
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जहां इलाज के अभाव में एक सैनिक के डेढ़ वर्षीय पुत्र की मौत हो गई। परिजन बच्चे को लेकर पांच अलग-अलग अस्पतालों में भटकते रहे, लेकिन समय रहते उसे उचित उपचार नहीं मिल पाया।
मुख्यमंत्री ने दिए मंडलायुक्त जांच के निर्देश
इस घटना पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की जांच कुमाऊं मंडलायुक्त को सौंप दी है। साथ ही यह निर्देश दिए गए हैं कि दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया जाए।
चार चिकित्सकों पर गिरी गाज, सात दिन में मांगा स्पष्टीकरण
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने इस मामले में प्राथमिक जिम्मेदार माने गए चार चिकित्सकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इनमें शामिल हैं:
- डॉ. अनुपमा ह्यांकी – अपर मुख्य चिकित्साधिकारी
- डॉ. तपन शर्मा – मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
- डॉ. प्रमोद सिंह जंगपागी – वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी
- डॉ. अंकित कुमार – बाल रोग विशेषज्ञ
इन सभी से सात दिन के भीतर यह स्पष्टीकरण मांगा गया है कि किन परिस्थितियों में बच्चे को सही समय पर इलाज क्यों नहीं मिल पाया।
स्वास्थ्य सचिव ने खारिज की जांच रिपोर्ट
स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को सचिव ने अस्वीकार्य बताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में न तो रेफरल की कोई ठोस चिकित्सकीय वजह बताई गई, न ही यह बताया गया कि अस्पताल में इलाज शुरू करने की कोशिशें किस स्तर तक हुईं।
रेफरल गाइडलाइन के बावजूद नहीं मिला इलाज
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि राज्य सरकार की स्पष्ट रेफरल नीति के बावजूद जिला अस्पतालों ने प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया। यह गंभीर लापरवाही दर्शाता है कि मरीज को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने में चूक हुई है।
डीएम को भी सौंपी गई विस्तृत जांच
राज्य शासन ने अब बागेश्वर जिलाधिकारी को भी निर्देश दिए हैं कि इस मामले की विस्तृत जांच की जाए, ताकि प्रत्येक स्तर पर जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका स्पष्ट हो सके।
यह मामला उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब निगाहें इस बात पर हैं कि क्या जांच पारदर्शी और निष्पक्ष होगी और दोषियों पर कठोर कार्रवाई होगी या मामला कागज़ों तक सीमित रह जाएगा।