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शंघाई संगोष्ठी में भारत की व्यापार उदारीकरण नीतियों की विश्वस्तर पर प्रशंसा — सतत विकास और वैश्विक मांग पर हुआ मंथन

बीजिंग/शंघाई, 21 नवंबर। चीन के आर्थिक केंद्र शंघाई में आयोजित एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी में भारत की हालिया व्यापार उदारीकरण पहलों, व्यापार सुगमता सुधारों और वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की बढ़ती मांग की व्यापक सराहना की गई। यह संगोष्ठी ‘सतत विकास, वैश्विक व्यापार और भारत–चीन आर्थिक सहयोग’ विषय पर केंद्रित थी, जिसे शंघाई इंडियन एसोसिएशन ने आयोजित किया।

इस कार्यक्रम में शंघाई में भारत के महावाणिज्य दूत प्रतीक माथुर, इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (चीन) के ब्यूरो चीफ अंके श्रेडर, चीनी उद्योग जगत के अनेक प्रतिनिधि, भारतीय व्यवसायी और अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ शामिल हुए।
महावाणिज्य दूतावास द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में इस सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्षों और विचार-विमर्श का विस्तृत विवरण साझा किया गया।


भारत के आर्थिक सुधारों और व्यापार खुलेपन की मिली अंतरराष्ट्रीय सराहना

संगोष्ठी में उपस्थित विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार किए हैं।

इन सुधारों में—

  • जीएसटी ढांचे का सरलीकरण,
  • मेक इन इंडिया 2.0,
  • उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ,
  • तेजी से बढ़ता डिजिटल भुगतान अवसंरचना,
  • लॉजिस्टिक्स और कस्टम्स प्रक्रियाओं में डिजिटलीकरण,
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में उदारीकरण,

को भारत की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धा का महत्वपूर्ण आधार बताया गया।

अंके श्रेडर ने कहा कि “भारत इस समय वैश्विक व्यापार, निवेश प्रवाह और सप्लाई चेन विविधीकरण का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभर रहा है। भारत की नियामक पारदर्शिता और व्यापार सुगमता उपाय एशिया सहित दुनिया के अन्य हिस्सों के लिए एक सकारात्मक उदाहरण स्थापित कर रहे हैं।”


महावाणिज्य दूत प्रतीक माथुर: भारत दुनिया की “ग्रॉथ इंजन इकोनॉमी”

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में, महावाणिज्य दूत प्रतीक माथुर ने कहा कि भारत विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और वैश्विक व्यापार परिदृश्य में उसकी भूमिका लगातार मजबूत हो रही है।

उन्होंने बताया कि भारत—

  • वैश्विक जीडीपी वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है,
  • डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (UPI, ONDC, डिजिटल लॉजिस्टिक्स) के जरिए व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बना रहा है,
  • और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप उद्योगों को ग्रीन ट्रांजिशन की तरफ बढ़ा रहा है।

माथुर ने यह भी कहा कि “भारतीय उत्पादों और सेवाओं की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है। चाहे वह फार्मा सेक्टर हो, आईटी सेवाएँ, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, ग्रीन टेक्नोलॉजी या कृषि-उत्पाद — भारत तेजी से वैश्विक सप्लाई चेन का विश्वसनीय हिस्सा बन रहा है।”


शंघाई में भारतीय उद्योग जगत की सक्रियता

संगोष्ठी में भारतीय व्यवसायियों ने चीन में व्यापारिक चुनौतियों और अवसरों पर भी खुलकर विचार व्यक्त किए।
विशेषकर—

  • मेडिकल डिवाइसेज़
  • आईटी सेवाएँ
  • उपभोक्ता उत्पाद
  • ऑटोमोबाइल पार्ट्स
  • केमिकल्स
    जैसे क्षेत्रों में भारत-चीन व्यापार सहयोग को नई गति मिलने की संभावनाएँ दिखाई गईं।

चीन के कई व्यापारिक प्रतिनिधियों ने भी इस बात को स्वीकार किया कि भारत एक “उभरती हुई विनिर्माण शक्ति” बन रहा है और विदेशी निवेश के लिए एक स्थिर, बड़े पैमाने का बाजार उपलब्ध करा रहा है।


सतत विकास और ‘ग्रीन ट्रेड’ पर गहन चर्चा

संगोष्ठी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सतत विकास, हरित प्रौद्योगिकी और ग्रीन ट्रेड मॉडल पर केंद्रित रहा।

इस दौरान विशेषज्ञों ने बताया—

  • कैसे भारत अक्षय ऊर्जा (सौर और पवन) उत्पादन में दुनिया की शीर्ष शक्तियों में शामिल हो चुका है।
  • इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, बैटरी स्टोरेज सिस्टम और बायो-फ्यूल्स में भारत बड़ी प्रगति कर रहा है।
  • भारत की ‘ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ नीति वैश्विक निवेशकों के लिए अवसर का नया द्वार बन रही है।

चीन के शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत का सतत विकास मॉडल एशिया के उभरते देशों के लिए एक संतुलित “नीतिगत खाका” प्रस्तुत करता है।


वैश्विक सप्लाई चेन विविधीकरण में भारत की भूमिका

अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि विश्व में चल रहे भू-राजनीतिक परिवर्तनों के बीच भारत सप्लाई चेन विविधीकरण का एक स्थिर और भरोसेमंद केंद्र बन गया है।

अंके श्रेडर ने कहा—“कई बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अब ‘चीन प्लस वन’ रणनीति के तहत भारत में उत्पादन और निवेश बढ़ा रही हैं। भारत की आर्थिक नीतियाँ और बुनियादी ढाँचे का विकास इस बदलाव को और तेज़ कर रहा है।”

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत का युवा, कुशल और बड़ी संख्या वाला कार्यबल भी निवेशकों के लिए एक वृहद लाभ है।


भारत–चीन व्यापारिक संबंधों में संभावनाएँ

यद्यपि दोनों देशों के बीच राजनीतिक मतभेद मौजूद हैं, लेकिन व्यापारिक क्षेत्र में सहयोग की व्यापक संभावनाएँ हैं। वर्तमान में—

  • भारत चीन से कच्चा माल, फार्मा इंटरमीडिएट, मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक घटक आयात करता है
  • वहीं भारत चीन को कृषि उत्पाद, समुद्री खाद्य, रसायन, वस्त्र, आईटी सेवाएँ और सॉफ्टवेयर समाधान निर्यात करता है

संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने कहा कि यदि दोनों देश व्यापारिक सुगमता को बढ़ाएँ और तकनीकी सहयोग को मजबूत करें तो आने वाले वर्षों में भारत–चीन व्यापार काफी आगे बढ़ सकता है।


भारत की वैश्विक आर्थिक छवि और भी मजबूत

शंघाई में आयोजित यह संगोष्ठी भारत की वैश्विक आर्थिक वृद्धि, व्यापार उदारीकरण मॉडल, सतत विकास नीतियों और विश्व बाजार में बढ़ती प्रतिष्ठा को एक बार फिर रेखांकित करती है। संगोष्ठी में उठी आवाज़ों से यह स्पष्ट है कि—

  • भारत वैश्विक व्यापार का प्रमुख केंद्र बन रहा है
  • निवेशकों का विश्वास लगातार बढ़ रहा है
  • और सतत विकास के क्षेत्र में भारत की नीतियाँ विश्व स्तर पर प्रभाव डाल रही हैं

भारत की यह आर्थिक प्रगति न केवल एशियाई क्षेत्र में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी उसे एक मजबूत एवं विश्वसनीय खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रही है।

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