
देहरादून/नई दिल्ली: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को फिर साबित कर दिया कि राज्य सरकार जनजातीय समाज के कल्याण के लिए पूरी तरह संकल्पबद्ध है। मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में चयनित 15 सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र सौंपे। साथ ही 15 करोड़ रुपये से अधिक लागत की विभिन्न विभागीय निर्माण योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया।
सीएम धामी ने कहा कि ये योजनाएं न केवल जनजातीय समाज की आधारभूत सुविधाओं को मजबूत करेंगी, बल्कि स्थानीय नागरिकों को बेहतर अवसर और सुविधाएं भी प्रदान करेंगी। उन्होंने नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि युवा शिक्षक नई पीढ़ी के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
मोदी सरकार की पहल का जिक्र
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनजातीय समाज के उत्थान के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए जा रहे हैं। सबसे अहम निर्णय भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का है। उन्होंने पूर्व की सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले केवल दिखावे की योजनाएं बनती थीं, लेकिन अब केंद्र और राज्य सरकार मिलकर धरातल पर काम कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने जनजातीय समाज के विकास के लिए बजट को तीन गुना बढ़ाया है। साथ ही एकलव्य मॉडल स्कूल, प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान, वन धन योजना और जनजातीय विकास मिशन जैसी योजनाएं भी लागू की जा रही हैं।
उत्तराखंड में जनजातीय विकास की बड़ी योजनाएं
सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान के तहत उत्तराखंड के 128 जनजातीय गांवों का चयन किया गया है।
- राज्य में वर्तमान में 4 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (कालसी, मेहरावना, बाजपुर और खटीमा) संचालित हो रहे हैं।
- इन स्कूलों में जनजातीय छात्रों को मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल सुविधा उपलब्ध है।
- हाल ही में केंद्र सरकार से पिथौरागढ़ जिले में भोटिया और राजी जनजाति के शैक्षिक उत्थान के लिए भी नया एकलव्य विद्यालय खोलने का अनुरोध किया गया है।
राज्य सरकार ने भी जनजातीय समाज के बच्चों को प्राइमरी से स्नातकोत्तर स्तर तक छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई है। वर्तमान में प्रदेश में 16 राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय संचालित हो रहे हैं। साथ ही तीन आईटीआई संस्थान भी जनजातीय युवाओं को तकनीकी शिक्षा दे रहे हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं और रोजगार पर फोकस
सीएम धामी ने कहा कि जनजातीय समाज के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग भी निःशुल्क दी जा रही है। इसके अलावा छात्रवृत्ति योजनाएं युवाओं को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होंगी।
सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं का संरक्षण
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की प्रेरणा से राज्य सरकार न केवल आर्थिक और शैक्षिक उत्थान कर रही है, बल्कि उत्तराखंड के सांस्कृतिक मूल्यों और जनजातीय परंपराओं को भी संरक्षित रखने के लिए कदम उठा रही है।
उन्होंने बताया कि
- राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया है।
- 9,000 एकड़ से अधिक सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया गया है।
- उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू किया है।
- हालांकि, जनजातीय परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित रखने के लिए अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा गया है।
नई घोषणाएं
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने कई नई घोषणाएं कीं, जिनमें शामिल हैं:
- जनजातीय शोध संस्थान में सौंदर्यीकरण कार्य
- बालिकाओं के लिए हाईटेक शौचालय ब्लॉक
- “आदि लक्ष्य संस्थान” में डाइनिंग हॉल का निर्माण
इन परियोजनाओं का उद्देश्य जनजातीय समाज, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के जीवनस्तर को बेहतर बनाना है।
कार्यक्रम में शामिल प्रमुख लोग
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, विधायक खजान दास, उमेश शर्मा काऊ, सविता कपूर, दलीप सिंह रावत, प्रमोद नैनवाल, जनजाति आयोग की अध्यक्ष लीलावती राणा, समाज कल्याण सचिव श्रीधर बाबू अद्दांकी, जनजाति कल्याण निदेशक संजय टोलिया, समाज कल्याण निदेशक चंद्र सिंह धर्मशक्तू और विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री धामी का यह संदेश साफ है कि राज्य सरकार सिर्फ बुनियादी ढांचे पर ही नहीं, बल्कि शिक्षा, संस्कृति, रोजगार और परंपराओं के संरक्षण पर भी बराबर ध्यान दे रही है। केंद्र और राज्य की संयुक्त पहल से उत्तराखंड का जनजातीय समाज आने वाले वर्षों में सशक्त, आत्मनिर्भर और समृद्ध बन सकेगा।