
देहरादून, 10 नवंबर: उत्तराखंड की रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित “उत्तराखंड @25 — रोमांच, अध्यात्म और अनोखी संस्कृति का उत्सव” कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य अब विकास के ऐसे दौर में प्रवेश कर चुका है, जहाँ पर्यटन, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक पहचान मिलकर एक नया उत्तराखंड गढ़ रहे हैं।
सोमवार को हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र, गढ़ी कैंट, देहरादून में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने अल्ट्रा मैराथन रेस का लोगो जारी किया और पर्यटन विभाग द्वारा तैयार की गई कॉफी टेबल बुक “थ्रोन ऑफ द गॉड्स” का विमोचन किया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों से आए होमस्टे संचालकों, एस्ट्रो टूर गाइड्स, टूर मैनेजर्स और पर्वतारोहियों को सम्मानित किया।
“राज्य निर्माण आंदोलन की तपस्या से गढ़ा उत्तराखंड”
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड की रजत जयंती के अवसर पर हर कार्यक्रम राज्य आंदोलनकारियों की त्याग और तपस्या को समर्पित है। उन्होंने कहा,
“25 वर्ष पहले जिस उम्मीद और संघर्ष से यह राज्य बना था, आज वही भावना हमें आगे बढ़ा रही है। आंदोलनकारियों की कुर्बानियों के कारण ही यह धरती विकास के नए शिखर पर पहुंची है।”
मुख्यमंत्री ने रजत जयंती पर्व के सफल आयोजन में सभी विभागों और कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि पिछले ढाई दशकों में राज्य ने इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है।
“जहां सड़कें बनना मुश्किल था, वहाँ अब ऑल-वेदर रोड”
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सर्वांगीण विकास के लक्ष्य पर काम कर रही है। उन्होंने कहा,
“जहां कभी सड़कें बनाना मुश्किल था, आज वहाँ ऑल-वेदर रोड का निर्माण हो रहा है। जहाँ कभी संचार एक सपना था, वहाँ अब डिजिटल उत्तराखंड आकार ले चुका है।”
उन्होंने बताया कि राज्य के दूरस्थ इलाकों में आज बुनियादी सुविधाएं पहुँच रही हैं और युवा पीढ़ी को स्टार्टअप्स और स्वरोजगार योजनाओं के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने के अवसर मिल रहे हैं।
पर्यटन को आत्मनिर्भरता की नई राह
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने पर्यटन को स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनाने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं।
उन्होंने कहा कि “वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना” और “दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास (होमस्टे) योजना” के माध्यम से हजारों युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है।
पर्यटन और आतिथ्य कौशल विकास कार्यक्रमों के तहत अब तक 8,000 से अधिक युवक-युवतियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि टूर गाइड, नैचुरलिस्ट, स्ट्रीट फूड वेंडर और टूर मैनेजर जैसे क्षेत्रों में कौशल विकास के कारण स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार के नए दरवाज़े खुले हैं।
₹5,500 करोड़ की परियोजनाएँ प्रगति पर
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि नई पर्यटन नीति लागू होने के बाद राज्य में 207 निवेशकों की ₹5,500 करोड़ से अधिक की परियोजनाएँ कार्यान्वयन के चरण में हैं।
उन्होंने कहा कि इन निवेशों से राज्य में एडवेंचर टूरिज्म, होमस्टे, होटल इंफ्रास्ट्रक्चर और धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में व्यापक विस्तार होगा।
शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शीतकालीन चारधाम यात्रा के साथ-साथ जादूंग, दारमा घाटी, पंचाचूली बेस कैंप जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी पर्यटन गतिविधियाँ शुरू की जा रही हैं।
“उत्तराखंड: रोमांच और अध्यात्म की धरती”
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड अब केवल तीर्थाटन का नहीं, बल्कि रोमांच और साहसिक खेलों का भी केंद्र बन चुका है।
उन्होंने कहा, “चमोली से टिहरी झील तक, मसूरी से मुनस्यारी तक हर घाटी में रोमांच का नया संसार बस रहा है। पैराग्लाइडिंग, ट्रेकिंग, रिवर राफ्टिंग, माउंटेन बाइकिंग जैसे खेलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।”
उन्होंने यह भी बताया कि एस्ट्रो टूरिज्म, वेड-इन-उत्तराखंड, और स्पिरिचुअल डेस्टिनेशन डेवलपमेंट जैसी अवधारणाएँ राज्य के पर्यटन को नई दिशा दे रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में कहा था — “उत्तराखंड की असली शक्ति उसकी आध्यात्मिक शक्ति है”, और यही ऊर्जा राज्य की पहचान बन रही है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त करने वाली योजनाएँ
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में एक जनपद, दो उत्पाद योजना, हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रांड, स्टेट मिलेट मिशन, फार्म मशीनरी बैंक, एप्पल मिशन, नई पर्यटन नीति, नई फिल्म नीति, वेड-इन-उत्तराखंड और सौर स्वरोजगार योजना जैसी पहलों से स्थानीय स्तर पर रोजगार और आय के अवसरों में तेजी आई है।
उन्होंने कहा कि बीते साढ़े चार वर्षों में उत्तराखंड ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जिनकी गूंज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सुनाई दे रही है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली मान्यता
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2023 और 2024 में जखोल, हर्षिल, सुपी और गुंजी जैसे गाँवों को “सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम” के रूप में चयनित किया गया।
साथ ही, इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म (ICRT) ने वर्ष 2024-25 में “स्किल डेवलपमेंट इन रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म” श्रेणी में उत्तराखंड को विशेष सम्मान प्रदान किया।
उन्होंने कहा कि ये सम्मान राज्य के सतत और जिम्मेदार पर्यटन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
“विकसित भारत 2047 में उत्तराखंड की अहम भूमिका”
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी के उस वक्तव्य का उल्लेख किया जिसमें कहा गया कि “भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए उत्तराखंड को आगामी 25 वर्षों का रोडमैप तय करना होगा।”
मुख्यमंत्री धामी ने कहा,“अगर हर उत्तराखंडी अपने-अपने क्षेत्र में ईमानदारी और निष्ठा से योगदान देगा तो हमारा राज्य न सिर्फ आत्मनिर्भर बल्कि देश के सबसे विकसित राज्यों में से एक बनेगा।”
पुरस्कार और सम्मान
कार्यक्रम के दौरान राज्य के 13 जिलों के सर्वश्रेष्ठ होमस्टे संचालकों को सम्मानित किया गया।
अल्मोड़ा के हरेंद्र सिंह बिष्ट, बागेश्वर के मोहन चंद्र कांडपाल, चमोली की सरिता देवी, देहरादून की नीलम चौहान, हरिद्वार की सुनीता सिंह, चंपावत के नीरज जोशी, रुद्रप्रयाग के कैलाश पुष्पवाण, पौड़ी के त्रिभुवन उनियाल, पिथौरागढ़ के मथुरा दत्त कालोनी, नैनीताल के उमंग वासुदेव, टिहरी के जितेंद्र सिंह, उत्तरकाशी के अखिल पंत और उधम सिंह नगर के दीपक चतुर्वेदी को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम में गणमान्य उपस्थित
इस अवसर पर विधायक खजान दास, सविता कपूर, बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी, सचिव धीराज सिंह गर्ब्याल, अपर सचिव अभिषेक रुहेला समेत बड़ी संख्या में अधिकारी, अतिथि और नागरिक मौजूद रहे.



