
चमोली/ज्योतिर्मठ, 31 जुलाई | विशेष संवाददाता: उत्तराखंड के चमोली जिले के ज्योतिर्मठ ब्लॉक स्थित सलूड़-डुंगरा गांव में बुधवार सुबह दो महिलाओं पर भालू ने अचानक हमला कर दिया। हमले में एक महिला को भालू ने खेतों की ओर करीब 20 मीटर नीचे धक्का दे दिया, जबकि दूसरी महिला पर हमला कर उसे लहूलुहान कर दिया। घटना के बाद दोनों महिलाएं जैसे-तैसे पैदल चलकर गांव पहुंचीं, जहां से परिजनों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया।
हमले की पूरी घटना
घटना बुधवार सुबह करीब 10 बजे की है, जब भगवती देवी (57) पत्नी भरत सिंह और बूंदा देवी (40) पत्नी दिगंबर सिंह पंवार गांव से एक किलोमीटर दूर कुराला तोक इलाके में खेतों की ओर घास लेने जा रही थीं। इसी दौरान झाड़ियों में घात लगाए बैठे भालू ने पीछे से भगवती देवी पर हमला कर दिया।
उसके चिल्लाने पर भालू ने उसे करीब 20 मीटर नीचे खेतों की ओर धक्का दे दिया और इसके बाद बूंदा देवी की ओर दौड़ पड़ा।
हालांकि बूंदा देवी के जोर-जोर से चिल्लाने पर भालू जंगल की ओर भाग गया, लेकिन तब तक वह गंभीर रूप से घायल हो चुकी थीं।
एक किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचीं गांव
हमले के बाद बूंदा देवी खेत में गिरी भगवती देवी के पास पहुंचीं और दोनों महिलाओं ने जैसे-तैसे एक किलोमीटर पैदल चलकर गांव पहुंचकर अपने परिजनों को पूरी घटना की जानकारी दी।
अस्पताल में भर्ती, एक महिला जिला अस्पताल रेफर
परिजन घायल महिलाओं को तुरंत लेकर सीएचसी ज्योतिर्मठ पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद बूंदा देवी को जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुराग धनिक ने बताया कि भगवती देवी को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है, जबकि बूंदा देवी के सिर, हाथ और पैर में गंभीर घाव हैं।
ग्रामीणों ने उठाई सुरक्षा और मुआवजे की मांग
घटना के बाद ग्रामीण सुभाष सिंह और दिगंबर सिंह ने प्रशासन और वन विभाग से पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की है।
साथ ही, क्षेत्र में वन विभाग की गश्त बढ़ाने और भालू की लगातार मौजूदगी पर निगरानी की मांग भी की गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस इलाके में वन्यजीवों की हलचल लगातार बढ़ रही है, जिससे ग्रामीणों की जान पर खतरा मंडरा रहा है।
पहाड़ी इलाकों में बढ़ती मानव-वन्यजीव मुठभेड़
उत्तराखंड के कई जिलों, विशेषकर चमोली, बागेश्वर, और टिहरी में पिछले कुछ वर्षों से भालू और गुलदार (तेंदुए) के हमलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, वन क्षेत्रों में भोजन की कमी और मानवीय बस्तियों का फैलाव इसका मुख्य कारण है।