Uttarakhand: बागेश्वर में बच्चे की मौत: स्वास्थ्य विभाग की बड़ी कार्रवाई, सीएम धामी का संदेश – लापरवाही बर्दाश्त नहीं

उत्तराखंड के बागेश्वर ज़िला चिकित्सालय में हुई एक बच्चे की मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। इस दर्दनाक घटना में सामने आई गंभीर लापरवाही पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तुरंत सख्त रुख अपनाते हुए स्वास्थ्य विभाग को दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चिकित्सकों, अधिकारियों और कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कदम उठाए। सरकार का साफ संदेश है कि स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और हर अधिकारी-कर्मचारी को पूरी संवेदनशीलता के साथ अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
कैसे सामने आया मामला
बागेश्वर ज़िला अस्पताल में भर्ती एक बच्चे की हालत बिगड़ी और समय पर उचित उपचार एवं एम्बुलेंस की सुविधा न मिलने के चलते उसकी मौत हो गई। इस घटना ने न केवल पीड़ित परिवार को गहरे सदमे में डाला, बल्कि स्थानीय लोगों में भी आक्रोश फैल गया। जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट और कारण बताओ नोटिस के जवाबों में कई अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई।
जिम्मेदारों पर गिरी गाज
जांच रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने दोषियों के खिलाफ निम्नलिखित कार्रवाई की:
- डॉ. तपन शर्मा (प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, बागेश्वर)
प्रशासनिक अक्षमता और एम्बुलेंस व्यवस्था सुनिश्चित न करने के आरोप में तत्काल पदमुक्त कर निदेशक कुमाऊं मंडल से संबद्ध किया गया। - ईश्वर सिंह टोलिया और लक्ष्मण कुमार (108 वाहन चालक)
ड्यूटी में उदासीनता पर एक माह तक सेवा से विरक्त करने और अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश। - महेश कुमार, श्रीमती हिमानी (नर्सिंग अधिकारी) और सूरज सिंह कन्नाल (कक्ष सेवक)
ड्यूटी के प्रति असंवेदनशीलता दिखाने पर कठोर चेतावनी जारी की गई। - डॉ. भूरेन्द्र घटियाल (चिकित्साधिकारी)
कर्तव्यों में लापरवाही पर चेतावनी। - डॉ. अंकित कुमार (बाल रोग विशेषज्ञ)
संघर्षरत बच्चे के प्रति संवेदनहीन रवैये पर प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज।
स्वास्थ्य सचिव का बयान
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा:
“यह घटना अत्यंत दुखद है। मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर त्वरित कार्रवाई की गई है। स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विभाग का संदेश साफ है – हर अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी पूरी संवेदनशीलता से निभाए, अन्यथा कठोर कार्रवाई के लिए तैयार रहे।”
परिवार की पीड़ा और जनता का आक्रोश
बच्चे की मौत ने उसके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। परिजनों ने स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को जिम्मेदार ठहराया। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर अस्पताल प्रशासन और एम्बुलेंस सेवा समय पर सक्रिय होती, तो मासूम की जान बच सकती थी।
कई सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना पर नाराज़गी जताते हुए सरकार से स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने और जवाबदेही तय करने की मांग की।
सीएम धामी का सख्त संदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कहा है कि उनकी सरकार आम जनता को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी दोहराया कि “किसी भी स्थिति में मरीज की जान से खिलवाड़ स्वीकार्य नहीं। स्वास्थ्य सेवाओं में संवेदनशीलता सर्वोपरि है। जो भी अधिकारी या कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल होगा, उसके खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे।”
राजनीतिक और सामाजिक असर
यह मामला अब राज्य की राजनीति और स्वास्थ्य नीतियों पर भी बहस छेड़ रहा है। विपक्ष ने जहां स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों पर सवाल खड़े किए हैं, वहीं सरकार समर्थक इसे सीएम धामी के सख्त प्रशासनिक रवैये का उदाहरण बता रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता मानते हैं कि इस घटना ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में मौजूद कई कमियों को उजागर किया है। ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में अक्सर एम्बुलेंस और चिकित्सकों की अनुपलब्धता जैसी समस्याएं सामने आती हैं।
भविष्य की दिशा: सुधार की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना को सबक बनाकर स्वास्थ्य विभाग को व्यापक सुधार की दिशा में कदम उठाने होंगे।
- अस्पतालों में एम्बुलेंस और आपातकालीन सेवाओं की नियमित मॉनिटरिंग
- ग्रामीण इलाकों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता
- स्वास्थ्य कर्मियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए कठोर नियम
- लापरवाही पर त्वरित कार्रवाई की पारदर्शी व्यवस्था
इन कदमों से ही जनता का भरोसा बहाल हो सकेगा और ऐसी दर्दनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकेगी।
बागेश्वर में बच्चे की मौत का मामला केवल एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम को झकझोरने वाला है। सीएम धामी और स्वास्थ्य विभाग की त्वरित कार्रवाई ने यह संकेत दिया है कि सरकार जनता की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बेहद गंभीर है।
अब देखना होगा कि यह कार्रवाई केवल तात्कालिक कदम तक सीमित रहती है या फिर इसे आधार बनाकर उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा और नई मजबूती मिलती है।