उत्तराखंडफीचर्ड

उत्तराखंड हाईकोर्ट का सख्त रुख: हरिद्वार के खाद्य आपूर्ति अधिकारी पर ‘आय से अधिक संपत्ति’ मामले में राज्य सरकार व ईडी को नोटिस

नैनीताल, 18 अक्टूबर | उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार जिले के खाद्य आपूर्ति विभाग में तैनात अधिकारी तेजबल सिंह के खिलाफ दाखिल आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपों वाली याचिका पर राज्य सरकार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि “प्रारंभिक स्तर पर आरोपों की जांच आवश्यक प्रतीत होती है।”


आरोप: नौकरी के दौरान करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने का दावा

यह मामला हरिद्वार निवासी यशपाल सिंह द्वारा दाखिल जनहित याचिका (PIL) से संबंधित है।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि खाद्य जिलापूर्ति अधिकारी तेजबल सिंह ने अपनी सेवा अवधि के दौरान आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की है, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत जांच योग्य है।

याचिका में कहा गया है कि तेजबल सिंह ने न केवल हरिद्वार और देहरादून में, बल्कि नैनीताल और हल्द्वानी जैसे प्रमुख शहरों में भी संपत्तियाँ खरीदी हैं। इनमें कई आवासीय भवन, वाणिज्यिक स्थल, होटल और रेस्टोरेंट शामिल बताए गए हैं।


20 करोड़ रुपये के होटल-रेस्टोरेंट की भी बात सामने

याचिकाकर्ता के अनुसार, तेजबल सिंह ने नैनीताल के बसानी क्षेत्र में अपने एक सहयोगी के साथ मिलकर लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से ‘द भेल होटल एंड रेस्टोरेंट’ खरीदा है।
इसके अतिरिक्त, याचिका में आरोप है कि उन्होंने खुर्पाताल, तल्ली बमौरी (हल्द्वानी) और साथी क्षेत्र में भी मकान, दुकान और जमीनें अपने नाम या रिश्तेदारों के नाम पर खरीदी हैं।

याचिकाकर्ता ने कहा कि इन संपत्तियों की कीमत और अधिकारी की घोषित आय के बीच भारी अंतर है, जो भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति अर्जन का संकेत देता है।


उच्च न्यायालय का संज्ञान — जवाब मांगा गया

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आर. सी. खुल्बे की खंडपीठ में हुई।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि याचिका में लगाए गए आरोप गंभीर हैं और इन पर राज्य सरकार का स्पष्ट पक्ष आवश्यक है।

अदालत ने उत्तराखंड सरकार, प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate), वित्त विभाग, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, और संबंधित अधिकारी तेजबल सिंह को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।


ईडी और विजिलेंस विभाग की भूमिका पर भी सवाल

याचिका में यह भी कहा गया है कि राज्य सतर्कता (Vigilance) या ईडी ने अब तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जबकि कथित संपत्तियाँ सार्वजनिक रूप से ज्ञात हैं।

याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की है कि

“न्यायालय अपने स्तर से जांच के आदेश दे या प्रवर्तन निदेशालय एवं विजिलेंस विभाग को निर्देशित करे कि अधिकारी की संपत्तियों की वैधता और आय के स्रोतों की विस्तृत जांच की जाए।”


जनता का ध्यान खींचने वाला मामला — सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल

यह मामला इसलिए भी सुर्खियों में है क्योंकि तेजबल सिंह वर्तमान में जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी के रूप में पदस्थ हैं — यानी एक ऐसा विभाग जो आम जनता की राशन वितरण प्रणाली, सब्सिडी और खाद्य सुरक्षा योजनाओं से सीधा जुड़ा हुआ है।

कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि

“अगर किसी अधिकारी पर भ्रष्टाचार या अवैध संपत्ति का आरोप है, तो यह जनता के विश्वास पर सीधा आघात है। ऐसी जांचों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।”


कानूनी विशेषज्ञों की राय

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आय से अधिक संपत्ति के आरोपों में दम पाया जाता है, तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(e) के तहत कठोर कार्रवाई की जा सकती है।
इसमें अभियुक्त को संपत्ति जब्त होने के साथ-साथ 7 से 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।

वरिष्ठ अधिवक्ता रवि बहुगुणा ने कहा,

“आय से अधिक संपत्ति के मामले केवल वित्तीय जांच नहीं होते, यह प्रशासनिक आचरण और पब्लिक ट्रस्ट से जुड़े मामले होते हैं। अगर यह सिद्ध होता है कि संपत्ति सेवा काल में और घोषित आय से परे अर्जित हुई है, तो कार्रवाई अनिवार्य है।”


राज्य सरकार ने मांगा समय

राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि

“मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रारंभिक तथ्य जुटाए जा रहे हैं। विभागीय रिकॉर्ड और संपत्ति विवरण की जांच की जा रही है। जल्द ही अदालत में विस्तृत जवाब दाखिल किया जाएगा।”

अदालत ने यह तर्क स्वीकार करते हुए कहा कि

“राज्य को अपनी जांच तेजी से पूरी कर अदालत के समक्ष तथ्यों के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।”


आगे की सुनवाई चार सप्ताह बाद

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए चार सप्ताह बाद की तारीख तय की है। इस अवधि में सभी पक्षों को अपना-अपना जवाब दाखिल करना होगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी पक्ष ने जवाब दाखिल नहीं किया, तो अगली सुनवाई में एकतरफा आदेश पारित किया जा सकता है।


पारदर्शिता की परीक्षा बनेगा यह मामला

हरिद्वार के खाद्य आपूर्ति अधिकारी पर आय से अधिक संपत्ति के आरोपों का यह मामला अब पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया है। यह मामला न केवल भ्रष्टाचार नियंत्रण प्रणाली की प्रभावशीलता, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता की भी परीक्षा है।

अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि — राज्य सरकार और ईडी की जांच क्या दिशा लेती है, और क्या वाकई सरकारी सेवा में रहते हुए एक अधिकारी ने करोड़ों की संपत्ति अर्जित की, या फिर यह केवल आरोपों तक सीमित रह जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button