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उत्तराखंड में ऐतिहासिक दिन: जानसू टनल का सफल ब्रेकथ्रू, देश की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट सुरंग बनी

16 अप्रैल का दिन उत्तराखंड और देश के इंफ्रास्ट्रक्चर इतिहास में खास बन गया है। आज उत्तराखंड में दो सुरंगों—सिलक्यारा और जानसू—का ब्रेकथ्रू सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इन टनलों के निर्माण के लिए एजेंसियों और मजदूरों ने कई तकनीकी चुनौतियों को पार करते हुए दिन-रात काम किया।

बड़े गर्व की बात यह है कि जिस दिन (16 अप्रैल 1853) भारत में पहली बार ट्रेन बोरीबंदर से ठाणे के लिए चली थी, उसी दिन देश की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट सुरंग—जानसू टनल—का ब्रेकथ्रू भी हुआ।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट में मिली बड़ी कामयाबी

उत्तराखंड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज रेल लाइन के तहत टी-8 और टी-8एम सुरंगों का काम पूरा कर लिया गया है। ये सुरंगें देवप्रयाग और जनासू के बीच स्थित हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव खुद मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने इस सफलता पर इंजीनियरों, तकनीशियनों और श्रमिकों को बधाई दी।

क्या है जानसू टनल की खासियत

  • लंबाई: 14.57 किलोमीटर, जो देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग बन गई है।

  • तकनीक: इसमें पहली बार अत्याधुनिक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) ‘शक्ति’ का उपयोग हुआ, जो जर्मनी से मंगाई गई थी।

  • खासियत: यह पहली बार है जब पहाड़ी इलाके में इतनी लंबी सुरंग टीबीएम से बनाई गई है।

  • उपलब्धि: 9.11 मीटर व्यास वाली इस मशीन ने जिस सटीकता और रफ्तार से काम किया, वह एक मिसाल बन गया है।

सुरंग के साथ वर्टिकल शाफ्ट का निर्माण भी

जानसू से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर एक वर्टिकल शाफ्ट भी तैयार किया गया है, जिससे सुरंग की खुदाई और निर्माण कार्य में सहायता मिली। इस परियोजना से न सिर्फ तीर्थयात्रियों को लाभ मिलेगा, बल्कि यह उत्तराखंड के सामाजिक और आर्थिक विकास को भी गति देगी।

प्रधानमंत्री का विजन और तकनीकी चुनौती

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा कठिन लक्ष्यों को प्राथमिकता दी है। हिमालय की जटिल जियोलॉजी को देखते हुए टीबीएम को मॉडिफाई किया गया ताकि यह पहाड़ी क्षेत्र में भी सुचारु रूप से काम कर सके। इस तकनीक को हिमालयी टनल मेथड नाम दिया गया है।

मुख्यमंत्री धामी ने क्या कहा

सीएम धामी ने इसे उत्तराखंड के लिए एक बड़ी छलांग करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जिस रेल कनेक्टिविटी का सपना देखा गया था, वह अब हकीकत बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सुरंग मेहनत, समर्पण और तकनीकी प्रगति का प्रतीक है, और यह राज्य में विकास के नए रास्ते खोलेगी।

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