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Uttarakhand: आदि कैलाश मैराथन : राज्य स्थापना की रजत जयंती पर खेल, पर्यटन और विकास का होगा संगम

देहरादून। उत्तराखण्ड अपनी भौगोलिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और साहसिक खेलों की असीम संभावनाओं के लिए जाना जाता है। राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 2 नवंबर 2025 को व्यास घाटी के गूंजी गांव से शुरू होने वाली आदि कैलाश परिक्रमा रन (अल्ट्रा मैराथन) न केवल एक खेल आयोजन है, बल्कि यह प्रदेश की नई पहचान गढ़ने का प्रयास भी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास से इस ऐतिहासिक आयोजन की प्रोमो रन का फ्लैग ऑफ कर आधिकारिक शुरुआत की।

आयोजन का महत्व और उद्देश्य

मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कहा कि “आदि कैलाश मैराथन” साहसिक और शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने, युवाओं को नशामुक्त और स्वस्थ जीवन के लिए प्रेरित करने तथा सीमांत क्षेत्रों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बनेगी। उनका मानना है कि जब कोई आयोजन स्थानीय समाज, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ता है, तभी वह स्थायी प्रभाव छोड़ पाता है।

आयोजन का उद्देश्य केवल खिलाड़ियों की endurance (सहनशक्ति) की परीक्षा लेना नहीं है, बल्कि उत्तराखण्ड के सीमांत गांवों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करना भी है।

कठिन लेकिन प्रेरणादायी ट्रैक

यह अल्ट्रा मैराथन समुद्र तल से 10,300 से 15,000 फीट की ऊँचाई पर आयोजित होगी। यह केवल एक दौड़ नहीं, बल्कि पर्वतीय जीवन की चुनौतियों और खूबसूरती का अनुभव भी कराएगी। आयोजकों ने इसे पाँच श्रेणियों में बांटा है –

  • 60 किमी अल्ट्रा रन
  • 42 किमी फुल मैराथन
  • 21 किमी हाफ मैराथन
  • 10 किमी रन
  • 5 किमी रन

सचिव पर्यटन धीराज गर्ब्याल के अनुसार, विजेताओं के लिए कुल ₹50 लाख की पुरस्कार राशि तय की गई है। साथ ही, 10 किमी प्रोमो रन में शीर्ष तीन विजेताओं को सीधे पिथौरागढ़ के गूंजी में आयोजित होने वाली मुख्य प्रतियोगिता में विशेष प्रतिभाग का अवसर मिलेगा।

सीमांत क्षेत्रों के विकास की दिशा में कदम

उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा संकट पलायन है। सीमांत क्षेत्रों के गांव, जहाँ कभी जीवन और संस्कृति की चहल-पहल थी, आज खाली हो चुके हैं। मुख्यमंत्री धामी का मानना है कि पर्यटन आधारित आजीविका ही पलायन की इस समस्या का स्थायी समाधान बन सकती है।

मैराथन के जरिए स्थानीय लोगों को होम-स्टे, गाइडिंग, हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजनों से जुड़ने के अवसर मिलेंगे। इससे युवाओं को अपने ही गांव में रोजगार उपलब्ध होगा और गांवों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।

यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की वाईब्रेंट विलेज योजना से भी जुड़ी है, जिसका उद्देश्य सीमांत गांवों को सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से मजबूत करना और वहां बुनियादी ढांचे का विकास करना है।

पर्यटन और वैश्विक पहचान

उत्तराखण्ड पहले से ही चारधाम यात्रा, हिमालयी ट्रेकिंग और एडवेंचर टूरिज्म के लिए प्रसिद्ध है। “आदि कैलाश मैराथन” इससे एक कदम आगे बढ़कर राज्य को वैश्विक मैराथन डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित कर सकती है। जिस तरह बोस्टन, बर्लिन और लंदन मैराथन विश्व एथलेटिक्स कैलेंडर का हिस्सा बन चुकी हैं, उसी तरह व्यास और नीति घाटी भी आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकती है।

धीराज गर्ब्याल ने बताया कि इस आयोजन की सफलता के बाद जून 2026 में माणा-नीति क्षेत्र में अगली मैराथन आयोजित की जाएगी। इससे उत्तराखण्ड के अलग-अलग सीमांत क्षेत्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने की संभावना है।

सामाजिक संदेश और युवाओं का उत्साह

रविवार को आयोजित प्रोमो रन में प्रदेशभर से बच्चों, युवाओं और विभिन्न आयु वर्ग के लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। दौड़ का समापन उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद कार्यालय में हुआ। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, आईजी आईटीबीपी संजय गुंज्याल, अपर सचिव पर्यटन अभिषेक रूहेला और अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह आयोजन नशामुक्त उत्तराखण्ड की दिशा में भी एक सकारात्मक संदेश देगा। खेलों के जरिए युवाओं में अनुशासन, स्वस्थ जीवनशैली और आत्मविश्वास का विकास होता है।

“आदि कैलाश परिक्रमा रन” केवल एक खेल आयोजन नहीं है, बल्कि यह उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक सुंदरता और सीमांत गांवों की पहचान को नई ऊर्जा देने वाला अवसर है। अगर यह आयोजन अपेक्षित सफलता पाता है, तो यह निश्चित ही पलायन रोकने, पर्यटन को गति देने और राज्य की अर्थव्यवस्था को नए आयाम देने में कारगर साबित होगा।

राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर आयोजित यह पहल आने वाले वर्षों में उत्तराखण्ड को एडवेंचर और स्पोर्ट्स टूरिज्म का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।

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