प्रदेश के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने शुक्रवार को देहरादून में एक निजी होटल में केन्द्रीय रेशम बोर्ड, वस्त्र मंत्रालय (भारत सरकार) एवं रेशम निदेशालय उत्तराखण्ड के तत्वाधान में “ओक तसर संवर्धन ” पर एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग कर एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। कार्यशाला में किसान, आसाम, मणिपुर, रांची से पहुंचे वैज्ञानिकों अधिकारीगण एवं विशेषज्ञों ने रेशम के उत्पादन को बढ़ाने और नई तकनीक का प्रयोग इस्तेमाल में लाने जैसे विषयों पर अपने विचार रखें।
इस अवसर पर मंत्री गणेश जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश में पूर्व से ही केन्द्रीय रेशम बोर्ड भारत सरकार के सहयोग से अनुसूचित जनजाति के परिवारों के उत्थान हेतु पर्वतीय व सीमान्त क्षेत्रों के 2290 कृषक परिवारों को रोजगार से जोड़ने के लिए ओक तसर विकास योजना का संचालन रेशम निदेशालय उत्तराखण्ड, केन्द्रीय रेशम बोर्ड द्वारा स्थापित विभिन्न तकनीकी इकाइयों के साथ-साथ स्वैच्छिक संगठनों के सहयोग से वर्ष 2017-18 से किया जा रहा है। मंत्री गणेश जोशी ने कहा प्रदेश में संचालित परियोजना के अन्तर्गत 550 हैक्टेयर भू क्षेत्र में मणिपुरी बांज का वृक्षारोपण योजनान्तर्गत किया गया है। प्रदेश में ओक तसर कीट बीज उत्पादन, विकास एवं वितरण हेतु बीज उत्पादक उद्यानों का विकास/सुदृढीकरण, कोया संरक्षण केन्द्रों का निर्माण व बीजागार की स्थापना का कार्य किया जा चुका है ।
मंत्री ने कहा लाभार्थियों को ओक तसर कीटपालन एवं योजनान्तर्गत किये जाने वाले अन्य कार्यों के लिए आवश्यक सामग्री व उपकरण, कीटपालन शेड निर्माण व विशुद्धीकारक आदि की आपूर्ति की गई है। उत्पादित कोयों से धागा उत्पादन तक की गतिविधियों के संचालन हेतु सघन प्रशिक्षण, अध्ययन भ्रमण, कृषि मेला, सेमिनार व कार्यशालाओं का आयोजन भी किया गया है, जिसका लाभ हमारे किसान भाईयों को मिला। उपरोक्त कार्यक्रमों में केन्द्रीय रेशम बोर्ड की स्थानीय इकाईयों का सहयोग भी समय-समय पर राज्य को मिल रहा है। परिणामस्वरूप वर्ष 2022-23 में परियोजना के शुरूआत में लगभग 2.46 लाख (संख्या में) ओक तसर कोयों का उत्पादन किया गया है। जिसको भविष्य में 12 से 15 लाख तक ले जाने का लक्ष्य है।
मंत्री गणेश जोशी ने योजना से जुड़ी सभी इकाईयों से अपेक्षा है कि वे आगामी वर्षों में लक्ष्यों की पूर्ति हेतु एक समयबद्ध कार्ययोजना तैयार करें। मंत्री जोशी ने कहा यह हमारा सौभाग्य है कि हमारा प्रदेश में नैसर्गिक रूप से प्रचुर वन सम्पदा सम्पन्न प्रदेशों में है, इन वन क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में विभिन्न प्रजाति के रेशम कीटों के भोज्य पौध उपलब्ध हैं जिन पर ट्रापिकल तसर, ओकतसर, एरी तथा मूगा रेशम का उत्पादन किया जा रहा है। मंत्री ने कहा किसी भी क्षेत्र में कार्यशाला आपसी ज्ञान, योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही कठिनाइयों के निदान एवं नये अनुसंधानों को आपस में साझा करने का एक मंच होता है।उन्होंने कहा आज इस एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन भी इसी उद्देश्य के लिए किया गया है कि हम किस प्रकार से ओकटसर रेशम कीटपालन के क्षेत्र में आगे बढ़ें।
इस अवसर पर रेशम फेडरेशन अध्यक्ष अजीत चौधरी, निदेशक रेशम ए.के यादव, निदेशक तसर अनुसंधान एव प्रशिक्षण संस्थान केन्द्रीय रेशम बोर्ड डॉ.के. सत्यनारायण,केन्द्रीय रेशम बोर्ड, डॉ के. एम. विजया, प्रबंध निदेशक आनन्द ए.डी. शुक्ल,एस. एम. शर्मा, सहित कई लोग उपस्थित रहे।