
चेन्नई/तिरुप्पुर : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। यूरोप के आधिकारिक दौरे पर गए स्टालिन ने सवाल उठाया कि आखिर किस आधार पर सस्ती रूसी कच्चे तेल की सप्लाई गुजरात की रिफाइनरियों तक पहुंचाई जा रही है, जबकि तमिलनाडु के तिरुप्पुर जैसे औद्योगिक इलाकों में निर्यातक अमेरिकी टैरिफ की भारी मार झेल रहे हैं।
यह बयान तब सामने आया जब सोमवार को तिरुप्पुर में हजारों मजदूरों और निर्यातकों ने जोरदार प्रदर्शन किया। तिरुप्पुर को “देश की होजियरी कैपिटल” कहा जाता है और यहां से बड़े पैमाने पर टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स का निर्यात अमेरिका और यूरोप में होता है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर दबाव बनाने के लिए भारत समेत कई देशों से आने वाले उत्पादों पर 50% टैरिफ लागू कर दिया है।
भारी नुकसान और बंद होने की कगार पर यूनिट्स
टैरिफ का सीधा असर तिरुप्पुर की टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर पड़ा है। यहां करीब 10,000 से ज्यादा छोटे-बड़े निर्यातक और लगभग 6 लाख से अधिक मजदूर सीधे तौर पर काम करते हैं। उद्योग संगठनों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में अब तक करीब 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
एक स्थानीय उद्योगपति आर. सुंदरम ने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि अमेरिकी बाजार में अचानक इतना बड़ा झटका लगेगा। हमारे पास पहले से ही कपास की कीमतों और बिजली दरों की समस्या थी। अब टैरिफ ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। अगर सरकार तुरंत कदम नहीं उठाती तो हजारों यूनिट्स को ताले लगाने पड़ सकते हैं।”
मजदूरों की दुश्वारी
नुकसान का सबसे बड़ा असर तिरुप्पुर के मजदूर वर्ग पर पड़ा है। जिन परिवारों की रोज़ी-रोटी पूरी तरह से इन फैक्ट्रियों पर निर्भर है, उनके सामने रोज़गार छिनने का खतरा खड़ा हो गया है। प्रदर्शन में शामिल मजदूर संघ के एक नेता ने कहा, “हम रोज़ाना 10 से 12 घंटे काम करते हैं। फैक्ट्री मालिक कह रहे हैं कि ऑर्डर घट गए हैं, इसलिए काम भी कम हो जाएगा। इसका मतलब है कि मजदूरी घटेगी और कई लोगों की नौकरी जाएगी।”
स्टालिन का केंद्र पर हमला
मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस संकट पर केंद्र सरकार को सीधे कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, “अगर गुजरात की रिफाइनरियों को फायदा पहुंचाने के लिए सस्ता रूसी तेल आयात किया जा सकता है, तो तिरुप्पुर के श्रमिकों और उद्यमियों को बचाने के लिए भी केंद्र को कदम उठाना चाहिए। तमिलनाडु के हितों की अनदेखी नहीं की जा सकती।”
स्टालिन ने यह भी कहा कि तिरुप्पुर केवल तमिलनाडु की नहीं बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। “यहां की टेक्सटाइल इंडस्ट्री भारत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाती है। अगर इसे बचाने की योजना नहीं बनाई गई, तो देश की निर्यात नीति पर भी गंभीर असर पड़ेगा।”
राजनीतिक पुट
स्टालिन के इस बयान को राजनीतिक रंग भी मिल रहा है। डीएमके नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार गुजरात को प्राथमिकता देकर दक्षिणी राज्यों के साथ भेदभाव कर रही है। दूसरी ओर भाजपा नेताओं का कहना है कि यह बयान महज़ राजनीति है और सरकार अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आगे आने वाले लोकसभा चुनावों में भी गूंज सकता है। तमिलनाडु जैसे राज्यों में जहां औद्योगिक रोजगार का बड़ा हिस्सा निर्यात पर आधारित है, वहां यह मुद्दा सीधे-सीधे मतदाताओं के जीवन से जुड़ा हुआ है।
केंद्र की चुप्पी
फिलहाल केंद्र सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अमेरिका के साथ उच्च स्तरीय वार्ता चल रही है और भारत सरकार इस टैरिफ फैसले के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रही है। लेकिन जब तक कोई ठोस राहत नहीं मिलती, तब तक तिरुप्पुर जैसे औद्योगिक शहरों का संकट गहराता ही जाएगा।
तिरुप्पुर का महत्व
तिरुप्पुर की टेक्सटाइल इंडस्ट्री हर साल लगभग 30,000 करोड़ रुपये का निर्यात करती है। यहां बने निटवेअर और होजियरी प्रोडक्ट्स दुनिया भर में पसंद किए जाते हैं। अमेरिका इसका सबसे बड़ा बाजार है, जहां लगभग 40% निर्यात होता है। लेकिन अब टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी खरीदार ऑर्डर कम कर रहे हैं और सस्ते विकल्पों की तलाश में बांग्लादेश, वियतनाम और कंबोडिया की ओर रुख कर रहे हैं।
भविष्य की राह
उद्योग संगठन चाहते हैं कि केंद्र सरकार तुरंत राहत पैकेज की घोषणा करे। साथ ही निर्यातकों को टैक्स में छूट, सब्सिडी और सस्ती क्रेडिट सुविधा दी जाए ताकि वे अमेरिकी टैरिफ से निपट सकें। इसके अलावा कूटनीतिक स्तर पर अमेरिका से बातचीत कर टैरिफ में छूट दिलाने की मांग भी तेज हो रही है।
अमेरिका के टैरिफ फैसले ने तिरुप्पुर की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को गहरे संकट में डाल दिया है। यह केवल आर्थिक नुकसान का मामला नहीं है, बल्कि लाखों मजदूरों की रोज़ी-रोटी और पूरे क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक स्थिरता पर सवाल खड़ा करता है। मुख्यमंत्री स्टालिन के बयान ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर ला दिया है, लेकिन असली राहत तभी मिलेगी जब केंद्र सरकार ठोस कदम उठाएगी।