
देहरादून, 22 जुलाई: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने नशे के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का ऐलान कर दिया है। राज्यव्यापी निरीक्षण अभियान के तहत प्रदेशभर में संचालित नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों की सघन जांच शुरू हो गई है। अभियान का उद्देश्य न केवल मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना है, बल्कि अवैध या मानकविहीन केंद्रों पर त्वरित कार्रवाई करना भी है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी के नेतृत्व में निरीक्षण टीमें गठित कर दी गई हैं, जो केंद्रों की पंजीकरण स्थिति, आधारभूत सुविधाएं, कर्मचारियों की उपलब्धता और सेवा की गुणवत्ता जैसे बिंदुओं की गहन जांच कर रही हैं।
बिना पंजीकरण के चल रहे केंद्रों पर होगी कार्रवाई
डॉ. कुमार ने स्पष्ट किया कि मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम 2017 और 24 जुलाई 2023 की अधिसूचना के तहत जिन संस्थानों के पास वैध पंजीकरण नहीं है, उन्हें चिन्हित कर आर्थिक दंड और तत्काल बंदी की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस विषय में कोई लापरवाही या शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
फिलहाल राज्य में 133 मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (जिसमें नशा मुक्ति केंद्र भी शामिल हैं) अनंतिम पंजीकरण के अंतर्गत हैं। अंतिम स्वीकृति से पूर्व इन संस्थानों का स्थल निरीक्षण और दस्तावेज़ सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है।
हर जिले में सक्रिय होगा पुनर्विलोकन बोर्ड
प्रत्येक जिले में मानसिक स्वास्थ्य पुनर्विलोकन बोर्ड की मासिक बैठक अब अनिवार्य कर दी गई है। फिलहाल 7 जिलों में बोर्ड कार्यरत हैं और अन्य 6 जिलों में गठन प्रक्रिया प्रगति पर है। शासन ने निर्देशित किया है कि इनका गठन शीघ्र पूरा किया जाए, ताकि निगरानी और जवाबदेही की प्रक्रिया मजबूत हो।
देहरादून व हरिद्वार में औचक निरीक्षण, अव्यवस्थाएं उजागर
जनपद देहरादून के बहादुरपुर रोड, वार्ड नंबर 9, सेलाकुई स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में जन शिकायत पर औचक निरीक्षण किया गया। टीम ने पाया कि केंद्र में कई मानक पूरे नहीं किए गए थे और गंभीर व्यवस्थागत खामियां मौजूद थीं। इसी प्रकार हरिद्वार के जीवन ज्योति केंद्र में भी निरीक्षण के दौरान कई खामियां पाई गईं।
डॉ. कुमार ने कहा, “प्रदेश को नशामुक्त बनाने के लिए यह अभियान न केवल सुधारात्मक है, बल्कि जवाबदेही और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। केवल उन्हीं संस्थानों को कार्य की अनुमति दी जाएगी जो चिकित्सा, प्रशासनिक और सामाजिक न्यूनतम मानकों को पूरी तरह पूरा करते हैं।”
नशा मुक्त उत्तराखंड की दिशा में निर्णायक पहल
सरकार की यह पहल नशा मुक्त और मानसिक रूप से स्वस्थ उत्तराखंड के निर्माण की ओर एक मजबूत कदम है। अब स्पष्ट है कि राज्य में अवैध और अयोग्य संस्थानों के लिए कोई जगह नहीं रहेगी।