
तुमकुरु/दावणगेरे (कर्नाटक): कर्नाटक के कई जिलों में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। शनिवार को हुई दो बड़ी घटनाओं ने लोगों में डर और गुस्सा दोनों भर दिया। तुमकुरु जिले के गुब्बी कोर्ट परिसर में एक आवारा कुत्ते ने महिला पर जानलेवा हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं। वहीं, दावणगेरे ज़िले के होन्नाली तालुका में चार बच्चों और एक बुजुर्ग को कुत्तों ने काटकर जख्मी कर दिया।
गुब्बी कोर्ट परिसर में महिला पर हमला
घटना शनिवार को दोपहर की है जब 35 वर्षीय गंगूबाई, जो टिप्तूर तालुका के बीरसांद्रा गांव की रहने वाली हैं, पारिवारिक विवाद से जुड़े मामले में कोर्ट आई थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे ही गंगूबाई शौचालय से बाहर निकलीं, अचानक एक आवारा कुत्ता उन पर टूट पड़ा।
कुत्ता बार-बार चेहरे पर हमला करता रहा और गंगूबाई का मुंह बुरी तरह जख्मी हो गया। महिला की चीख-पुकार सुनकर लोग मौके पर पहुंचे और किसी तरह उन्हें कुत्ते के चंगुल से छुड़ाया। गुस्साए लोगों ने बाद में उस कुत्ते को पकड़कर मार डाला।
घायल महिला को पहले गुब्बी तालुका अस्पताल ले जाया गया और बाद में बेहतर इलाज के लिए बेंगलुरु रेफर कर दिया गया। फिलहाल उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
होन्नाली तालुका में 4 बच्चे और बुजुर्ग घायल
इसी दिन दावणगेरे जिले के होन्नाली तालुका में भी आवारा कुत्तों का खौफ देखने को मिला। मविना कोटे और सासवेहल्ली गांवों में अलग-अलग घटनाओं में चार बच्चों और एक बुजुर्ग पर कुत्तों ने हमला कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि एक बच्चा खेलते हुए अचानक कुत्तों के झुंड का शिकार हो गया। भागते समय कुत्तों ने उसकी पीठ पर बुरी तरह से काट लिया। अन्य बच्चों और बुजुर्ग को भी कुत्तों ने घायल कर दिया। सभी घायलों को इलाज के लिए शिवमोगा मैकगैन अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
लोगों में दहशत, प्रशासन से कार्रवाई की मांग
इन घटनाओं के बाद स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाए जाएं।
लोगों का कहना है कि हर दिन कहीं न कहीं कुत्तों के हमले की घटनाएं हो रही हैं, जिससे बच्चों और महिलाओं का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश और देशभर की समस्या
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिलने के बाद लाखों आवारा कुत्तों को सड़कों पर खुला छोड़ दिया गया है। पशु प्रेमियों और प्रशासन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश में आम लोग परेशानी झेल रहे हैं।
देश के विभिन्न राज्यों से आए दिन कुत्तों के हमले की खबरें सामने आती रहती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह न केवल चोट और संक्रमण का कारण बन रहा है, बल्कि रेबीज जैसी खतरनाक बीमारी का खतरा भी बढ़ा रहा है।
समाधान की तलाश
पशु कल्याण संगठनों का मानना है कि आवारा कुत्तों की समस्या का स्थायी समाधान सिर्फ नसबंदी और टीकाकरण से ही संभव है। लेकिन, जमीनी स्तर पर प्रशासन की तैयारी और संसाधन अक्सर नाकाफी साबित होते हैं।
स्थानीय लोग फिलहाल तत्काल सुरक्षा चाहते हैं। कई जगहों पर ग्राम पंचायतें और नगरपालिकाएं अस्थायी शेल्टर बनाने की योजना बना रही हैं, मगर इन पर काम धीमी गति से चल रहा है।
तुमकुरु और दावणगेरे की घटनाओं ने एक बार फिर दिखा दिया है कि आवारा कुत्तों की समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है। अब यह सिर्फ पशु कल्याण का मुद्दा नहीं, बल्कि जन सुरक्षा का बड़ा सवाल बन गया है। अगर प्रशासन ने जल्द ही ठोस और संतुलित नीति नहीं बनाई तो यह संकट और गहराता जाएगा।