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उत्तराखंड: सीएम धामी का बड़ा ऐलान, “नकल माफिया जेल में, 25 हजार युवाओं को पारदर्शी नौकरियां मिलीं; अगले साल 10 हजार नियुक्तियां होंगी”

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में राज्य की भर्ती परीक्षाओं और युवाओं को रोजगार देने के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने बीते चार वर्षों में पारदर्शिता और योग्यता के आधार पर 25,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी दी है, और इस दौरान किसी भी परीक्षा में नकल या भ्रष्टाचार जैसी कोई गड़बड़ी नहीं हुई।

सीएम ने दावा किया कि राज्य में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू कर अब तक 100 से अधिक नकल माफियाओं को जेल भेजा जा चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले एक साल में प्रदेश में 10,000 नई सरकारी नियुक्तियां की जाएंगी, जिसका कैलेंडर पहले ही जारी कर दिया गया है।


छात्रों के हितों से समझौता नहीं: धामी

मुख्यमंत्री धामी ने सख्त लहजे में कहा कि जब तक वे जीवित हैं, तब तक राज्य के छात्र-छात्राओं के हितों के साथ कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने कहा—

“हमारी सरकार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को किसी भी हाल में बख्शने वाली नहीं है। अगर कोई नकल कराने की कोशिश करता है या माफियागिरी करके बेटा-बेटियों का भविष्य बर्बाद करता है तो उसके खिलाफ सबसे कठोर कार्रवाई होगी। उत्तराखंड के छात्र-छात्राओं के साथ अन्याय मेरे जीते जी कभी नहीं होने दूंगा।”

धामी ने साफ किया कि उनकी सरकार छात्र हित में लिए जाने वाले फैसलों से एक प्रतिशत भी पीछे नहीं हटेगी


अब तक की बड़ी कार्रवाई

  • नकल रोकने के लिए विशेष कानून पारित किया गया, जिसे देश का सबसे सख्त कानून कहा जा रहा है।
  • कानून लागू होने के बाद अब तक 100 से अधिक आरोपी गिरफ्तार किए गए और जेल की सलाखों के पीछे डाले गए।
  • परीक्षाओं के संचालन में पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्राथमिकता दी गई।
  • पिछले चार सालों में आयोजित परीक्षाओं में 25,000 से अधिक युवाओं को नियुक्तियां दी गईं।

युवाओं का बढ़ा भरोसा

विशेषज्ञों और शिक्षा जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि नकल माफियाओं पर की गई सख्ती से उत्तराखंड के युवाओं का भरोसा राज्य की भर्ती प्रक्रिया पर बढ़ा है। पहले जहां प्रतियोगी परीक्षाओं के बाद अक्सर पेपर लीक और नकल की शिकायतें सामने आती थीं, वहीं हाल के वर्षों में ऐसी कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई।

प्रीतम भट्ट, जो हाल ही में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी में चयनित हुए हैं, का कहना है—

“पहले हमें लगता था कि मेहनत के बावजूद नौकरी नहीं मिलेगी क्योंकि सब पैसे और पहुंच वालों के लिए है। लेकिन अब ऐसा नहीं है। मेरी मेहनत से मुझे नौकरी मिली, इसका श्रेय सरकार की पारदर्शी भर्ती नीति को जाता है।”


विपक्ष का पलटवार

हालांकि, विपक्षी दल सरकार के दावों को लेकर संदेह जता रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि “धामी सरकार केवल बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन वास्तविकता में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है। सरकार को चाहिए कि वह केवल कानून का प्रचार न करे, बल्कि युवाओं को ठोस आंकड़े और रिपोर्ट के जरिए पारदर्शिता साबित करे।”

इस पर सीएम धामी का कहना है कि सरकार के पास हर तथ्य और रिकॉर्ड मौजूद है और अगर विपक्ष चाहे तो वह उन्हें सार्वजनिक करने को भी तैयार हैं। उन्होंने विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा कि “छात्रों के मुद्दे पर राजनीति करने के बजाय सभी दलों को एकजुट होकर नकल माफियाओं के खिलाफ सख्त रुख अपनाना चाहिए।”


अगले साल 10 हजार नई नियुक्तियां

मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि आगामी एक साल में राज्य में 10 हजार नई सरकारी नियुक्तियां होंगी। इनकी चयन प्रक्रिया पहले से घोषित कैलेंडर के मुताबिक होगी और इसमें कोई भी भ्रष्टाचार या नकल की गुंजाइश नहीं होगी। उन्होंने कहा कि इन नियुक्तियों से न केवल युवाओं को रोजगार मिलेगा बल्कि राज्य की कार्यप्रणाली में भी नई ऊर्जा का संचार होगा।


भविष्य की राह

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि धामी सरकार ने भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता को बड़ा मुद्दा बनाकर युवाओं के बीच एक सकारात्मक संदेश भेजा है। चूंकि उत्तराखंड एक युवा राज्य है और यहां बड़ी आबादी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती है, ऐसे में नकल विरोधी कानून और रोजगार के अवसर सीधे चुनावी राजनीति पर असर डाल सकते हैं।

सीएम पुष्कर सिंह धामी का यह बयान एक स्पष्ट संदेश देता है कि उत्तराखंड सरकार युवाओं और छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। नकल माफियाओं के खिलाफ की गई कड़ी कार्रवाई, 25 हजार युवाओं को दी गई पारदर्शी नौकरियां और आने वाले साल में 10 हजार नई नियुक्तियों की घोषणा इस दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

जहां एक ओर सरकार इसको अपनी उपलब्धि बताकर जनता के बीच जा रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे महज चुनावी वादा करार दे रहा है। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि नकल विरोधी कानून और पारदर्शी भर्ती व्यवस्था ने उत्तराखंड के युवाओं के मन में नई उम्मीद और भरोसा जगाया है।

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