
श्रीकाकुलम, आंध्र प्रदेश | 1 नवंबर 2025: आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम ज़िले में शनिवार देर रात एक धार्मिक आयोजन के दौरान बड़ा हादसा हो गया। काशीबुग्गा स्थित वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में देवोत्थानी एकादशी के अवसर पर अचानक भगदड़ मचने से कम से कम 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 25 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं।
कई घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। हादसे के बाद मंदिर परिसर और आसपास के इलाकों में अफरा-तफरी मच गई।
घटना की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस और आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर पहुंचीं और राहत-बचाव कार्य शुरू किया।
कैसे हुआ हादसा: रेलिंग टूटने से गिरी भीड़, फिर मची भगदड़
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शनिवार शाम को मंदिर में देवोत्थानी एकादशी के अवसर पर विशेष पूजा और दर्शन का आयोजन किया गया था।
सैकड़ों श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन के लिए पहुंचे थे।
लगभग रात 8 बजे के करीब मंदिर की पहली मंजिल पर दर्शन के लिए लंबी कतार लगी हुई थी।
इसी दौरान सीढ़ियों के पास की रेलिंग अचानक टूट गई, जिससे एक व्यक्ति नीचे गिर पड़ा।
यह देखकर आसपास मौजूद श्रद्धालुओं में अफरा-तफरी मच गई और लोग एक-दूसरे को धक्का देते हुए गिरने लगे।
देखते ही देखते स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई और भगदड़ में कई लोग दम घुटने से या गिरने से घायल हो गए।
एक स्थानीय श्रद्धालु ने बताया,
“मंदिर में बहुत भीड़ थी। जैसे ही रेलिंग टूटी, लोग चिल्लाने लगे। महिलाएं और बच्चे गिरने लगे, किसी को समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है।”
राहत और बचाव कार्य जारी, घायल अस्पतालों में भर्ती
घटना के तुरंत बाद पुलिस, दमकल और स्वास्थ्य विभाग की टीमों को मौके पर बुलाया गया।
स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को एम्बुलेंस द्वारा नजदीकी सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
श्रीकाकुलम जिला अस्पताल और विशाखापट्टनम मेडिकल कॉलेज में घायलों का इलाज चल रहा है।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, कई घायलों को गंभीर चोटें आई हैं, जिनमें सिर और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी चोटें शामिल हैं।
जिला कलेक्टर एम. जगनमोहन राव ने बताया,
“घटना की सूचना मिलते ही हमने एनडीआरएफ और फायर ब्रिगेड की टीमों को रवाना किया।
प्राथमिक जांच में पता चला है कि रेलिंग कमजोर थी और भीड़ नियंत्रण के पर्याप्त इंतज़ाम नहीं थे।”
मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू ने जताया शोक, मुआवज़े की घोषणा
हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री एन. चंद्राबाबू नायडू ने मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख का मुआवज़ा और गंभीर घायलों को ₹2 लाख की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा —
“वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना से व्यथित हूं। प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि घायलों को सर्वोत्तम इलाज उपलब्ध कराया जाए। इस हादसे के लिए जिम्मेदार लापरवाह लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।”
मंदिर प्रशासन पर सवाल, सुरक्षा व्यवस्था पर उठे गंभीर प्रश्न
मंदिर प्रशासन के खिलाफ स्थानीय लोगों में भारी नाराज़गी है।
श्रद्धालुओं का कहना है कि आयोजकों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए न तो पर्याप्त बैरिकेडिंग की थी और न ही आपात निकास मार्ग (Emergency Exit) उपलब्ध थे।
एक स्थानीय समाजसेवी ने कहा,
“यह मंदिर कुछ महीने पहले ही खोला गया था। भीड़ की संभावना जानते हुए भी सुरक्षा कर्मियों की संख्या बहुत कम थी। रेलिंग और सीढ़ियां भी कमजोर थीं।”
सूत्रों के मुताबिक, मंदिर को करीब चार वर्ष पहले एक भक्त मुकुंद पांडा ने बनवाना शुरू किया था और हाल ही में आम श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था।
यह दो मंजिला संरचना है, और भगदड़ पहली मंजिल के दर्शन क्षेत्र में हुई।
प्रत्यक्षदर्शियों की भयावह गवाही
घटना के प्रत्यक्षदर्शी श्रीनिवास राव, जो हादसे के समय मंदिर परिसर में मौजूद थे, ने कहा —
“मैंने देखा कि जैसे ही रेलिंग गिरी, 10–12 लोग नीचे फर्श पर गिर पड़े। बाकी लोग डरकर पीछे की ओर भागने लगे। इससे पीछे की ओर से भी भीड़ धक्का देने लगी और पूरा रास्ता ब्लॉक हो गया।”
एक अन्य महिला श्रद्धालु ने बताया,
“हम अपने बच्चों के साथ दर्शन के लिए आए थे। अचानक भीड़ बढ़ने लगी। बच्चों की चीखें सुनकर सब घबरा गए। मुझे लगा मैं भी गिर जाऊंगी।”
पुलिस की जांच जारी, फोरेंसिक टीम भी पहुंची
पुलिस अधीक्षक (एसपी) अमरेंद्र प्रसाद ने बताया कि घटना की जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है।
फोरेंसिक विशेषज्ञों को भी मौके पर बुलाया गया है ताकि रेलिंग टूटने के तकनीकी कारणों और मंदिर की संरचनात्मक मजबूती की जांच की जा सके।
एसपी ने कहा,
“प्रारंभिक जांच में लापरवाही के संकेत मिले हैं। हम यह भी देख रहे हैं कि क्या मंदिर ट्रस्ट ने पर्याप्त अनुमति और सुरक्षा प्रमाणपत्र प्राप्त किए थे या नहीं।”
देवोत्थानी एकादशी का अवसर बना त्रासदी का दिन
देवोत्थानी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार वह दिन है जब भगवान विष्णु चार महीने के योग निद्रा से जागते हैं।
इस अवसर पर दक्षिण भारत के कई मंदिरों में विशेष पूजा और रथ यात्राओं का आयोजन होता है।
काशीबुग्गा मंदिर में भी शुक्रवार रात से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी थी, जो शनिवार शाम तक कई हजार तक पहुंच गई।
स्थानीय प्रशासन ने अनुमान लगाया था कि लगभग 10,000 से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए आए थे, पर भीड़ नियंत्रण की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई थी।
विशेषज्ञों की राय: धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा मानक लागू करने की आवश्यकता
भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए सुरक्षा विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को सख्ती से लागू किया जाए।
नेशनल डिज़ास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) के पूर्व सलाहकार डॉ. के. रवि कुमार ने कहा,
“हर धार्मिक स्थल पर सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य होना चाहिए। रेलिंग, निकास द्वार, भीड़ नियंत्रण बैरिकेडिंग और मेडिकल रेस्पॉन्स यूनिट्स की व्यवस्था हर आयोजन से पहले जांची जानी चाहिए।”
श्रद्धा की जगह सतर्कता जरूरी
वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की यह दुर्घटना एक बार फिर यह याद दिलाती है कि श्रद्धा और आस्था के आयोजनों में भी सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। हर वर्ष देशभर में इसी तरह की भीड़भाड़ के दौरान दर्जनों लोग अपनी जान गंवाते हैं — और हर बार कारण एक ही होता है: लापरवाही और भीड़ नियंत्रण की कमी।
अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन और मंदिर प्रबंधन इस हादसे से क्या सबक लेते हैं — ताकि श्रद्धा का यह मार्ग फिर कभी त्रासदी का कारण न बने।



