
देहरादून/रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में एक बार फिर हेली सेवा से जुड़ी दुर्घटना होते-होते टल गई। AIIMS ऋषिकेश की संजीवनी हेली एम्बुलेंस की आज सुबह क्रैश लैंडिंग हुई। गनीमत रही कि हेलीकॉप्टर में सवार सभी तीन लोग—पायलट, एक डॉक्टर और एक नर्सिंग स्टाफ—सुरक्षित हैं।
क्या हुआ हादसे के वक्त?
जानकारी के अनुसार, यह घटना सुबह 11:30 बजे की है, जब Pinnacle Air Pvt. Ltd. का यह हेलीकॉप्टर एक महिला मरीज को लेने के लिए केदारनाथ पहुँचा था। लैंडिंग से कुछ ही पहले हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी आने के कारण आपात लैंडिंग (Emergency Landing) करानी पड़ी।
गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे और रुद्रप्रयाग पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे ने पुष्टि की है कि हेलीकॉप्टर की पिछली बॉडी को हल्का नुकसान हुआ है लेकिन पायलट की सूझबूझ से कोई जानहानि नहीं हुई।
एम्स ऋषिकेश की पुष्टि
AIIMS ऋषिकेश के जनसंपर्क अधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि हेलीकॉप्टर श्रीदेवी नामक मरीज को एयर रेस्क्यू के लिए ले जाने जा रहा था। हेलीकॉप्टर में कुल तीन लोग सवार थे—पायलट, एक डॉक्टर और एक नर्सिंग स्टाफ। सभी डॉक्टर सुरक्षित हैं।
हेली सेवाएं सामान्य
प्रशासन की ओर से बताया गया है कि केदारनाथ में सभी हेली सेवाएं अब सुचारू रूप से चल रही हैं। हेलीपैड की सुरक्षा की समीक्षा की जा रही है।
हेली हादसे का सिलसिला: 8 मई को हुआ था बड़ा हादसा
गौरतलब है कि अभी कुछ ही दिन पहले, 8 मई को उत्तरकाशी के गंगनानी क्षेत्र में एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था, जिसमें 6 लोगों की मौत हुई थी। मृतकों में पायलट सहित मुंबई, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश के यात्री शामिल थे।
उस हादसे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाई लेवल जांच के आदेश दिए थे और निर्देश दिए थे कि आवश्यक तकनीकी सुधार किए जाएं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोहराई न जाएं।
विशेष रिपोर्ट: पर्यटन सीज़न में हेलीकॉप्टर सुरक्षा पर बढ़ते सवाल
उत्तराखंड में हर साल चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवाओं का उपयोग तीर्थयात्रियों और मेडिकल इमरजेंसी में होता है। लगातार हो रहे हेली हादसे अब सुरक्षा मानकों और तकनीकी जांच प्रणाली को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं।
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क्या सभी हेलीकॉप्टरों की पूर्व उड़ान जांच (Pre-Flight Checks) पर्याप्त हैं?
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क्या हेलीपैड्स पर रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम की जरूरत है?
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क्या मौसम संबंधी अलर्ट सिस्टम को और अधिक मजबूत किया गया है?
अब देखना यह है कि उत्तराखंड सरकार और नागरिक उड्डयन विभाग इन हादसों से क्या सबक लेता है और किस तरह की दीर्घकालिक नीति बनाकर हेली सेवाओं की सुरक्षा और विश्वसनीयता को सुनिश्चित करता है।