
पूर्णिया (बिहार), 7 जुलाई 2025: बिहार के पूर्णिया जिले में अंधविश्वास, सामाजिक हिंसा और प्रशासनिक विफलता ने मिलकर एक ऐसा वीभत्स कांड रचा जिसने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के टेटगामा वार्ड, रजीगंज पंचायत में रविवार देर रात एक ही परिवार के पांच सदस्यों को डायन बताकर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और घर में आग लगाकर जिंदा जला दिया गया। मृतकों में बाबूलाल उरांव, उनकी पत्नी सीता देवी, मां कातो देवी, बेटा मनजीत कुमार और बहू रानी देवी शामिल हैं।
पुलिस के मुताबिक यह घटना झाड़फूंक और डायन के आरोप को लेकर अंजाम दी गई, जिसमें करीब 50 ग्रामीण शामिल थे। फिलहाल दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है और अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
कैसे हुआ यह नरसंहार?
जानकारी के अनुसार, गांव के रामदेव उरांव के बेटे की तबीयत लंबे समय से खराब चल रही थी। ग्रामीणों को शक था कि सीता देवी डायन हैं और उन्होंने ही बीमारी फैलाई है। इसी अंधविश्वास के चलते दर्जनों लोग रविवार देर रात बाबूलाल उरांव के घर में घुस गए।
- सबसे पहले परिवार के सदस्यों की लाठी-डंडों से बेरहमी से पिटाई की गई।
- इसके बाद घर को आग के हवाले कर दिया गया।
- जले हुए शवों को गांव के पास जलकुंभी के जलाशय में फेंक दिया गया ताकि सबूत छुपाया जा सके।
- मृतकों में एक नवविवाहिता बहू भी शामिल है।
परिवार का एक बेटा जो किसी तरह भागकर ननिहाल चला गया था, उसने मामले की सूचना प्रशासन को दी। उसने बताया कि उसे भी पीटा गया, पर वह जान बचाकर भाग निकला।
जांच में जुटी पुलिस, मौके पर फोरेंसिक और डॉग स्क्वॉड टीम
घटना की गंभीरता को देखते हुए फॉरेंसिक टीम, डॉग स्क्वॉड और पुलिस की विशेष जांच टीम को मौके पर बुलाया गया है।
पूर्णिया एसपी स्वीटी सहरावत खुद घटनास्थल पर कैंप कर रही हैं।
एसडीपीओ पंकज शर्मा ने बताया कि “यह मामला बेहद संवेदनशील है, किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। अब तक 5 शवों की बरामदगी हो चुकी है और गांव में सघन छापेमारी जारी है।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया: विपक्ष का सरकार पर हमला
घटना को लेकर राजनीतिक बवाल भी तेज हो गया है।
आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि “बिहार में कानून नाम की कोई चीज नहीं बची है, और राज्य को दिल्ली दरबार से चलाया जा रहा है।”
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा:
“पूर्णिया में 5 लोगों को जिंदा जलाया गया। परसों सिवान, उससे पहले बक्सर और भोजपुर में नरसंहार। अपराधी सतर्क हैं, मुख्यमंत्री अचेत हैं। पुलिस पस्त, सत्ता मस्त।”
उन्होंने मुख्यमंत्री पर ‘DK टैक्स’ का भी आरोप लगाया और कानून व्यवस्था को ध्वस्त बताया।
समाज में अंधविश्वास की बर्बरता
यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक चूक का उदाहरण है बल्कि आज भी समाज में फैले अंधविश्वास और डायन प्रथा की खतरनाक हकीकत को सामने लाती है। नवजागरण और शिक्षा के युग में भी ऐसी मानसिकता की मौजूदगी बेहद चिंताजनक है।
आगे की कार्रवाई
- पुलिस ने IPC की धारा 302, 120B और SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।
- 50 से अधिक अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है।
- पुलिस ने दावा किया है कि जल्द ही सभी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
यह सिर्फ एक हत्या नहीं, बिहार की संवेदनशीलता, समाज के अंधकार और राज्य की कानून व्यवस्था की सामूहिक विफलता है। जब तक अंधविश्वास, जातीय तनाव और प्रशासनिक शिथिलता का संगठित जवाब नहीं दिया जाएगा, तब तक निर्दोष लोग ऐसे ही जलते रहेंगे।