
देहरादून, 28 मई 2025 : सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी को जानबूझकर न देने और गुमराह करने पर राज्य सूचना आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने पंचायती राज और शिक्षा विभाग के दो लोक सूचना अधिकारियों (PIO) पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है, वहीं एक अधिकारी को निलंबित भी कर दिया गया है।
मामला कहाँ का है?
पूरा मामला उधमसिंहनगर जिले के सितारगंज ब्लॉक से जुड़ा है। निखिलेश घरामी नामक एक व्यक्ति ने वर्ष 2019 से ग्राम पंचायत देवीपुरा, डिओड़ी, बिडौरा, गिधौर, खमरिया, खैराना, बलखेड़ा और सिद्धानवदिया में कराए गए विकास कार्यों, खुली बैठकों और निर्णयों से जुड़ी जानकारी मांगी थी।
एक साल तक जानकारी से भागते रहे अधिकारी
सूचना मांगने के बाद पंचायत विभाग की लोक सूचना अधिकारी मीनू आर्य ने बार-बार यह कहकर टालमटोल की कि संबंधित जानकारी ग्राम प्रधानों के पास है। एक वर्ष तक जवाब नहीं मिलने पर निखिलेश घरामी ने राज्य सूचना आयोग में अपील की।
सुनवाई में क्या निकला?
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में खुलासा हुआ कि जानकारी प्रधानों के पास नहीं, बल्कि ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (पंचायत सचिव) के पास ही थी। ग्राम प्रधानों ने भी आयोग को लिखित रूप में बताया कि सभी दस्तावेज सचिव के पास हैं।
आयोग का सख्त फैसला
जांच में मीनू आर्य को जानबूझकर सूचना छिपाने और गुमराह करने का दोषी पाया गया।
आयोग ने:
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मीनू आर्य पर ₹25,000 जुर्माना लगाया,
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जिला पंचायत राज अधिकारी, उधमसिंहनगर को निर्देश दिया कि मीनू आर्य को निलंबित किया जाए,
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आदेश का पालन करते हुए अधिकारी को तत्काल निलंबित कर दिया गया है।
शिक्षा विभाग का अधिकारी भी दोषी
इसी मामले में शिक्षा विभाग के एक अन्य लोक सूचना अधिकारी पर भी ₹25,000 का जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने आवेदनकर्ता को गलत और भ्रामक सूचना दी थी।
राज्य सूचना आयोग का यह फैसला साफ संकेत देता है कि RTI को हल्के में लेने वाले अधिकारियों पर अब सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह मामला पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर प्रदेश में एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है।