
नई दिल्ली: मानव तस्करी के बढ़ते मामलों के बीच, एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें पश्चिम बंगाल की एक नाबालिग लड़की को अपहरण के बाद दो बार शादी के लिए बेचा गया। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने लंबी और जटिल जांच के बाद इस पीड़िता को राजस्थान के पाली जिले से सुरक्षित छुड़ा लिया और पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया। यह मामला न केवल अपराध की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि देश में ह्यूमन ट्रैफिकिंग नेटवर्क की भयावह सच्चाई को भी उजागर करता है।
सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, यह नाबालिग लड़की 9 अगस्त 2023 को अपने घर से ट्यूशन के लिए निकली थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। शुरुआती जांच में सामने आया कि उसका अपहरण कर उसे दूर किसी अज्ञात स्थान पर ले जाया गया। शादी के दस्तावेज़ों में उसकी उम्र को गलत तरीके से 18 वर्ष से अधिक दिखाया गया, ताकि जबरन शादी कराई जा सके।
शुरुआत में मामला लोकल पुलिस के पास था, फिर सीआईडी और अंत में सीबीआई को सौंपा गया
पहले इस केस की जांच स्थानीय पुलिस ने की, लेकिन ठोस सुराग न मिलने पर इसे पश्चिम बंगाल सीआईडी को ट्रांसफर किया गया। लड़की की मां द्वारा दायर याचिका पर उच्च न्यायालय ने इसे सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया।
सीबीआई ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और खुफिया सूत्रों की मदद से यह पता लगाया कि पीड़िता को राजस्थान के पाली जिले में ले जाया गया है। इसके बाद एक विशेष टीम को पाली भेजा गया। 8 अगस्त 2025 को गुप्त ऑपरेशन के तहत लड़की को एक आरोपी के घर से मुक्त कराया गया।
गिरफ्तार आरोपी और संभावित बड़ा गैंग
इस ऑपरेशन में सीबीआई ने पांच आरोपियों — भरत कुमार, जगदीश कुमार, मेना दपुबेन, रता राम और दिलीप कुमार — को गिरफ्तार किया है। प्रारंभिक पूछताछ में खुलासा हुआ कि लड़की को दो बार शादी के लिए बेचा गया था और यह गिरोह संभवतः एक बड़े ह्यूमन ट्रैफिकिंग नेटवर्क का हिस्सा है।
देश में बढ़ते महिला अपराध के आंकड़े चौंकाने वाले
संसद में सरकार द्वारा पेश किए गए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े इस समस्या की गंभीरता को और स्पष्ट करते हैं। 2018 से 2022 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले लगातार उच्च स्तर पर रहे — 2018 में 3,78,236, 2019 में 4,05,326, 2020 में 3,71,503, 2021 में 4,28,278 और 2022 में 4,45,256 मामले दर्ज हुए।
जांच अभी जारी, और गिरफ्तारियां संभव
सीबीआई का कहना है कि यह मामला केवल एक पीड़िता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे संगठित अपराध का नेटवर्क काम कर रहा है। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियों की संभावना जताई जा रही है।
मानव तस्करी — एक राष्ट्रीय चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि मानव तस्करी से जुड़े अपराधों से निपटने के लिए केवल कानून का सख्त प्रवर्तन ही नहीं, बल्कि जागरूकता, पीड़ितों के पुनर्वास और शिक्षा के क्षेत्र में भी ठोस कदम उठाने होंगे।