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‘मन की बात’ का 123वां एपिसोड: पीएम मोदी ने योग दिवस की सराहना, आपातकाल की आलोचना, और हेल्थ पर दी अहम सलाह

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नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ के 123वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया। इस मासिक रेडियो कार्यक्रम में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, देश की स्वास्थ्य उपलब्धियों, आत्मनिर्भर भारत, और लोकतंत्र की रक्षा जैसे विषयों पर विस्तार से बात की।

कार्यक्रम की शुरुआत पीएम मोदी ने 21 जून को मनाए गए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से की। उन्होंने इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताते हुए कहा कि, “यह आयोजन अब वैश्विक उत्सव बन चुका है।” पीएम ने तेलंगाना में दिव्यांगजनों और कश्मीर में जवानों द्वारा किए गए योग अभ्यास का उल्लेख करते हुए इसे प्रेरणादायक बताया।

इसके बाद उन्होंने देश के इतिहास के एक काले अध्याय — आपातकाल (1975) — की चर्चा की। उन्होंने कहा कि उस समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई थी, और लाखों लोगों पर अत्याचार हुए थे। लेकिन भारतीय जनता ने लोकतंत्र की जीत सुनिश्चित की। उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा में संघर्ष करने वाले हर व्यक्ति को याद करते हुए कहा, “हमें अपने संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करते रहना चाहिए।”

स्वास्थ्य और पोषण पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने खाने में 10% तक तेल कम करने की सलाह दोहराई। साथ ही उन्होंने बताया कि भारत ने एक समय आम रही आंखों की बीमारी ट्रैकोमा को खत्म कर दिया है। इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को ‘ट्रैकोमा मुक्त’ देश घोषित किया है और ILO (इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन) ने भी देश की उपलब्धियों की सराहना की है।

उन्होंने तीर्थ यात्राओं का भी उल्लेख किया, खासकर अमरनाथ यात्रा, जो 3 जुलाई से आरंभ हो रही है। पीएम ने यात्रियों की सेवा में लगे सभी सहयोगियों को शुभकामनाएं दीं और कैलाश पर्वत का उल्लेख करते हुए तीर्थों से जुड़ी भारतीय भावना पर जोर दिया।

स्थानीयता और आत्मनिर्भर भारत की बात करते हुए उन्होंने मेघालय के ऐरी सिल्क की तारीफ की, जिसे हाल ही में जीआई टैग मिला है। पीएम ने बताया कि यह विशेष रेशम बिना कीड़े को मारे बनाया जाता है और यह “सर्दियों में गर्म तथा गर्मियों में ठंडा रखने की क्षमता रखता है।” उन्होंने सभी देशवासियों से इसे अपनाने की अपील की।

अपने संबोधन में पीएम ने बोरोलैंड में हो रहे फुटबॉल टूर्नामेंट की सराहना की, जिसमें हजारों टीमों ने हिस्सा लिया है। यह क्षेत्र कभी संघर्ष के लिए जाना जाता था, लेकिन अब “खेल और विकास की मुख्यधारा” से जुड़ रहा है।

आखिर में उन्होंने कलबुर्गी की महिला उद्यमी और मध्य प्रदेश की सूमा उईके का उदाहरण देकर बताया कि किस तरह महिलाएं अपने परिश्रम से न केवल अपना जीवन बदल रही हैं, बल्कि देश के विकास में भी योगदान दे रही हैं। साथ ही उन्होंने लोगों से स्थानीय सामान खरीदने और व्यापारियों से स्थानीय उत्पाद बेचने की अपील की।

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