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उत्तराखंड में अवैध धर्मांतरण पर सर्जिकल स्ट्राइक, धामी सरकार की कैबिनेट ने धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2025 को दी मंजूरी

सरकार का बड़ा फैसला — धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2025 को मिली मंजूरी, 10 साल की सज़ा और 1 लाख जुर्माना

देहरादून, 14 अगस्त (नेशनल डेस्क) – उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने राज्य में बढ़ते अवैध और जबरन धर्मांतरण पर नकेल कसने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य कैबिनेट ने धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2025 को मंजूरी दी है। इस नए कानून में पहले से कहीं अधिक कठोर सज़ाएं, सख्त प्रक्रियाएं और पीड़ित संरक्षण के उपाय जोड़े गए हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने इसे “धार्मिक पहचान और सामाजिक सौहार्द की रक्षा” के लिए जरूरी बताया और कहा कि किसी भी तरह का बलपूर्वक, धोखे या लालच से किया गया धर्मांतरण अब सीधा गंभीर अपराध माना जाएगा।


पुराने और नए प्रावधान में क्या फर्क

प्रावधान पुराना कानून संशोधित 2025 कानून
सज़ा 2-7 साल की सज़ा 5-10 साल की सज़ा
जुर्माना ₹25,000 – ₹50,000 ₹50,000 – ₹1,00,000
परिभाषा बल, धोखे और प्रलोभन से धर्मांतरण इसमें शादी, रोजगार, शिक्षा के बहाने का उल्लेख जोड़ा गया
पंजीकरण सिर्फ लिखित सूचना डीएम को पूर्व-अनुमति और जांच अनिवार्य
पीड़ित संरक्षण सीमित प्रावधान पुनर्वास, सुरक्षा और कानूनी सहायता अनिवार्य
पुलिस जांच साधारण जांच विशेष जांच दल (SIT) और साइबर मॉनिटरिंग शामिल

मुख्य धाराएं और सेक्शन

  • धारा 3 – बल, धमकी, प्रलोभन, धोखे या विवाह के बहाने धर्म परिवर्तन कराना अपराध।
  • धारा 5 – अपराध ग़ैर-जमानती और संज्ञेय श्रेणी में होगा।
  • धारा 6 – पीड़ित या उसके परिवार को राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा और पुनर्वास पैकेज।
  • धारा 8 – स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वालों को 60 दिन पहले डीएम को आवेदन देना होगा।
  • धारा 10 – जांच विशेष जांच टीम (SIT) द्वारा अनिवार्य, जिसमें साइबर और इंटेलिजेंस यूनिट शामिल।

मुख्यमंत्री का बयान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधेयक पारित होने के बाद कहा—

“उत्तराखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने देंगे। यह कानून किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की आस्था और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए है।”


राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

  • भाजपा: इसे सांस्कृतिक सुरक्षा का कवच बताया।
  • कांग्रेस: क्रियान्वयन में भेदभाव और दुरुपयोग की आशंका जताई।
  • धार्मिक संगठन: सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “समय की मांग” कहा।

देशभर के लिए बन सकता है मॉडल

कानून विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक बलपूर्वक धर्मांतरण पर अंकुश लगाने में देश का सबसे कड़ा कानून बन सकता है और अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपना सकते हैं।


सफल क्रियान्वयन की योजना

  • प्रशासनिक प्रशिक्षण – पुलिस और प्रशासन को नई धाराओं पर ट्रेनिंग।
  • साइबर निगरानी – ऑनलाइन धर्मांतरण नेटवर्क पर विशेष नजर।
  • जन-जागरूकता अभियान – ग्रामीण और शहरी इलाकों में कानूनी जागरूकता।

मुख्य बिंदु एक नज़र में

  • अवैध धर्मांतरण पर 5-10 साल की सज़ा और ₹1 लाख तक जुर्माना।
  • शादी, नौकरी, शिक्षा या आर्थिक लाभ के बहाने धर्मांतरण अपराध।
  • डीएम की पूर्व-अनुमति और SIT जांच अनिवार्य।
  • पीड़ित को पुनर्वास, सुरक्षा और कानूनी सहायता।
  • अन्य राज्यों के लिए मॉडल कानून बनने की संभावना।

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