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असम: कार्बी आंगलोंग में अतिक्रमण विरोधी प्रदर्शनों ने लिया हिंसक रूप, दो की मौत, सेना ने संभाली कमान

गुवाहाटी/कार्बी आंगलोंग | 24 दिसंबर, 2025

असम के पहाड़ी जिले कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग में पिछले 48 घंटों से जारी तनाव मंगलवार को भीषण हिंसा में तब्दील हो गया। ‘विलेज ग्रेजिंग रिजर्व’ (VGR) और ‘प्रोफेशनल ग्रेजिंग रिजर्व’ (PGR) भूमि से अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन अब जानलेवा संघर्ष का रूप ले चुका है। मंगलवार को हुए ताजा संघर्ष में दो नागरिकों की मौत हो गई, जबकि 38 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 45 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

हिंसा का मुख्य कारण और घटनाक्रम

यह पूरा विवाद जनजातीय क्षेत्रों, विशेषकर चराई वाली सुरक्षित जमीनों (VGR/PGR) से अवैध कब्जाधारियों को हटाने की मांग से जुड़ा है। स्थानीय कार्बी संगठनों और सामाजिक समूहों का आरोप है कि इन सुरक्षित जमीनों पर बाहरी लोगों ने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर रखा है। पिछले 15 दिनों से जारी भूख हड़ताल और शांतिपूर्ण प्रदर्शन तब उग्र हो गए जब प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की।

सोमवार को गुस्साई भीड़ ने कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (KAAC) के मुख्य कार्यकारी सदस्य (CEM) तुलिराम रोंगहांग के पैतृक आवास और खेरोनी बाजार में लगभग 15 दुकानों को आग के हवाले कर दिया था। इसके बाद मंगलवार को स्थिति तब और बिगड़ गई जब दो विरोधी समूहों के प्रदर्शनकारी आमने-सामने आ गए।

मृतकों और घायलों का विवरण

अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इस हिंसा में दो लोगों की दुखद मृत्यु हुई है:

  1. सुरेश दे (25 वर्ष): सुरेश एक दिव्यांग युवक थे, जिनका शव खेरोनी बाजार की उस इमारत से मिला जिसे दंगाइयों ने आग लगा दी थी। वह आग की लपटों से खुद को बचाने में असमर्थ रहे।

  2. अथिक तिमुंग: इनकी मृत्यु प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई हिंसक झड़प और पत्थरबाजी के दौरान हुई।

घायलों में असम पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। भीड़ की ओर से किए गए हमले में पत्थरबाजी, तीरों और देसी बमों का इस्तेमाल किया गया, जिसमें 38 पुलिसकर्मी लहूलुहान हुए हैं। घायलों का इलाज स्थानीय अस्पतालों और कुछ गंभीर मामलों में गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज (GMCH) में चल रहा है।

प्रशासन की सख्त कार्रवाई: इंटरनेट बंद और कर्फ्यू

कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं:

  • धारा 163 BNSS (निषेधाज्ञा): दोनों जिलों में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू कर दी गई है। इसके तहत 5 या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर पूर्ण प्रतिबंध है।

  • नाइट कर्फ्यू: शाम 5 बजे से सुबह 6 बजे तक आवागमन पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। केवल आपातकालीन सेवाओं और सुरक्षाबलों को ही छूट दी गई है।

  • डिजिटल ब्लैकआउट: अफवाहों और भड़काऊ संदेशों को फैलने से रोकने के लिए मोबाइल इंटरनेट और डेटा सेवाओं को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया गया है।

  • सेना की तैनाती: असम सरकार के अनुरोध पर आज सुबह से हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में सेना की टुकड़ियों ने फ्लैग मार्च शुरू कर दिया है। अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त कंपनियां भी संवेदनशील इलाकों में तैनात की गई हैं।

मुख्यमंत्री और सरकार का रुख

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर कहा:

“पश्चिम कार्बी आंगलोंग की स्थिति हृदयविदारक है। दो नागरिकों की मौत से मुझे गहरा दुख हुआ है। हम स्थिति पर पैनी नजर रख रहे हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार सभी प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है।”

राज्य के शिक्षा मंत्री रानोज पेगू को स्थिति संभालने के लिए मौके पर भेजा गया है। उन्होंने प्रदर्शनकारी संगठनों के साथ बातचीत की है, जिसके बाद कुछ समूहों ने अपनी भूख हड़ताल स्थगित करने का आश्वासन दिया है। सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक त्रिपक्षीय वार्ता (सरकार, परिषद और प्रदर्शनकारी) बुलाने का भरोसा दिलाया है।

विवाद का कानूनी पक्ष

जानकारों का कहना है कि यह विवाद कानूनी पेचीदगियों में फंसा हुआ है। KAAC ने फरवरी 2024 में अतिक्रमण हटाने के नोटिस जारी किए थे, लेकिन गुवाहाटी उच्च न्यायालय में याचिका दायर होने के कारण इस प्रक्रिया पर रोक लग गई थी। अब स्थानीय लोग इस रोक को हटाने और तत्काल बेदखली की मांग कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर दशकों से बसे हुए लोग अपनी नागरिकता और वैध दस्तावेजों का हवाला दे रहे हैं।

निष्कर्ष और वर्तमान स्थिति

फिलहाल कार्बी आंगलोंग में सन्नाटा पसरा हुआ है, लेकिन तनाव कम नहीं हुआ है। खेरोनी और आसपास के बाजारों में भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं। सेना की मौजूदगी से हिंसा तो थमी है, लेकिन जमीन विवाद का स्थायी समाधान निकले बिना शांति की बहाली एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान न दें और कानून को अपने हाथ में न लें।

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