
नई दिल्ली/मुंबई | 7 अगस्त 2025: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करते हुए वोटर लिस्ट में हेरफेर का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक की एक विधानसभा सीट के विश्लेषण में मतदाता सूची में गड़बड़ी और संगठित तरीके से वोट चोरी के प्रमाण मिले हैं। राहुल के इस बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। भाजपा और सहयोगी दलों के कई नेताओं ने इस बयान को सिरे से खारिज करते हुए पलटवार किया है।
🗣️ राहुल गांधी का दावा – “छह महीने में जुटाए सबूत”
राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें इस पूरे मामले की जांच करने और सबूत जुटाने में छह महीने लगे। उनके मुताबिक, मतदाता सूची में हेरफेर कर लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ किया गया है। राहुल गांधी ने कहा कि वे जल्द ही इस संबंध में विस्तृत दस्तावेज और डेटा सार्वजनिक करेंगे।
🔥 देवेंद्र फडणवीस का पलटवार – “राहुल की दिमाग की चिप चोरी हो गई”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी के आरोपों को “बेतुका और निराधार” करार दिया। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा—
“मुझे लगता है राहुल गांधी के दिमाग की चिप चुरा ली गई है।”
फडणवीस ने कहा कि राहुल गांधी हर बार हार के बाद झूठे आंकड़े और झूठे आरोप लगाकर जनभावनाओं को भड़काने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि पहले राहुल ने कहा कि महाराष्ट्र में 75 लाख फर्जी वोट जोड़े गए, अब कह रहे हैं कि एक करोड़ वोट जोड़े गए।
“दरअसल, वे अपनी हार को छिपाने के लिए ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि जनता अब उन्हें गंभीरता से नहीं लेती,” – फडणवीस ने कहा।
उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में कहीं कोई वोट चोरी नहीं हुई, और यह सब कांग्रेस की राजनीतिक प्रासंगिकता बचाने की कोशिश है।
📌 शिंदे का तंज – “राहुल गांधी धारणा बनाने में लगे हैं”
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा—
“राहुल गांधी झूठे आरोप लगाकर एक नई धारणा बनाना चाहते हैं, लेकिन देश की जनता उन्हें अच्छे से समझती है और इन बयानों को स्वीकार नहीं करेगी।”
उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को बदनाम करना कांग्रेस की आदत बन गई है, और यह रवैया देश की चुनावी प्रक्रिया के प्रति दुर्भावनापूर्ण है।
📊 राजनीतिक रणनीति या लोकतंत्र की रक्षा?
राहुल गांधी का यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में आगामी राज्यों के चुनाव और 2026 की तैयारियों को लेकर सियासी सरगर्मी तेज है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा है या फिर वास्तविक चिंता?
विपक्ष जहां इसे लोकतंत्र की रक्षा का संघर्ष बता रहा है, वहीं सत्ता पक्ष इसे राजनीतिक नौटंकी और हार छुपाने की कवायद करार दे रहा है।