देहरादून: उत्तराखंड में पत्रकारों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए गठित पत्रकार कल्याण कोष की महत्वपूर्ण बैठक शनिवार को सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में दिवंगत पत्रकारों के परिजनों, गंभीर रूप से बीमार पत्रकारों और वरिष्ठ पत्रकारों के हित में कई महत्वपूर्ण और संवेदनशील निर्णय लिए गए। इन फैसलों से राज्यभर में राहत की उम्मीद है, खासकर उन परिवारों को जिन्होंने हाल के वर्षों में अपने सदस्य और परिवार के कमाऊ स्तंभ को खोया है।
15 दिवंगत पत्रकारों के परिजनों को 5-5 लाख की सहायता
बैठक में सबसे बड़ा निर्णय 15 दिवंगत पत्रकारों के आश्रितों को मिलने वाली आर्थिक सहायता को लेकर रहा। पत्रकार कल्याण कोष समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि इन सभी परिवारों को 5-5 लाख रुपये की एकमुश्त अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी।
यह कदम उन परिवारों के लिए महत्वपूर्ण राहत साबित होगा, जिनकी आय का मुख्य स्रोत उनके पत्रकार सदस्य के निधन के साथ समाप्त हो गया था। विभागीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि सहायता राशि जल्द ही संबंधित खातों में हस्तांतरित कर दी जाएगी।
गंभीर रूप से बीमार दो पत्रकारों को चिकित्सा सहायता
पत्रकारीय कार्य में अक्सर तनाव, अनियमित दिनचर्या और व्यस्तताओं के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। इसी संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए समिति ने गंभीर बीमारी से जूझ रहे दो पत्रकारों के लिए 5-5 लाख रुपये की चिकित्सा सहायता मंजूर की है।
यह सहायता जीवनरक्षक उपचार, सर्जरी, लंबी अवधि के अस्पताल खर्च और दवाओं के खर्चों को ध्यान में रखकर स्वीकृत की गई है। समिति ने कहा कि गंभीर मामलों में पत्रकारों और उनके परिवारों को किसी भी स्थिति में आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े, यह सरकार की प्राथमिकता है।
चार वरिष्ठ पत्रकारों के लिए सम्मान पेंशन
पत्रकारिता के क्षेत्र में आजीवन योगदान देने वाले वरिष्ठ पत्रकारों को भी इस बैठक में सम्मान पेंशन प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
समिति की ओर से बताया गया कि मीडिया जगत में कई ऐसे पत्रकार हैं जिन्होंने जीवन भर सामाजिक सरोकारों की पत्रकारिता की, लेकिन उम्र ढलने के बाद आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे पत्रकारों के लिए सम्मान पेंशन एक गरिमा-आधारित सहायता व्यवस्था है, जो राज्य सरकार की संवेदनशीलता को प्रकट करती है।
“पत्रकार समाज की धड़कन को शब्द देते हैं…” — बंशीधर तिवारी
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के महानिदेशक श्री बंशीधर तिवारी ने कहा:
“पत्रकार सिर्फ खबरें नहीं लिखते, वे समाज की धड़कन को शब्द देते हैं। उनकी और उनके परिवारों की पीड़ा हमारी जिम्मेदारी है। हर संभव सहायता समय पर पहुंचाना हमारा दायित्व है।”
उन्होंने पत्रकार कल्याण कोष समिति के सदस्यों का आभार व्यक्त किया और कहा कि समिति हमेशा प्राथमिकता के साथ जरूरतमंद पत्रकारों का चयन करती है ताकि सहायता का वितरण पूरी पारदर्शिता और संवेदनशीलता के साथ हो सके।
पत्रकार कल्याण कोष—अब तक सैकड़ों परिवारों को मिला लाभ
उत्तराखंड में पत्रकार कल्याण कोष कई वर्षों से सक्रिय रूप से काम कर रहा है और अब तक:
- सैकड़ों पत्रकारों को चिकित्सा सहायता,
- दिवंगत पत्रकारों के परिजनों को अनुग्रह राशि,
- वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मान पेंशन,
- और आपातकालीन परिस्थितियों में तत्काल आर्थिक सहयोग
प्रदान किया जा चुका है।
सूचना विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कल्याण कोष को लगातार मजबूत और आधुनिक बनाकर इसे और अधिक प्रभावी बनाने की तैयारी जारी है।
राज्य सरकार पत्रकारों के हितों के प्रति गंभीर
उत्तराखंड सरकार लंबे समय से पत्रकार सुरक्षा और कल्याण से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता देती आई है। हाल के वर्षों में कई नीतियों में सुधार किए गए हैं, जिनमें—
- पत्रकार हेल्थ कार्ड योजना,
- कल्याण कोष की राशि में वृद्धि,
- पेंशन योजनाओं का विस्तार,
- और आकस्मिक सहायता को अधिक तेज़ और पारदर्शी बनाना
जैसे कदम शामिल हैं।
आज की बैठक में लिए गए निर्णय स्पष्ट रूप से यह दिखाते हैं कि सरकार पत्रकारों को केवल सूचना-प्रदाता के रूप में नहीं, बल्कि समाज के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में देखती है।
परिवारों को न्याय और राहत मिलने की उम्मीद
जो फैसले आज लिए गए हैं, वे न केवल आर्थिक सहयोग हैं बल्कि उन परिवारों के लिए भरोसे का संदेश हैं, जो अपने पत्रकार सदस्य के जाने के बाद असमंजस और तनाव में थे।
दिवंगत पत्रकारों के आश्रितों को मिलने वाली आर्थिक सहायता से बच्चों की पढ़ाई, घर के खर्च और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने में बड़ी मदद मिलेगी। वहीं गंभीर बीमारी से संघर्ष कर रहे पत्रकारों को तुरंत मिलने वाली सहायता उनके जीवन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।



