
📍 देहरादून | उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है। पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत से प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को लगभग 9 घंटे तक लगातार पूछताछ की। मामला सहसपुर भूमि खरीद से जुड़ा हुआ है, जो पहले से ही लंबे समय से विवादों में रहा है।
ED ने हरक सिंह रावत को सहसपुर में भूमि खरीद से जुड़े मामले में समन जारी किया था। जांच का फोकस इस बात पर था कि भूमि खरीद के लिए पैसा कहां से आया, भुगतान प्रक्रिया क्या रही और किन दस्तावेजों के आधार पर जमीन ली गई। इससे पहले हरक सिंह कुछ दस्तावेज ED को सौंप चुके थे, लेकिन कुछ अहम सवालों को लेकर एजेंसी ने सीधी पूछताछ की जरूरत बताई।
पूरे दिन चली पूछताछ में ED ने:
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जमीन खरीद से संबंधित वित्तीय लेन-देन की जानकारी मांगी
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पूर्व में दिए गए बयानों और प्रस्तुत दस्तावेजों में अंतर पर स्पष्टीकरण मांगा
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जमीन की रजिस्ट्री, कीमत, स्रोत और स्वामित्व की स्थिति की गहराई से जांच की
पूछताछ के बाद मीडिया से बात करते हुए हरक सिंह रावत ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि,
“मुझे राजनीतिक रूप से कमजोर करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह सिर्फ मुझे परेशान करने की साजिश है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी कोई गलत कार्य नहीं किया, और जांच एजेंसियों को हर जरूरी दस्तावेज और सहयोग दिया है।
इस मामले में हरक सिंह रावत के साथ-साथ उनकी बहू अनुकृति गुसाईं रावत, पत्नी दीप्ति रावत, और उनके कुछ नजदीकी सहयोगियों से भी ED पहले ही पूछताछ कर चुकी है।
इसके अलावा कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व घोटाले में भी उनसे पूछताछ की जा चुकी है, और इस मामले से जुड़े दस्तावेज ED के पास पहले से मौजूद हैं।
सूत्रों की मानें तो यदि दस्तावेजों और बयानों में कोई बड़ा विरोधाभास पाया गया, तो ED अगली कार्रवाई की ओर बढ़ सकती है – जिसमें प्रॉपर्टी अटैचमेंट, चार्जशीट दाखिल करना या अन्य आरोपियों को पूछताछ के लिए तलब करना शामिल हो सकता है।
हरक सिंह रावत जैसे वरिष्ठ नेता की इतनी लंबी पूछताछ ने उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है।
भले ही रावत इसे राजनीतिक साजिश बता रहे हों, लेकिन ED का अगला कदम यह तय करेगा कि यह मामला सिर्फ जांच तक सीमित रहेगा या किसी बड़ी कानूनी कार्रवाई में तब्दील होगा।