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सुप्रीम कोर्ट की दो टूक – राजनीतिक लड़ाई के लिए अदालतों का इस्तेमाल न करें

Supreme Court's clear statement - do not use courts for political battles

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि राजनीतिक दलों को अपनी आपसी लड़ाई लड़ने के लिए अदालतों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और तमिलनाडु सरकार द्वारा मद्रास हाईकोर्ट के एक अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी।

मद्रास हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नाम से चलाई जा रही सरकारी योजनाओं पर रोक लगा दी थी। यह याचिका विपक्षी अन्नाद्रमुक (AIADMK) सांसद सी.वी. षणमुगम द्वारा दाखिल की गई थी।

चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए टिप्पणी की,

“हमने बार-बार कहा है कि राजनीतिक लड़ाई मतदाताओं के सामने लड़ी जानी चाहिए। अदालतों का इस्तेमाल राजनीतिक दलों के बीच राजनीतिक हिसाब-किताब निपटाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।”

याचिकाकर्ता पर ₹10 लाख का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता सांसद सी.वी. षणमुगम पर ₹10 लाख की लागत लगाने का निर्देश भी दिया है। यह राशि एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के पास जमा करनी होगी और इसका उपयोग राज्य में वंचितों के लिए शुरू की गई किसी भी लाभकारी योजना में किया जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि यदि तय समय में राशि जमा नहीं की गई तो अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सकती है।

पूरे देश में नेताओं के नाम पर योजनाएं

अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने केवल तमिलनाडु सरकार की योजना को चुनौती दी, जबकि देशभर में नेताओं के नाम पर सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। द्रमुक ने भी अपने पक्ष में यह तर्क रखा कि अन्नाद्रमुक के कार्यकाल में भी ऐसी कई योजनाएं चलाई गई थीं।

पहले भी कर चुकी है चेतावनी

यह पहला मौका नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिकरण को लेकर नाराज़गी जाहिर की है। बीते दिनों कर्नाटक के बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मामलों में भी अदालत ने राजनीतिक रंग देने की कोशिशों पर सख्ती दिखाई थी।

बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या के खिलाफ कथित फर्जी खबर फैलाने के मामले में अदालत ने टिप्पणी की थी –

“मामले का राजनीतिकरण न करें। मतदाताओं के सामने लड़ाई लड़ें।”

इसी तरह, ममता बनर्जी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था –

“राजनीतिक लड़ाई अदालत में नहीं लड़ी जानी चाहिए।”

ED पर भी तीखा सवाल

MUDA घोटाला मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री की पत्नी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर सुनवाई करते हुए भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था कि,

“ED का इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाई के लिए क्यों किया जा रहा है?”

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