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दिव्यांग बेटे की विधवा मां को बैंक की वसूली से मिली राहत, डीएम के हस्तक्षेप से 17 लाख का कर्ज माफ

देहरादून। देहरादून में जिला प्रशासन की त्वरित कार्रवाई ने एक असहाय परिवार के जीवन में उम्मीद की नई किरण जगा दी है। पति की आकस्मिक मृत्यु के बाद 17 लाख रुपये के बीमित ऋण की वसूली के बोझ तले दब रही शोभा रावत नामक विधवा महिला को आखिरकार इंसाफ मिल गया। जिलाधिकारी (डीएम) सविन बंसल के हस्तक्षेप के बाद आईसीआईसीआई बैंक ने न केवल बकाया कर्ज माफ किया, बल्कि घर जाकर परिवार को नो-ड्यूज प्रमाणपत्र और संपत्ति के कागजात भी सौंप दिए।


दिव्यांग बेटे और बेटी की परवरिश, ऊपर से कर्ज का बोझ

शोभा रावत, जिनके पति मनोज रावत का अक्टूबर 2024 में निधन हो गया था, दो बच्चों की अकेले परवरिश कर रही हैं। उनका 24 वर्षीय बेटा 100 प्रतिशत दिव्यांग है और बेटी पढ़ाई कर रही है। परिवार की पूरी जिम्मेदारी शोभा के कंधों पर आ गई। इस बीच, 17 लाख रुपये का लोन जो उनके पति ने लिया था, और उस पर वसूली का दबाव, उनके लिए पहाड़ जैसा बोझ बन गया।

यद्यपि लोन बीमा कवर के अंतर्गत था और करीब 13.20 लाख रुपये की राशि बीमा कंपनी ने जमा कर दी थी, फिर भी लगभग 5 लाख रुपये की बकाया रकम के लिए बैंक द्वारा लगातार दबाव डाला जा रहा था।


जिलाधिकारी के सामने सुनाई व्यथा

पिछले सप्ताह देर शाम, शोभा अपने दोनों बच्चों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचीं और जिलाधिकारी सविन बंसल को अपनी व्यथा सुनाई। उन्होंने बताया कि आय का कोई साधन न होने और दिव्यांग बेटे की देखभाल की जिम्मेदारी के चलते वह शेष राशि चुकाने में असमर्थ हैं।

डीएम ने तुरंत मामले को गंभीरता से लिया और उप जिलाधिकारी (एसडीएम) न्याय, कुमकुम जोशी को कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद पिछले 10 दिनों से लगातार प्रशासन ने इस प्रकरण का फॉलोअप किया।


बैंक पर सख्त निर्देश, न देने पर कुर्की की चेतावनी

प्रशासन ने बैंक को स्पष्ट निर्देश दिए कि सोमवार तक नो-ड्यूज जारी करें और ऋण माफी की प्रक्रिया पूरी करें। अन्यथा, बैंक शाखा की संपत्ति कुर्क कर नीलामी की कार्रवाई की जाएगी।

जिला प्रशासन की इस सख्ती के बाद बैंक ने झुकते हुए शोभा रावत के घर जाकर नो-ड्यूज प्रमाणपत्र सौंपा और संपत्ति के सभी दस्तावेज भी लौटा दिए।


प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से लौटी मुस्कान

शोभा रावत ने राहत की सांस लेते हुए कहा कि अब उन्हें बेटी की पढ़ाई और दिव्यांग बेटे की देखभाल पर ध्यान देने में आसानी होगी। बैंक ऋण का डर और कागजों की चिंता खत्म हो चुकी है।

जनता के बीच भी इस मामले ने प्रशासन के प्रति विश्वास को मजबूत किया है। लोगों का कहना है कि चाहे शिक्षा की समस्या हो, रोजगार की जरूरत या फिर ऋण माफी और संपत्ति वापसी का मामला, जिला प्रशासन एक के बाद एक त्वरित फैसले लेकर जरूरतमंदों को राहत पहुंचा रहा है।


जनमानस में बढ़ा प्रशासन पर भरोसा

जिला प्रशासन की इस पहल से सरकार और शासन की न्यायप्रिय छवि और मजबूत हुई है। जिलाधिकारी सविन बंसल का कहना है कि हर जरूरतमंद तक न्याय और राहत पहुंचाना ही प्रशासन का दायित्व है।

यह मामला सिर्फ एक परिवार की मदद का नहीं, बल्कि यह संदेश है कि शासन-प्रशासन जनता के साथ खड़ा है। असहाय और व्यथित लोग भी अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद लेकर प्रशासन तक पहुंच सकते हैं।

शोभा रावत का मामला इस बात का उदाहरण है कि संवेदनशील और त्वरित प्रशासनिक हस्तक्षेप कैसे किसी असहाय परिवार की जिंदगी में आशा की रोशनी जगा सकता है। दिव्यांग बेटे और बेटी की परवरिश में जुटी यह विधवा अब न सिर्फ कर्जमुक्त हुई है, बल्कि भविष्य की चिंताओं से भी बड़ी राहत मिली है।

देहरादून प्रशासन का यह कदम सामाजिक न्याय और मानवीय संवेदनशीलता की मिसाल बन गया है।

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