
नई दिल्ली: देश में नकली बीज और मिलावटी कीटनाशकों के बढ़ते मामलों पर केंद्र सरकार अब कड़े कदम उठाने की तैयारी में है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को मुंबई में आयोजित एशियाई बीज कांग्रेस 2025 में घोषणा की कि सरकार आगामी 1 दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र में नया सीड एक्ट और पेस्टिसाइड एक्ट पेश करेगी। मंत्री ने स्पष्ट कहा कि किसानों के साथ किसी भी तरह की धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
नकली बीज और कीटनाशकों पर सख्ती, संसद में आएगा नया कानून
किसान को बर्बाद नहीं होने देंगे: शिवराज सिंह चौहान
चौहान ने कार्यक्रम में स्पष्ट कहा, “अगर कोई डीलर नकली सीड्स बेचता है तो उसे कैसे रोका जाए? इस बार हमने तय किया है। संसद के बजट सत्र में हम पेस्टिसाइड और सीड दोनों एक्ट लेकर आएंगे। हम किसान को बर्बाद नहीं होने दे सकते।”
कृषि मंत्री के इन शब्दों से साफ संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार कृषि इनपुट की गुणवत्ता को लेकर अब शून्य सहनशीलता की नीति अपनाने जा रही है।
सरकार क्यों लाई नया कानून?
देशभर से बढ़ीं शिकायतें—बीज खराब, कीटनाशक नकली
बीते एक साल में देश के कई राज्यों—महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, तेलंगाना और हरियाणा सहित—से खराब बीज, कम अंकुरण दर और मिलावटी कीटनाशकों की शिकायतों में इजाफा हुआ है।
कई मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। किसानों को हुए भारी नुकसान और बढ़ते विवादों को देखते हुए कृषि मंत्रालय ने नए कानून की दिशा में कदम तेज कर दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, राज्यों ने भी केंद्र से आग्रह किया था कि मौजूदा नियमों में संशोधन जरूरी है, क्योंकि काला बाज़ार, मिलावटी रसायन और फर्जी बीज पैकेट्स का धंधा लगातार बढ़ रहा है।
बीज विधेयक 2025: क्या होगा नया?
कृषि मंत्रालय के अनुसार, बीज विधेयक 2025 के मसौदे में कई बड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिनमें प्रमुख हैं—
1. गुणवत्ता पर सख्त नियंत्रण
- बाजार में बिकने वाले हर बीज और रोपण सामग्री की गुणवत्ता प्रमाणित होगी।
- पैकेजिंग, लेबल और अंकुरण दर की निगरानी पहले से अधिक कड़ी होगी।
2. किसानों को संरक्षण
- कृषि निवेश में धोखाधड़ी रोकने के लिए सख्त दंड प्रावधान।
- फर्जी या घटिया बीज से नुकसान होने पर किसानों को मुआवजा।
3. सस्ती और बेहतर किस्मों की उपलब्धता
- किसानों को किफायती दरों पर उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराना लक्ष्य।
- वैश्विक किस्मों का आयात आसान किया जाएगा ताकि किसान दुनिया की बेहतरीन तकनीक और किस्मों तक पहुँच सकें।
4. नवाचार को बढ़ावा
- नई किस्मों के विकास, अनुसंधान और निजी क्षेत्र के इनोवेशन को प्रोत्साहन।
- बीज कंपनियों के लिए आसान नियम लेकिन कड़े मानक।
5. पारदर्शिता और जवाबदेही
- संपूर्ण सीड सप्लाई चेन—उत्पादन, पैकेजिंग, स्टोरेज से लेकर बिक्री तक—को मॉनिटर करने की व्यवस्था।
- दोषी पाए जाने पर लाइसेंस रद्द और कानूनी कार्रवाई।
पेस्टिसाइड एक्ट में क्या होगा बड़ा बदलाव?
कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार—
- मिलावटी, प्रतिबंधित या कम क्षमता वाले कृषि रसायनों की बिक्री पर कड़ी सजा।
- रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में पारदर्शिता।
- ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कीटनाशकों की बिक्री पर भी खास नियम।
- सभी उत्पादों का डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम संभव।
कृषि मंत्री ने बीज कंपनियों को घेरा
शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस में मौजूद देश की प्रमुख बीज कंपनियों को स्पष्ट चेतावनी भरे शब्दों में संबोधित किया।
उन्होंने सवाल किया—
“घटिया बीज एक समस्या है और वो समस्या आपके बीच के ही कुछ लोगों से पैदा हुई है। इसे कौन रोकेगा? आपने कमेटी बनाई हुई है—वो काम करती है या नहीं?”
मंत्री ने कंपनियों को सलाह दी कि वे स्वयं-नियमन की दिशा में तेजी से कदम उठाएं और किसान के हितों को सर्वोपरि रखें।
उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
बीज उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि—
- नया कानून बाजार को व्यवस्थित करेगा,
- फर्जी उत्पादों के कारोबार पर शिकंजा कसेगा,
- और वास्तविक कंपनियों की साख मजबूत होगी।
कुछ कंपनियों ने आशंका जताई है कि अत्यधिक नियम कठोर हुए तो अनुसंधान लागत बढ़ सकती है, लेकिन सरकार का कहना है कि “नियम किसान हित में और घरेलू उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए हैं”।
कृषि क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
विशेषज्ञ मानते हैं कि नया कानून लागू होने पर—
- नकली बीज की बिक्री में बड़ी कमी आएगी,
- उपज बढ़ेगी,
- उत्पादन लागत कम होगी,
- और किसानों का विश्वास सिस्टम में लौटेगा।
यह कदम कृषि क्षेत्र की दीर्घकालिक स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सरकार सख्त, उद्योग सजग, किसान उम्मीद में
बीज और कीटनाशक उद्योग देश के कृषि क्षेत्र की नींव होते हैं। नकली या घटिया उत्पाद सिर्फ उपज कम नहीं करते, बल्कि किसानों की आर्थिक सुरक्षा और आने वाली फसल को भी जोखिम में डालते हैं।
सरकार के इस नए बिल से उम्मीद है कि एक मजबूत और पारदर्शी कृषि इनपुट बाजार तैयार होगा, जिसमें किसान केंद्र में, और गुणवत्ता सर्वोच्च होगी।



