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दो महीने की सैलरी रिश्वत में मांगने वाले डाक विभाग के 3 अफसर गिरफ्तार, CBI का बड़ा एक्शन

अपने ही विभाग के कर्मचारी से 10 महीने की रुकी सैलरी रिलीज़ करने के बदले मांगे थे ₹30,000, मेघालय से लेकर त्रिपुरा तक चली कार्रवाई

शिलॉन्ग/नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए डाक विभाग के तीन अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। ये अधिकारी अपने ही विभाग के एक कर्मचारी से उसकी रुकी हुई सैलरी जारी करने के बदले रिश्वत की मांग कर रहे थे। मामला मेघालय के ईस्ट गारो हिल्स जिले का है, जहां सीबीआई ने रंगे हाथों एक आरोपी को पकड़ा, जबकि बाकी दो को अलग-अलग राज्यों से गिरफ्तार किया गया।

गिरफ्तार किए गए तीनों अधिकारियों में विलियमनगर के असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर आदर्श कुमार, सब-डिविजन इंस्पेक्टर एन. हेमंता मीताई, और रोंगजेंग सब-डाकघर के पोस्टमैन अर्जुन रियांग शामिल हैं। सीबीआई ने बताया कि इनके खिलाफ रिश्वतखोरी का मामला 4 अक्टूबर को दर्ज किया गया था।


10 महीने की रुकी सैलरी के बदले मांगे दो महीने की सैलरी रिश्वत में

शिकायतकर्ता — जो कि रोंगजेंग सब-ऑफिस में तैनात एक ग्राम डाक सेवक (Block Post Master) है — ने सीबीआई से शिकायत की थी कि उसकी 10 महीने की सैलरी रुकी हुई थी
वह बार-बार उच्चाधिकारियों से सैलरी रिलीज़ करने की गुहार लगा रहा था, लेकिन विभाग के तीन अधिकारियों ने उससे कहा कि जब तक वह “दो महीने की सैलरी रिश्वत के रूप में नहीं देता,” तब तक उसका भुगतान नहीं किया जाएगा।

शिकायत के अनुसार, आरोपियों ने अंततः ₹30,000 की राशि पर सहमति जताई और यह शर्त रखी कि जैसे ही सैलरी मिले, रिश्वत की रकम उन्हें देनी होगी।

शिकायत दर्ज होने के बाद सीबीआई ने जाल बिछाने की योजना बनाई।
जैसे ही शिकायतकर्ता ने रिश्वत की रकम देने का संकेत दिया, सीबीआई टीम ने मौके पर छापा मारा और असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर आदर्श कुमार को ₹30,000 लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।


शिलॉन्ग और त्रिपुरा में भी हुई गिरफ्तारियां

रंगे हाथों गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने जांच का दायरा बढ़ाया और बाकी दो आरोपियों का पीछा किया।
सीबीआई की टीम ने सब-डिविजन इंस्पेक्टर एन. हेमंता मीताई को शिलॉन्ग से गिरफ्तार किया, जबकि तीसरे आरोपी पोस्टमैन अर्जुन रियांग को त्रिपुरा के धलाई जिले के अम्बासा से दबोचा गया।

सीबीआई सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई कई राज्यों में समन्वय के साथ की गई, जिसमें असम और त्रिपुरा पुलिस की भी सहायता ली गई।
तीनों आरोपियों को स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा, और आगे की पूछताछ के लिए सीबीआई रिमांड की मांग कर सकती है।


सीबीआई ने की कार्रवाई की पुष्टि, कहा — “भ्रष्टाचार पर सख्त रुख जारी रहेगा”

सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एजेंसी को “वेरिफाइड सूचना और ठोस सबूत” मिलने के बाद यह कार्रवाई की गई।
उन्होंने कहा —

“यह बेहद चिंताजनक है कि सरकारी विभागों में वे अधिकारी, जिन्हें जनता की सेवा करनी चाहिए, अपने ही कर्मचारियों से रिश्वत की मांग कर रहे हैं। सीबीआई ऐसे मामलों में ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर काम कर रही है।”

सीबीआई ने यह भी बताया कि जांच अभी जारी है और रिश्वतखोरी में शामिल अन्य लोगों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है।
एजेंसी ने आरोपियों के घरों और कार्यालयों पर तलाशी अभियान भी चलाया है, जिनमें कई दस्तावेज़ और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य ज़ब्त किए गए हैं।


गिरफ्तार आरोपी

  1. आदर्श कुमार – असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर, विलियमनगर
  2. एन. हेमंता मीताई – सब-डिविजन इंस्पेक्टर, विलियमनगर
  3. अर्जुन रियांग – पोस्टमैन, रोंगजेंग सब-डाकघर

डाक विभाग की छवि पर असर, स्थानीय कर्मचारियों में आक्रोश

इस घटना के बाद डाक विभाग (India Post) के भीतर आक्रोश की लहर है। स्थानीय कर्मचारियों ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब सैलरी, प्रमोशन या ट्रांसफर के मामलों में रिश्वत की शिकायतें सामने आई हैं।
एक वरिष्ठ कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया —

“हम महीनों तक वेतन का इंतजार करते हैं। कई बार अधिकारी जानबूझकर देरी करते हैं ताकि रिश्वत की गुंजाइश बने। सीबीआई की यह कार्रवाई बाकी अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है।”

हालांकि विभाग की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।


हाल के वर्षों में CBI की सख्त कार्रवाई

सीबीआई ने पिछले कुछ महीनों में पूर्वोत्तर भारत में भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामलों में कार्रवाई की है।

  • सितंबर 2024 में असम में रेलवे इंजीनियरों से रिश्वत लेने के आरोप में दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था।
  • जून 2024 में मणिपुर में आयकर विभाग के एक अधिकारी को ₹50,000 रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों से यह संकेत मिलता है कि सीबीआई अब छोटे लेकिन जमीनी स्तर पर फैले भ्रष्टाचार पर भी नज़र रख रही है।


न्यायिक प्रक्रिया और संभावित सज़ा

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो दोषी अधिकारियों को 7 से 10 साल तक की सजा और आर्थिक दंड का सामना करना पड़ सकता है।
कानूनी जानकारों का कहना है कि चूंकि यह मामला रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े जाने का है, इसलिए इसमें दोषसिद्धि की संभावना अधिक है।

सीबीआई अदालत में चार्जशीट दाखिल करने से पहले रिश्वत की रकम के स्रोत, लेन-देन के साक्ष्य और डिजिटल रिकॉर्ड का फोरेंसिक परीक्षण करवा रही है।


भ्रष्टाचार के खिलाफ संदेश

इस कार्रवाई ने सरकारी विभागों में व्याप्त “सैलरी रिश्वत” संस्कृति को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
अक्सर निचले स्तर के कर्मचारी वेतन या भत्ते पाने के लिए अपने वरिष्ठों की कृपा पर निर्भर होते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, जब आंतरिक निगरानी तंत्र कमजोर होता है, तो ऐसे “माइक्रो-लेवल करप्शन” बढ़ जाते हैं।

सीबीआई अधिकारियों का कहना है कि आने वाले महीनों में इस तरह के मामलों पर विशेष फोकस रखा जाएगा।
एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा —

“हमारा लक्ष्य सिर्फ बड़े घोटाले उजागर करना नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के भ्रष्टाचार के उन जालों को तोड़ना है जो आम कर्मचारियों और नागरिकों को प्रभावित करते हैं।”

मेघालय में हुई यह कार्रवाई न केवल डाक विभाग बल्कि अन्य सरकारी एजेंसियों के लिए भी चेतावनी है।
एक कर्मचारी की सैलरी के बदले रिश्वत मांगना इस बात का उदाहरण है कि कैसे छोटे स्तर पर फैला भ्रष्टाचार आम नागरिकों की आजीविका को प्रभावित कर सकता है।

सीबीआई की त्वरित और समन्वित कार्रवाई से एक स्पष्ट संदेश गया है —“भ्रष्टाचार चाहे कितना भी छोटा क्यों न हो, अब वह बख्शा नहीं जाएगा।”

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