उत्तराखंड

प्रेमनगर : खंडहर पड़ी है अमिताभ टैक्स टाइल मिल, लेआउट पास करने में कैंट बोर्ड दिखा रहा सुस्ती

खबर को सुने

जमीन बिकने पर उत्तराखंड सरकार को होगी स्टैंप ड्यूटी व रजिस्ट्रेशन ड्यूटी से राजस्व की प्राप्ति

प्रेमनगर से बलदेव मान : देहरादून के प्रेमनगर स्थित अमिताभ टैक्स टाइल मिल की वर्तमान में खंडहर पड़ी जमीन कब आवासीय होगी, इसका अता पता नहीं चल रहा है। सालों पहले बंद हो चुकी कार्बेट फैक्ट्री की भूमि का भी उपयोग किया जा रहा है।

अमिताभ टेक्स टाइल मिल की जीवनावधि पर एक नजर डालें तो यह 1960 में स्थापित की गई और इसी वर्ष कंपनी द्वारा अपना उत्पादन प्रारंभ किया गया। कंपनी लगभग 38 साल तक चली और 1998 में इसने उत्पादन करना बंद कर दिया।

आज की स्थिति में यहां पर केवल खंडहर रह गए हैं। जो किसी भी प्रकार से उपयोग योग्य नहीं रह गए, कभी बाउंड्री वॉल तो कभी छत का भाग गिरने की घटनाएं होती रहती हैं।

औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड और उच्च न्यायालयों के आदेशों का पालन करते हुए इसको बंद कर दिया गया। लेकिन जब जमीन को बेचने की बात आई तो कुछ अनाड़ी अधिकारियों, प्रॉपर्टी डीलरों और प्रेम नगर के शातिर तत्वों ने इसको बदनाम कर दिया। लेकिन कंपनी के प्रबंधन पर कुछ सद्बुद्धि आई है क्योंकि शॉर्ट कर मारने की जगह सब नियमों का पालन करके बोर्ड में कागजात जमा कराए हैं।

सूत्रों के मुताबिक कैंट बोर्ड को मिल प्रबंधन द्वारा सभी कागजात उपलब्ध करा दिए गए हैं और कैंट बोर्ड के लीगल सलाहकार ने भी मामले को ओके कर दिया है। इसी लीगल सलाहकार ने पिछले साल कैंट बोर्ड को मामले में निर्णय न लेने को कहा था। अब इस मुद्दे पर कैंट बोर्ड क्यों सो रहा है समझ नहीं आता?

लेआउट पास करने पर कैंट बोर्ड काफी राजस्व बना सकता है और जन समस्याओं पर काम कर सकता है लेकिन गढ़ी कैंट के सड़कों के गड्ढे, चौक हुई नालियों नालियों व ट्रेंचिंग ग्राउंड पर पड़े कूड़े के ढेरों का कल्याण करने की सुध कब आएगी?

शहर के बीच मेन रोड पर खड़ा खंडहर, असामाजिक गतिविधियों का अड्डा बना

शहर के बीच में मेन रोड पर खड़े यह खंडहर विभिन्न असामाजिक गतिविधियों के अड्डे बन चुके हैं। भूमि को आवासीय करने पर यहां कॉलोनी बनाने की योजना है जिसका लेआउट पास करने में कैंट बोर्ड सुस्ती दिखा रहा है।

जमीन बिकने पर उत्तराखंड सरकार को भी स्टैंप ड्यूटी व रजिस्ट्रेशन ड्यूटी से राजस्व की प्राप्ति होगी। साथ ही कैंट बोर्ड को भी विकास कार्य करने के लिए काफी पैसे मिल पाएंगे। वैसे भी कैंट बोर्ड की माली हालत खराब ही रहती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button