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नई दिल्ली :क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों का राष्ट्रीय सम्मेलन

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केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर के आतिथ्य में हुआ क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों का राष्ट्रीय सम्मेलन

10,000 एफपीओ की योजना कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति का सूत्रपात- श्री तोमर

बुआई से बाजार तक किसानों को सक्षम बनाकर उनकी आमदनी बढ़ाना इस योजना का उद्देश्य

देश में बनाए जा रहे 10 हजार कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्कीम को सुचारू रूप से लागू करने के संबंध में क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (सीबीबीओ) का राष्ट्रीय सम्मेलन आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में एफपीओ बनाने की योजना कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति का सूत्रपात है। इस क्रांति के माध्यम से, बुआई से बाजार तक किसानों को सक्षम बनाकर उनकी आमदनी बढ़ाना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि एफपीओ से किसानों को समृद्ध बनाने के लिए सीबीबीओ को हर जतन करना होगा। एफपीओ की परिकल्पना तब पूरी होगी, जब एफपीओ बनने के बाद उसका लाभ किसानों को मिलने लगे तथा केसर की तरह उसकी खुश्बू फैले और सारे किसान कहें कि हमें भी एफपीओ से जोड़िए व आगे नए एफपीओ गठन के लिए सरकार से मांग हो। सीबीबीओ को सरकार साधन दे रही है, जिससे अच्छे परिणाम आना चाहिए। सीबीबीओ इसलिए बनाए गए हैं क्योंकि वे इस विषय में विशेषज्ञ हैं, जागरूकता फैला सकते हैं,  किसानों को खेती में टेक्नालाजी दे सकते हैं, किसान अच्छा- गुणवत्तापूर्ण उत्पादन करें, इस दृष्टि से मार्गदर्शन कर सकते हैं और किसानों को वाजिब दाम दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। श्रेष्ठ एफपीओ के गठन के लिए सीबीबीओ को सभी को साथ लेकर कार्य करना चाहिए।

श्री तोमर ने कहा कि देश में पहले लगभग 7 हजार एफपीओ बने थे, लेकिन अधिकतर टिकाऊ नहीं हो पा रहे थे, इसीलिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी नई योजना लेकर आए। एफपीओ छोटे किसानों के संगठन है। इस पूरी योजना पर सरकार 6,865 करोड़ रुपये खर्च करेगी। देश में लगभग 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें एफपीओ के माध्यम से आदान उपलब्ध कराने से लेकर प्रोसेसिंग व उपज की बाजार में उचित दाम पर बिक्री में सहयोग जैसी सुविधाएं दिलाना सरकार का उद्देश्य है। एफपीओ किसानों की संगठन शक्ति के प्रतीक है। श्री तोमर ने कहा कि आज हमारा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, इसमें हमें पुराने संकल्प पूरे करना है और नए संकल्प लेकर आगे बढ़ना है। देश में खेती को उन्नत बनाने, असंतुलन दूर करने व किसानों की माली हालत सुधारने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में सरकार हरसंभव उपाय कर रही है। किसानों की सुविधा के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं प्रभावी की गई है। एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्टर फंड से किसानों के लिए सरकार गांव-गांव सुविधाएं जुटाने के लिए प्रयत्नशील है। ऐसी कई योजनाएं है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि एफपीओ की स्कीम में सीबीबीओ महत्वपूर्ण कड़ी है, ये ठान लें तो उद्देश्य की प्राप्ति जरूर होगी। कुल मिलाकर, उद्देश्य यह है कि किसानों को लाभ पहुंचे। श्री चौधरी ने एफपीओ से अधिकाधिक किसानों को जोड़े जाने की अपेक्षा जताई और कहा कि इस संबंध में सरकार द्वारा बनाई गई गाइड लाइन के अनुसार कार्य किया जाना चाहिए। साथ ही केंद्र सरकार की किसान हितैषी योजनाओं की जानकारी भी एफपीओ के माध्यम से किसानों तक पहुंचाई जाना चाहिए।

लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी) की एमडी श्रीमती नीलकमल दरबारी ने सम्मेलन की भूमिका प्रस्तुत की। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री अभिलक्ष लिखी ने सीबीबीओ से सरकार की अपेक्षाएं बताई। संयुक्त सचिव डा. श्रीमती विजय लक्ष्मी ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने बताया कि योजना में पहले से ही प्रावधानित तीन क्रियान्वयन एजेंसियों- नाबार्ड, एसएफएसी व एनसीडीसी सहित 13 क्रियान्वयन एजेंसियों को नामित किया गया है। नाबार्ड के चेयरमेन श्री जी.आर. चिंताला ने स्कीम को लेकर कुछ सुझाव दिए। राष्ट्रीय परियोजना प्रबंधन एजेंसी ईवाय के पार्टनर श्री सत्यम शिवम सुंदरम ने प्रेजेन्टेशन दिया, वहीं व्यवहार्यता अध्ययन और सामाजिक गतिशीलता दृष्टिकोण, व्यापार योजना निर्माण दृष्टिकोण तथा ब्रांडिंग व मार्केटिंग दृष्टिकोण पर सीबीबीओ व अन्य एजेंसी ने प्रस्तुति दी। इस अवसर पर एसएफएसी, नाबार्ड, एनसीडीसी, नैफेड, एपीएमएएस, ई एंड वाई, एक्सेज डेवलपमेंट सर्विसेज, ग्रांट थार्नटन व अन्य कंपनियों के अधिकारी व देशभर से आए सीबीबीओ के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।

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