफ हो गया है कि माउंटेड आर्टिलरी सिस्टम कैसे आधुनिक युद्ध की ज़रूरत बन चुके हैं।
भारत अब चुनिंदा देशों की सूची में
विश्व स्तर पर कुछ ही देश हैं जिनके पास माउंटेड गन निर्माण की क्षमता है। इस तकनीक को विकसित करके भारत ने उन चुनिंदा देशों की सूची में अपना नाम दर्ज कराया है, जो आधुनिक, तेज़, आत्मनिर्भर और गतिशील सैन्य बल का निर्माण कर रहे हैं।
ढाई साल में तैयार, अब सेना के हाथों में
इस पूरी प्रणाली को डिजाइन और विकसित करने में महज ढाई साल का समय लगा है। अब यह भारतीय सेना के ट्रायल के लिए तैयार है। माना जा रहा है कि सफलता के बाद इसे बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन में लाया जाएगा।
भारत की यह स्वदेशी उपलब्धि न केवल सैन्य क्षमता को नई ऊंचाई पर ले जाएगी, बल्कि रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को भी गति देगी। कम लागत, ज़्यादा प्रभाव और दुश्मन के लिए अघोषित आतंक— यही है भारत की अगली तोप की पहचान।



