
पेंसिल्वेनिया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को पेंसिल्वेनिया के मोन वैली वर्क्स-इरविन स्टील प्लांट में बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि स्टील पर आयात शुल्क को 25 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी किया जाएगा। ट्रंप का यह फैसला अमेरिका की घरेलू स्टील इंडस्ट्री को चीन और अन्य देशों के सस्ते स्टील से बचाने की रणनीति का हिस्सा है।
सभा में मौजूद सैकड़ों मजदूरों के सामने ट्रंप ने कहा,
“हम चीन के घटिया स्टील के मोहताज नहीं हैं। अब अमेरिका का भविष्य शंघाई के स्टील पर नहीं, बल्कि पिट्सबर्ग की ताकत और गौरव पर बनेगा।”
अगले हफ्ते से लागू होंगे नए नियम
व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक सोशल मीडिया पोस्ट के मुताबिक, ये नए टैरिफ अगले हफ्ते से प्रभावी होंगे। ट्रंप ने इससे पहले भी स्टील, एल्यूमिनियम और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर 25% शुल्क लगाया था, जिसे उन्होंने अमेरिकी कंपनियों की रक्षा के लिए जरूरी बताया।
निप्पॉन स्टील और यूएस स्टील की डील का समर्थन
अपने भाषण में ट्रंप ने जापानी कंपनी निप्पॉन स्टील और यूएस स्टील के बीच हुई साझेदारी का समर्थन किया। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि
“यूएस स्टील पर अमेरिका का ही नियंत्रण रहेगा। न कोई नौकरी जाएगी, न कोई काम विदेश जाएगा।”
उन्होंने दावा किया कि इस साझेदारी से अमेरिका में 70,000 नई नौकरियां पैदा होंगी और अर्थव्यवस्था को 14 अरब डॉलर का सीधा लाभ मिलेगा।
यूनियन को अब भी है संदेह
हालांकि, यूनाइटेड स्टीलवर्कर्स यूनियन ने इस साझेदारी को लेकर चिंता जताई है। यूनियन का कहना है कि निप्पॉन स्टील अब भी यूएस स्टील का पूरा मालिक बनना चाहता है, और उन्हें यह जानकारी नहीं दी गई कि 14 अरब डॉलर में से कितना पैसा यूनियन से जुड़े मजदूरों पर खर्च होगा।
राजनीति और व्यापार पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह फैसला 2024 चुनावों की तैयारी का हिस्सा है, जिससे वे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और मजदूर वर्ग का समर्थन दोबारा हासिल करना चाहते हैं। हालांकि, यह टैरिफ वैश्विक व्यापार पर असर डाल सकता है और अमेरिका के सहयोगी देशों से टकराव की आशंका भी बनी हुई है।
डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि वे सत्ता में लौटते हैं, तो “अमेरिका फर्स्ट” नीति और भी आक्रामक तरीके से लागू की जाएगी। उनके इस फैसले से घरेलू उद्योग को राहत मिलेगी, लेकिन वैश्विक व्यापार में हलचल तय मानी जा रही है।