बेंगलुरु में AI इंजीनियर अतुल सुभाष के सुसाइड के बाद अब उनका परिवार पोते की कस्टडी के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने जा रहा है. अतुल की मां ने अपने 4 साल के पोते की कस्टडी के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है. अतुल सुभाष की मां ने हैबियस कॉर्पस यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करते हुए शीर्ष अदालत ने न्याय की गुहार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकार को इस याचिका पर नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मामले की सुनवाई कर तीनों राज्यों को नोटिस जारी किया. अब इस मामले पर 7 जनवरी 2025 को सुनवाई होनी है.
अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को बेंगलुरु स्थित अपने फ्लैट में फांसी लगा ली थी. मरने से पहले अतुल सुभाष ने करीब डेढ़ घंटे का वीडियो बनाया था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग सिंहानिया और चाचा ससुर सुशील सिंहानिया पर हैरेसमेंट, आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था. उन्होंने 24 पन्ने का सुसाइड नोट भी अपने दोस्तों और परिवार को सर्कुलेट किया था. इसके बाद बेंगलुरु पुलिस ने तीनों आरोपियों को अरेस्ट किया. फिलहाल सभी ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं. निकिता के चाचा फरार चल रहे हैं.
अतुल की मां ने अपनी याचिका में अर्जी दी है कि दहेज उत्पीड़न से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई एक ही कोर्ट में एक साथ होनी चाहिए. साथ ही अगर मामले के किसी एक पक्ष का वादी कहीं और रह रहा है, तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई का प्रावधान किया जाना चाहिए. अतुल बेंगलुरु के मराठाहल्ली में रहते थे. वह बेंगलुरु सिटी में एक प्राइवेट फर्म में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में DGM के पद पर काम कर रहे थे. सुसाइड से पहले उन्होंने 24 पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है. इसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर हैरेसमेंट के आरोप लगाए हैं. अतुल ने ये भी कहा कि उनकी पत्नी ने सेटलमेंट के लिए 3 करोड़ रुपये की डिमांड की है. जबकि बच्चे की देखभाल और मेनटेनेंस के लिए अलग से रकम मांगी गई थी. अतुल सुभाष ने अपने लिए न्याय की मांग की.