
श्रीनगर : अमरनाथ यात्रा 2025 की तैयारियों ने पूरे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व स्तर पर पहुँचा दिया है। 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलने वाली 38 दिवसीय यात्रा से पहले घाटी में 42,000 से अधिक सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है, जो CRPF, BSF, CISF, ITBP और SSB जैसे केंद्रीय अर्धसैनिक बलों से हैं।
इस साल सुरक्षा को लेकर सरकार की सतर्कता बढ़ी हुई है क्योंकि अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद से अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं।
तकनीक से लैस निगरानी: ड्रोन, CCTV और AI की तैनाती
सिर्फ सुरक्षाबलों की मौजूदगी ही नहीं, बल्कि सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल भी किया जा रहा है:
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यात्रा मार्गों और संवेदनशील इलाकों में हजारों CCTV कैमरे लगाए गए हैं।
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ड्रोन के माध्यम से हवाई निगरानी की जा रही है।
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AI तकनीक से संदिग्ध गतिविधियों की पहचान की जा रही है, जिससे संभावित खतरों का पूर्वानुमान लगाया जा सके।
सुरक्षा एजेंसियां, सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस मिलकर एक सहभागिता मॉडल में काम कर रही हैं, ताकि हर परिस्थिति पर त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया दी जा सके।
यात्रा मार्ग: आस्था और चुनौती दोनों
अमरनाथ यात्रा दो प्रमुख मार्गों से की जाती है:
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पहलगाम मार्ग – करीब 48 किमी लंबा, अधिक परंपरागत और सुविधाजनक।
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बालटाल मार्ग – सिर्फ 14 किमी, लेकिन अधिक दुर्गम और खतरनाक।
दोनों मार्गों पर सड़कों की मरम्मत, मेडिकल कैंप, आपातकालीन सेवाएं, और भीड़ नियंत्रण के व्यापक इंतज़ाम किए गए हैं। स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों की मदद से यात्रियों को राहत पहुंचाने की तैयारी पूरी हो चुकी है।
संख्या में हो सकता है नया रिकॉर्ड
पिछले साल यात्रा में 5.12 लाख श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया था। इस साल यह संख्या 6 लाख के पार जा सकती है। अमरनाथ गुफा, जो 3,888 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, में बनने वाला प्राकृतिक हिम शिवलिंग हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होता है।
सरकार का कहना है कि अमरनाथ यात्रा सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राष्ट्र की एकता, परंपरा और सहिष्णुता का प्रतीक भी है।
“हम तीर्थयात्रियों की नहीं, भारत की आत्मा की रक्षा कर रहे हैं,”
— सुरक्षा प्रबंधों पर एक शीर्ष अधिकारी का बयान
अमरनाथ यात्रा 2025 देशभर से श्रद्धालुओं के लिए आस्था की यात्रा है, और सुरक्षा एजेंसियों के लिए जिम्मेदारी और तत्परता की परीक्षा। घाटी में फैली इस सुरक्षा चादर के बीच यह यात्रा न केवल भगवान शिव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि भारत की दृढ़ता और एकजुटता की जीवंत मिसाल भी बन रही है।