पीसीएस परीक्षा के पाठ्यक्रम को लेकर आयोग के अधिकारियों से की बैठक
मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने रखे विभिन्न विषय:
मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने लोक सेवा आयोग के अधिकारियों से मुलाकात कर पीसीएस परीक्षा के पाठ्यक्रम में संशोधन करने की मांग की। साथ ही तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को पांच से छह माह का अतिरिक्त समय देने और पाठ्यक्रम में उत्तराखंड से जुड़े विषयों को रखने की मांग को भी रखा।
सोमवार को संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने पीसीएस अभ्यर्थियों की विभिन्न समस्याओं मसलन सिलेबस में हुए परिवर्तन, तैयारी के लिए समय और केदारनाथ चुनाव ड्यूटी में लगे अभ्यर्थियों की समस्या और अन्य मांगों को लेकर संघ लोक सेवा आयोग हरिद्वार के अधिकारीयों के साथ बैठक की। संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि जो टॉपिक अंग्रेजी माध्यम में रखे गए हैं, उसे हिंदी माध्यम में नहीं रखा गया है। यह हिंदी माध्यम से तैयारी कर रहे छात्रों के साथ एक बड़ा धोखा है। जिस राज्य की राजकीय भाषा हिंदी हो, वहां अंग्रेजी माध्यम के युवाओं को फायदा पहुँचाने के लिए यह एक बड़ा षडयंत्र है। ताकि ग्रामीण परिवेश से आने वाले हिंदी माध्यम के युवाओं को परीक्षा से बाहर किया जा सके।
डिमरी ने कहा कि 11 सितम्बर को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने नया सिलेबस जारी किया और 16 से 19 नवंबर को मुख्य परीक्षा होनी है। ऐसे में युवाओं के को नए सिलेबस की तैयारी के लिए समय ही नहीं दिया गया। ऊपर से सिलेबस में भारी विरोधाभास है
मूल निवास – भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया और महासचिव प्रांजल नौडियाल ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि पीसीएस परीक्षा का सिलेबस एक जैसा रखा जाए और उत्तराखंड से सम्बंधित विषयों पर ही परीक्षा केंद्रित हो। साथ ही सिलेबस में संशोधन के बाद छात्रों को पाँच से छह माह का समय दिया जाए।
इस मौके पर आयोग के उपसचिव प्रशांत भट्ट ने अभ्यर्थियों की मांगों को गंभीरता पूर्वक लेते हुए समिति के सदस्यों को आश्वासन दिया कि आज इन सभी विषयों को दोपहर में होने वाले बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा और जल्द इस पर कोई फैसला लेकर सूचना जारी की जाएगी।