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“घुसपैठियों पर सियासी संग्राम: हिमंत विश्व शर्मा का कांग्रेस पर तीखा वार”

"असम के मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी पर कसा तंज, बोले- इतना लगाव है तो घुसपैठियों को अपने घर में बसाएं"

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी पर घुसपैठियों को लेकर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस को घुसपैठियों से इतना ही प्रेम है, तो उन्हें राहुल गांधी के घर भेज देना चाहिए। शर्मा ने यह बयान असम में चल रहे बेदखली अभियान के संदर्भ में दिया, जिसे राज्य सरकार सरकारी जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए चला रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि असम सरकार का रुख स्पष्ट है—राज्य में किसी भी कीमत पर घुसपैठियों को बसने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति कर रही है और राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने की कोशिशों को बढ़ावा दे रही है।

“हमारी सरकार का उद्देश्य केवल कानून और व्यवस्था बनाए रखना नहीं है, बल्कि असम की सांस्कृतिक और जनसंख्या संरचना की रक्षा करना भी है। घुसपैठियों की मौजूदगी न केवल संसाधनों पर बोझ डालती है, बल्कि सामाजिक तनाव को भी बढ़ाती है,” शर्मा ने कहा।

बेदखली अभियान जारी रहेगा
शर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने का अभियान रुकने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि कई जिलों में प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है और हजारों बीघा जमीन अब तक मुक्त कराई जा चुकी है।
“जो लोग इस अभियान का विरोध कर रहे हैं, वे असल में कानून तोड़ने वालों का समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस अगर वास्तव में इतने चिंतित हैं, तो उन्हें अपने संसाधन और संपत्ति इन लोगों के पुनर्वास में लगानी चाहिए,” उन्होंने कहा।

कांग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप
हिमंत विश्व शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस घुसपैठियों का मुद्दा उठाकर केवल अपने वोट बैंक को सुरक्षित करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह रवैया असम और पूरे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरनाक है।
“हमारी सरकार हर नागरिक के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन घुसपैठियों को संरक्षण देकर कांग्रेस असम के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है,” उन्होंने जोड़ा।

असम में घुसपैठ का पुराना मुद्दा
असम में घुसपैठ का मुद्दा लंबे समय से राजनीतिक बहस का केंद्र रहा है। बांग्लादेश से होने वाली अवैध आवाजाही ने राज्य की जनसंख्या, रोजगार और संसाधनों पर गहरा असर डाला है। बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने 2016 में सत्ता में आने के बाद से इस मुद्दे को अपने एजेंडे में सबसे ऊपर रखा है।
एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) प्रक्रिया और सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना इसी रणनीति का हिस्सा रहा है।

राजनीतिक तापमान और बढ़ा
शर्मा के इस बयान के बाद असम की राजनीति में एक बार फिर तापमान बढ़ गया है। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री घृणा फैलाने वाली भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं और लोगों को बांटने की राजनीति कर रहे हैं।
हालांकि, बीजेपी समर्थकों का मानना है कि शर्मा का यह बयान राज्य की सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए आवश्यक है।

असम में आने वाले महीनों में होने वाले पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों को देखते हुए यह मुद्दा और गरमाने की संभावना है। घुसपैठियों का मुद्दा एक बार फिर राजनीतिक दलों के लिए चुनावी हथियार बनता दिख रहा है।

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