
देहरादून : हरिद्वार नगर निगम द्वारा खरीदी गई भूमि के सौदे ने राज्य प्रशासन को हिलाकर रख दिया है। जिस ज़मीन की कीमत 15 करोड़ से कम आँकी जा रही थी, उसे नगर निगम ने 58 करोड़ रुपये में खरीद लिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में आने के बाद मामले की जांच के आदेश दिए गए, जिसके तहत अब तक चार अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है और कुल 14 लोगों से पूछताछ हो चुकी है।
क्या है मामला?
वर्ष 2024 में निकाय चुनावों के दौरान हरिद्वार नगर निगम ने सराय क्षेत्र में 33 बीघा कृषि भूमि खरीदी थी। उस समय नगर आयुक्त वरुण चौधरी थे। यह ज़मीन उस क्षेत्र में स्थित थी, जहां पहले से नगर निगम द्वारा कूड़ा डंप किया जाता रहा है। आश्चर्य की बात यह रही कि जिस भूमि की बाजार कीमत बेहद मामूली थी, उसे करोड़ों रुपये में खरीदा गया और किसी को इसके पीछे की मंशा समझ नहीं आई।
जांच में यह सामने आया कि भूमि का लैंड यूज महज छह दिनों में कृषि से व्यावसायिक में बदल दिया गया, जिससे उसकी कीमत एकदम से 58 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इस प्रक्रिया में शासन से कोई स्वीकृति नहीं ली गई, न ही जमीन की उपयोगिता को लेकर कोई स्पष्ट योजना प्रस्तुत की गई थी।
मुख्यमंत्री के आदेश पर शुरू हुई जांच
मुख्यमंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आईएएस रणवीर सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया। प्रारंभिक जांच में ही लापरवाही और प्रक्रिया की अनदेखी सामने आ गई। इसके बाद सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, अधिशासी अभियंता आनंद सिंह, राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और जय दिनेश चंद्र कांडपाल को निलंबित कर दिया गया। साथ ही वित्तीय अधिकारी निकिता बिष्ट को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
शुरुआती जांच के खुलासे
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33 बीघा भूमि की वास्तविक कीमत करीब 15 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
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लैंड यूज में बदलाव के बाद उसकी कीमत बढ़ाकर 58 करोड़ रुपये कर दी गई।
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भूमि मालिक को भुगतान सरकारी खाते से तत्काल कर दिया गया।
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भूमि का उद्देश्य अस्पष्ट – कोई ठोस विकास योजना या उपयोग नहीं दर्शाया गया।
कई अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में
जांच में सामने आया है कि लैंड यूज परिवर्तन से लेकर भुगतान तक, सब कुछ असामान्य तेजी से हुआ। यह भी सवाल उठे हैं कि आम नागरिक के लिए महीनों लगने वाला लैंड यूज चेंज कैसे कुछ दिनों में हो गया? इस समय हरिद्वार में तैनात एसडीएम जयवीर सिंह की भूमिका भी जांच के दायरे में है।
अब तक की कार्रवाई और अगला कदम
29 अप्रैल से चल रही जांच में अब तक हरिद्वार के जिलाधिकारी, नगर आयुक्त, तहसीलदार, पटवारी समेत 14 से अधिक अधिकारियों के बयान दर्ज हो चुके हैं। भूमि बेचने वालों जितेंद्र और सुमन देवी से पूछताछ की जा चुकी है। धनपाल नामक विक्रेता की हाल ही में मृत्यु हो गई, उनके परिजनों से पूछताछ बाकी है।
IAS रणवीर सिंह ने संकेत दिया है कि जांच पूरी हो चुकी है और 20 मई तक इसकी रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तरफ से इस पूरे मामले पर पहले ही बयान आ चुका है कि इस जांच में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और जांच में जैसे-जैसे लापरवाही सामने आ रही है, उन सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है.