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उत्तराखंडफीचर्ड

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व घोटाला: ईडी की बड़ी कार्रवाई, 1.75 करोड़ की संपत्ति अटैच, पूर्व डीएफओ के बेटे और पूर्व रेंजर की पत्नी पर शिकंजा

देहरादून | विशेष संवाददाता: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में 6000 से अधिक पेड़ों की अवैध कटाई और ₹215 करोड़ से ज्यादा की वित्तीय अनियमितताओं के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कड़ा एक्शन लिया है। देहरादून स्थित ईडी कार्यालय ने मामले के मुख्य आरोपी पूर्व डीएफओ किशन चंद के दो बेटों – अभिषेक कुमार सिंह और योगेंद्र कुमार सिंह, तथा पूर्व रेंजर की पत्नी राजलक्ष्मी के नाम दर्ज कुल ₹1.75 करोड़ की संपत्ति को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है।


हरिद्वार और बिजनौर में संपत्तियों पर कार्रवाई

ईडी के मुताबिक, जब्त की गई संपत्तियों में उत्तराखंड के हरिद्वार और उत्तर प्रदेश के बिजनौर में स्थित कई प्लॉट शामिल हैं। इससे पहले दिसंबर 2023 में भी ईडी ने इस मामले में ₹31.8 करोड़ मूल्य की संपत्ति को जब्त किया था, जिनमें स्कूल, स्टोन क्रशर, भवन और कृषि भूमि शामिल थे।


भ्रष्टाचार से खरीदी गई संपत्ति का खुलासा

जांच में यह सामने आया है कि सरकारी धन का दुरुपयोग कर किशन चंद और उनके सहयोगियों ने परिजनों के नाम पर अवैध संपत्तियां खरीदीं। इन संपत्तियों की खरीद फर्जी बिलों, अनुमतियों और परियोजनाओं के ज़रिए अर्जित भ्रष्टाचार के पैसे से की गई थी।


जांच की टाइमलाइन: विजिलेंस से ईडी तक

  • 2021: दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल होने के बाद एनटीसीए ने जांच शुरू की।
  • 2022: उत्तराखंड विजिलेंस की जांच में घोटाले का खुलासा, दो अधिकारी गिरफ्तार।
  • 2023: हाईकोर्ट के निर्देश पर मामला सीबीआई को सौंपा गया।
  • दिसंबर 2023: ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच शुरू की।

किसकी भूमिका बनी संदिग्ध?

इस पूरे घोटाले में पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। ईडी और सीबीआई की जांच के दौरान देहरादून स्थित एक शिक्षण संस्थान और पेट्रोल पंप पर छापेमारी भी की गई। हालांकि उनके खिलाफ अब तक आधिकारिक आरोप नहीं तय हुए हैं।


6000 से अधिक पेड़ों का अवैध कटान, 215 करोड़ का घोटाला

भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) की रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि पाखरो रेंज में 6000 से अधिक पेड़ काटे गए। वहीं, बिना किसी वैध अनुमोदन और बजटीय स्वीकृति के, टाइगर सफारी, एलिफेंट वॉल, कंडी मार्ग और अन्य निर्माण कार्यों में ₹215 करोड़ से अधिक का फर्जी खर्च दिखाया गया।


नामजद अधिकारी

जिन अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे हैं, वे हैं:

  • जेएस सुहाग (पूर्व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, अब दिवंगत)
  • सुशांत पटनायक (पूर्व मुख्य वन संरक्षक)
  • राहुल (तत्कालीन निदेशक, कॉर्बेट)
  • अखिलेश तिवारी (तत्कालीन डीएफओ)
  • किशन चंद (पूर्व डीएफओ – गिरफ्तार)
  • मथुरा सिंह (तत्कालीन रेंजर)
  • बृज बिहारी शर्मा (तत्कालीन रेंजर – गिरफ्तार)
  • एलआर नाग (वन अधिकारी)

अब आगे क्या?

फिलहाल, राज्य सरकार की अनुमति से केवल किशन चंद और बृज बिहारी शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। बाकी अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर निर्णय लंबित है। वहीं ईडी की जांच अब मनी ट्रेल और धन के अंतिम लाभार्थियों की ओर बढ़ रही है।

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