
पटना। बिहार की राजधानी पटना में अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि बुजुर्ग महिलाएं भी सुरक्षित नहीं रह गई हैं। फुलवारी शरीफ थाना क्षेत्र स्थित आदर्श नगर रोड में 70 वर्षीय शांति देवी की संदिग्ध हालात में हत्या कर दी गई। परिजनों के अनुसार, सोने की चेन लूटने के बाद तकिए से गला दबाकर हत्या की गई। यह घटना उस समय सामने आई है जब राज्यभर में हत्या और लूट की घटनाएं चुनाव से पहले चिंता का विषय बन चुकी हैं।
क्या है मामला?
शांति देवी अपने घर में अकेली थीं। परिवार वालों का आरोप है कि किसी ने पहले चेन लूटने की नीयत से घर में घुसकर हमला किया और फिर पहचान छिपाने के लिए तकिए से उनका गला दबा दिया। महिला की लाश मिलने के बाद इलाके में सनसनी फैल गई और फुलवारी शरीफ पुलिस मौके पर पहुंची।
पुलिस को शक – करीबी पर
पश्चिमी पटना के सिटी एसपी भानु प्रताप सिंह ने मामले को लेकर बयान दिया है कि,
“घटना स्थल की प्रारंभिक जांच और क्राइम सीन की स्थितियां इस ओर इशारा कर रही हैं कि हत्या किसी जान-पहचान वाले द्वारा ही की गई है। घर में घुसने के कोई ज़बरदस्ती के निशान नहीं हैं। यह एक प्रयोजित लूट और हत्या का केस प्रतीत होता है।”
पुलिस ने डॉग स्क्वायड और फोरेंसिक टीम को भी जांच में शामिल कर लिया है। अधिकारियों ने दावा किया है कि जल्द ही हत्यारे की पहचान कर ली जाएगी और कड़ी कार्रवाई होगी।
हत्या और अपराध के आंकड़े डरा रहे हैं
बिहार में अपराध का ग्राफ लगातार चढ़ रहा है। पिछले 17 दिनों में राज्यभर में 51 हत्या की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिससे शासन-प्रशासन की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
- बीते सप्ताह ही गैंगस्टर चंदन मिश्रा की अस्पताल में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी।
- कुछ दिन पहले ही सीवान, गोपालगंज और भागलपुर में भी दिनदहाड़े हत्या और लूट की घटनाएं दर्ज की गई थीं।
विशेषज्ञों का मानना है कि चुनावी मौसम में अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिलने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे अपराध की घटनाएं और तेज हो जाती हैं।
सवाल उठ रहे हैं — क्या पटना सुरक्षित है?
राजधानी में वृद्ध महिला की दिनदहाड़े इस तरह हत्या होना आम जनता में डर और आक्रोश दोनों का कारण बना है।
लोग सवाल पूछ रहे हैं:
- जब राजधानी में बुजुर्ग महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा कौन करेगा?
- क्या पुलिस की निगरानी कमजोर हो गई है?
- चुनाव से पहले राज्य सरकार अपराध पर लगाम क्यों नहीं कस पा रही?
बिहार में चुनावी माहौल जैसे-जैसे तेज हो रहा है, अपराधियों की सक्रियता भी उसी अनुपात में बढ़ती दिख रही है। पुलिस और प्रशासन को चाहिए कि वो न केवल त्वरित कार्रवाई करें, बल्कि अपराध की जड़ तक पहुंचकर ठोस समाधान भी दें, ताकि आम जनता का भरोसा बहाल हो सके।