
नई दिल्ली:रविवार और सोमवार की रात यानी 7-8 सितंबर 2025 को आसमान एक अद्भुत खगोलीय नजारे का गवाह बनने वाला है। इस रात को भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में पूर्ण चंद्रग्रहण (Total Lunar Eclipse) दिखाई देगा। इस दौरान चंद्रमा लाल-नारंगी रंग में बदल जाएगा जिसे आम बोलचाल की भाषा में ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। यह दुर्लभ नजारा भारतीय उपमहाद्वीप में पूरी तरह से देखा जा सकेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार का चंद्रग्रहण खास इसलिए है क्योंकि यह पूरे भारत से साफ तौर पर दिखाई देगा। ऐसे में वैज्ञानिकों, खगोलविदों और आम लोगों में इसे लेकर जबरदस्त उत्साह है।
कब और कितने बजे होगा चंद्रग्रहण?
भारतीय समयानुसार चंद्रग्रहण का सिलसिला शाम से ही शुरू हो जाएगा और देर रात तक चलेगा। नासा और भारतीय खगोल विज्ञान संस्थान (IIA) के मुताबिक, ग्रहण का पूरा शेड्यूल इस प्रकार है—
- ग्रहण शुरू: 7 सितंबर, रात 8:58 बजे
- पूर्ण चंद्रग्रहण (ब्लड मून चरण): रात 11:00 बजे से 12:22 बजे तक
- ग्रहण समाप्त: 8 सितंबर की सुबह 2:25 बजे
इस दौरान करीब 1 घंटा 22 मिनट तक चंद्रमा लालिमा लिए हुए आसमान में चमकेगा, जो सबसे आकर्षक क्षण होगा।
भारत में कहां-कहां दिखेगा?
पूर्ण चंद्रग्रहण भारत के लगभग हर हिस्से से दिखाई देगा। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद जैसे महानगरों से लोग बिना किसी विशेष उपकरण के इस खगोलीय दृश्य को देख पाएंगे।
हालांकि, जिन इलाकों में आसमान साफ और प्रदूषण कम होगा, वहां से नजारा और भी स्पष्ट व शानदार दिखेगा। ग्रामीण इलाकों और पहाड़ी राज्यों जैसे हिमाचल, उत्तराखंड, अरुणाचल और कश्मीर घाटी में इसे देखने का अनुभव बेहद अनूठा होगा।
क्यों कहा जाता है ‘ब्लड मून’?
जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तो सूर्य की रोशनी सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती। उस समय पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य की किरणों को मोड़कर केवल लाल और नारंगी रंग की किरणों को चंद्रमा तक पहुंचाता है।
इसी वजह से चंद्रमा का रंग उस दौरान लाल या नारंगी दिखाई देता है, जिसे लोग ‘ब्लड मून’ कहते हैं।
वैज्ञानिकों की राय
खगोलविदों का मानना है कि चंद्रग्रहण न सिर्फ एक सुंदर प्राकृतिक घटना है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण भी है।
इस दौरान खगोल वैज्ञानिक चंद्रमा के वातावरण, पृथ्वी की छाया और वायुमंडलीय स्थितियों का अध्ययन करते हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के एस्ट्रोनॉमी विभाग के प्रोफेसर ने बताया कि यह घटना छात्रों और शोधार्थियों के लिए खुले आसमान की प्रयोगशाला साबित होगी।
धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता
भारत में चंद्रग्रहण को लेकर धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। परंपरागत मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण काल में पूजा-पाठ, खाना बनाने और कुछ खास गतिविधियों से बचने की सलाह दी जाती है। कई मंदिरों में ग्रहण से पहले विशेष अनुष्ठान होते हैं और ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान और दान की परंपरा निभाई जाती है।
हालांकि, वैज्ञानिक इस पर जोर देते हैं कि चंद्रग्रहण का कोई नकारात्मक प्रभाव मानव जीवन पर नहीं पड़ता।
फोटोग्राफी और स्काई-वॉचिंग का शानदार मौका
चंद्रग्रहण का नजारा फोटोग्राफी प्रेमियों और खगोल विज्ञान के शौकीनों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्मार्टफोन से भी इस घटना को कैद किया जा सकता है, लेकिन टेलीस्कोप या DSLR कैमरा होने पर तस्वीरें और ज्यादा शानदार आएंगी।
खगोल विज्ञान क्लब और साइंस सोसाइटीज़ ने देशभर के कई शहरों में ‘मून वॉचिंग इवेंट्स’ आयोजित किए हैं, जहां आम लोग भी विशेषज्ञों के साथ मिलकर ब्लड मून का आनंद ले सकेंगे।
अगला मौका कब मिलेगा?
अगर आप इस बार का चंद्रग्रहण देखने से चूक जाते हैं तो आपको 177 दिन इंतजार करना पड़ेगा। अगला पूर्ण चंद्रग्रहण 2-3 मार्च 2026 को होगा।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इतनी स्पष्ट और लंबे समय तक दिखने वाला ब्लड मून बार-बार नहीं देखने को मिलता। इसलिए 7-8 सितंबर 2025 की रात लोगों के लिए यादगार खगोलीय अनुभव बनने वाली है।
7-8 सितंबर की रात को होने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण (ब्लड मून) भारत समेत पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है। यह न सिर्फ एक प्राकृतिक दृश्य है, बल्कि विज्ञान, संस्कृति और मान्यताओं से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
भारत जैसे देश में जहां खगोल विज्ञान और धार्मिक मान्यताएं साथ-साथ चलती हैं, वहां यह घटना लाखों लोगों के लिए रोमांच और आस्था का अद्भुत संगम साबित होगी।
तो तैयार रहिए, क्योंकि आज रात आसमान पर छाने वाला यह लालिमा से भरा चांद आपको प्रकृति की अद्भुत शक्ति और सुंदरता का एहसास कराने वाला है।