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मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण: तमिलनाडु और गुजरात की मसौदा सूची में 11.49 करोड़ में से 9.78 करोड़ मतदाता शामिल, 1.71 करोड़ नाम बाहर

नई दिल्ली: देश की चुनावी प्रक्रिया से जुड़े एक अहम कदम के तहत निर्वाचन आयोग (ECI) ने शुक्रवार को तमिलनाडु और गुजरात की मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित कर दी। यह सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के अंतर्गत तैयार की गई है। आयोग के अनुसार, दोनों राज्यों में दर्ज कुल 11.49 करोड़ मतदाताओं में से 9.78 करोड़ मतदाताओं के नाम मसौदा सूची में शामिल किए गए हैं, जबकि करीब 1.71 करोड़ मतदाताओं के नाम मसौदा सूची में नहीं पाए गए

इस आंकड़े ने चुनावी हलकों और राजनीतिक दलों में हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि मतदाता सूची लोकतंत्र की बुनियाद मानी जाती है और इसमें किसी भी स्तर पर चूक सीधे तौर पर मतदान अधिकार को प्रभावित कर सकती है।

क्या है विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)?

विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर किया जाने वाला एक व्यापक अभ्यास है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को त्रुटिरहित, पारदर्शी और अद्यतन बनाना होता है। इस प्रक्रिया के तहत मृत मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं, स्थानांतरित मतदाताओं की स्थिति अपडेट की जाती है और पात्र नए मतदाताओं को सूची में जोड़ा जाता है।

इस बार SIR के तहत तमिलनाडु और गुजरात में घर-घर जाकर मतदाताओं से गणना प्रपत्र (Enumeration Forms) भरवाए गए थे।

कुल आंकड़े क्या कहते हैं?

निर्वाचन आयोग के अनुसार,

  • 27 अक्टूबर तक तमिलनाडु और गुजरात में कुल मतदाता: 11.49 करोड़
  • मसौदा मतदाता सूची में दर्ज मतदाता: 9.78 करोड़
  • मसौदा सूची से बाहर मतदाता: लगभग 1.71 करोड़

आयोग ने स्पष्ट किया है कि मसौदा सूची अंतिम नहीं है और इसमें सुधार, आपत्तियां और दावे दर्ज करने का अवसर दिया जाएगा।

तमिलनाडु में गणना प्रपत्रों की स्थिति

निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, तमिलनाडु में मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया अपेक्षाकृत बेहतर रही है।

  • तमिलनाडु में कुल मतदाता: 6.41 करोड़
  • गणना प्रपत्र जमा करने वाले मतदाता: 5.43 करोड़
  • कवरेज प्रतिशत: 84.81 प्रतिशत

आयोग का कहना है कि यह प्रतिशत दर्शाता है कि राज्य में मतदाताओं ने पुनरीक्षण प्रक्रिया में अच्छी भागीदारी की, हालांकि अभी भी एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जिसके नाम मसौदा सूची में शामिल नहीं हो पाए हैं।

गुजरात में स्थिति क्या रही?

हालांकि निर्वाचन आयोग ने गुजरात के विस्तृत प्रतिशत आंकड़े अलग से जारी नहीं किए, लेकिन कुल आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट है कि गुजरात में भी बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम मसौदा सूची से बाहर रह गए हैं। आयोग का कहना है कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं—

  • गणना प्रपत्र समय पर जमा न होना
  • पता या विवरण में विसंगति
  • स्थान परिवर्तन
  • मृत मतदाताओं के नाम
  • दोहरे पंजीकरण की आशंका

1.71 करोड़ नाम बाहर क्यों?

निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के अनुसार, मसौदा मतदाता सूची से नाम बाहर होने का अर्थ यह नहीं है कि मतदाता का नाम स्थायी रूप से हटा दिया गया है। इसके पीछे कई तकनीकी और प्रशासनिक कारण हो सकते हैं—

  • गणना प्रपत्र जमा न किया जाना
  • दस्तावेजों में त्रुटि
  • मतदाता का स्थानांतरण
  • मृत मतदाता
  • एक से अधिक स्थानों पर पंजीकरण

आयोग ने स्पष्ट किया है कि दावे और आपत्तियों की अवधि के दौरान योग्य मतदाता अपने नाम जुड़वाने या सुधार कराने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

राजनीतिक दलों की नजर

मसौदा मतदाता सूची जारी होते ही राजनीतिक दलों ने इस पर नजर बनाए रखी है। चुनावी विशेषज्ञों का मानना है कि जिन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में नाम बाहर हुए हैं, वहां राजनीतिक संतुलन प्रभावित हो सकता है।

विपक्षी दलों ने यह मांग उठाई है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो और किसी भी पात्र मतदाता का नाम गलत तरीके से न हटे। वहीं, निर्वाचन आयोग ने सभी दलों को आश्वस्त किया है कि पूरी प्रक्रिया कानून और नियमों के तहत की जा रही है।

मतदाताओं के लिए आयोग की अपील

निर्वाचन आयोग ने तमिलनाडु और गुजरात के मतदाताओं से अपील की है कि वे—

  • मसौदा मतदाता सूची में अपना नाम जरूर जांचें
  • यदि नाम नहीं है या विवरण में गलती है, तो निर्धारित समयसीमा के भीतर दावा या आपत्ति दर्ज कराएं
  • बीएलओ (Booth Level Officer) या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन करें

आयोग का कहना है कि अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने से पहले सभी वैध दावों पर विचार किया जाएगा।

लोकतंत्र के लिए क्यों अहम है यह प्रक्रिया?

मतदाता सूची का शुद्ध और अद्यतन होना लोकतंत्र के लिए अत्यंत आवश्यक है। गलत या अधूरी सूची—

  • मताधिकार से वंचित कर सकती है
  • चुनावी निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर सकती है
  • राजनीतिक विवादों को जन्म दे सकती है

इसलिए निर्वाचन आयोग समय-समय पर SIR जैसी प्रक्रियाओं के जरिए सूची को दुरुस्त करता है।

आगे की प्रक्रिया क्या होगी?

अब मसौदा सूची के बाद अगला चरण—

  • दावे और आपत्तियों की अवधि
  • बीएलओ और चुनाव अधिकारियों द्वारा सत्यापन
  • सुधारों के बाद अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन

निर्वाचन आयोग का कहना है कि अंतिम सूची प्रकाशित होने से पहले किसी भी पात्र मतदाता को बाहर नहीं रहने दिया जाएगा।

निष्कर्ष

तमिलनाडु और गुजरात की मसौदा मतदाता सूची से जुड़े ये आंकड़े यह दिखाते हैं कि मतदाता सूची पुनरीक्षण एक व्यापक और जटिल प्रक्रिया है। 9.78 करोड़ मतदाताओं का सूची में शामिल होना जहां बड़ी उपलब्धि है, वहीं 1.71 करोड़ नामों का बाहर रहना प्रशासन और मतदाताओं—दोनों के लिए सतर्कता का संकेत है।

अब यह मतदाताओं की जागरूकता और निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर निर्भर करेगा कि अंतिम सूची कितनी समावेशी और त्रुटिरहित बन पाती है।

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