
नई दिल्ली। भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या इन दिनों अपने तीन दिवसीय भारत दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नई दिल्ली में उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, नवाचार, क्षेत्रीय विकास, और भारतीय मछुआरों के कल्याण जैसे कई मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुलाकात को “भारत–श्रीलंका मित्रता के नए अध्याय की शुरुआत” करार देते हुए कहा कि दोनों देश साझा विरासत, लोकतांत्रिक मूल्यों और आपसी सहयोग की भावना से जुड़े हैं।
पीएम मोदी बोले—“दोनों देशों की समृद्धि के लिए हमारा सहयोग बेहद अहम”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स (पूर्व में ट्विटर)’ पर इस मुलाकात की जानकारी साझा करते हुए लिखा—
“श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। हमारी बैठक में शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, नवाचार, विकास से जुड़े विषयों और मछुआरों के कल्याण पर चर्चा हुई। करीबी पड़ोसी होने के नाते भारत और श्रीलंका का सहयोग हमारे दोनों देशों की जनता और पूरे क्षेत्र की समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत, श्रीलंका के विकास के लिए हर संभव सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने शिक्षा, डिजिटल प्रौद्योगिकी और सतत विकास के क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं और एक्सचेंज प्रोग्राम्स पर भी चर्चा की।
श्रीलंका की पीएम का तीन दिवसीय भारत दौरा — नई साझेदारियों की ओर संकेत
श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या गुरुवार से भारत के दौरे पर हैं। यह उनकी प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद पहली भारत यात्रा है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं।
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब श्रीलंका आर्थिक सुधारों और पुनर्निर्माण के चरण में है, और भारत उसके प्रमुख विकास सहयोगी के रूप में उभर कर सामने आया है।
गौरतलब है कि अमरसूर्या की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छह महीने पूर्व हुई श्रीलंका यात्रा के प्रत्युत्तर के रूप में देखी जा रही है, जिसने दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग को नई गति दी थी।
इस दौरे के दौरान अमरसूर्या ने शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली का भी दौरा किया। उन्होंने वहां छात्रों और प्रोफेसरों के साथ बातचीत की और भारत में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और अनुसंधान की प्रगति की सराहना की।
हिंदू कॉलेज में लौटकर छात्र जीवन की यादें ताजा कीं
भारत यात्रा का सबसे भावनात्मक पल तब आया जब श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या ने अपने पुराने संस्थान दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज का दौरा किया।
अमरसूर्या ने 1991 से 1994 तक हिंदू कॉलेज से समाजशास्त्र (Sociology) में स्नातक की पढ़ाई की थी। वह कॉलेज की प्रतिष्ठित पूर्व छात्राओं में गिनी जाती हैं।
कॉलेज पहुंचने पर उनका प्रधानाचार्य डॉ. अंजू श्रीवास्तव और संकाय सदस्यों ने भव्य स्वागत किया। परिसर में छात्रों में खासा उत्साह देखा गया — दीवारों और गलियारों में श्रीलंकाई प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए पोस्टर और बैनर लगाए गए थे।
प्रधानमंत्री अमरसूर्या ने भावुक होकर कहा—
“दिल्ली विश्वविद्यालय में बिताए तीन वर्ष मेरे जीवन के सबसे प्रेरणादायक वर्ष रहे। इसने मेरे विचारों को आकार दिया और मुझे सार्वजनिक जीवन की राह पर आगे बढ़ने का आत्मविश्वास दिया।”
उन्होंने कहा कि भारत के शैक्षणिक संस्थान न केवल ज्ञान के केंद्र हैं, बल्कि दक्षिण एशिया के लिए संस्कृति और विचारों के साझा मंच भी हैं। उन्होंने दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को और मजबूत करने की इच्छा जताई।
भारत–श्रीलंका संबंधों को नई दिशा देने की कवायद
भारत और श्रीलंका के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध दशकों पुराने हैं। प्रधानमंत्री अमरसूर्या की यह यात्रा इन संबंधों को नई रणनीतिक गहराई देने की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है।
दोनों नेताओं ने समुद्री सुरक्षा, व्यापार, ऊर्जा, शिक्षा और पर्यटन के क्षेत्रों में नए समझौतों और सहयोग योजनाओं पर चर्चा की।
बैठक में खास तौर पर भारतीय मछुआरों की सुरक्षा और कल्याण पर भी जोर दिया गया — यह एक ऐसा विषय है जो दोनों देशों के बीच संवेदनशील माना जाता है। पीएम मोदी ने श्रीलंका से आग्रह किया कि मछुआरों से जुड़े मामलों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए।
अमरसूर्या ने भी भारत के प्रति धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने हमेशा श्रीलंका के कठिन समय में सच्चे मित्र की भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका अपने पड़ोसी देश भारत के साथ सभी क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाना चाहता है।
शिक्षा और तकनीकी सहयोग पर नया अध्याय
श्रीलंका की प्रधानमंत्री ने अपने दौरे के दौरान भारत के ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ कार्यक्रमों की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि श्रीलंका इन मॉडलों से सीख लेकर अपने देश में डिजिटल परिवर्तन को गति देना चाहता है।
IIT दिल्ली में उन्होंने भारतीय छात्रों से संवाद करते हुए कहा—
“भारत की शिक्षा व्यवस्था और तकनीकी नवाचार दक्षिण एशिया के भविष्य का नेतृत्व कर रहे हैं। हमें मिलकर एक ऐसे क्षेत्र का निर्माण करना होगा जहाँ ज्ञान और नवाचार सीमाओं से परे साझा किए जाएँ।”
दोनों देशों ने युवा नेतृत्व, स्कॉलरशिप और एक्सचेंज प्रोग्राम्स को लेकर भी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।
कूटनीतिक दृष्टि से अहम यात्रा
विश्लेषकों के अनुसार, हरिनी अमरसूर्या का यह भारत दौरा केवल एक औपचारिक यात्रा नहीं बल्कि नई कूटनीतिक समझ का प्रतीक है।
भारत पहले ही श्रीलंका के आर्थिक पुनर्गठन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है — चाहे वह वित्तीय सहायता, ऊर्जा सहयोग, या अवसंरचना विकास की बात हो।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा भारत–श्रीलंका संबंधों को “नीति से साझेदारी” की ओर ले जाएगी।
महिला नेतृत्व से दक्षिण एशिया में नई उम्मीदें
यह यात्रा इसलिए भी विशेष मानी जा रही है क्योंकि हरिनी अमरसूर्या श्रीलंका की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं। उनके नेतृत्व में श्रीलंका सामाजिक समानता, शिक्षा और महिला सशक्तीकरण पर जोर दे रहा है। भारत और श्रीलंका के बीच इन विषयों पर सहयोग को लेकर कई नई पहल की संभावना जताई जा रही है।
हरिनी अमरसूर्या की भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मानवीय, शैक्षणिक और रणनीतिक दृष्टि से और अधिक मजबूत किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा से श्रीलंका की प्रधानमंत्री तक का उनका सफर, भारत और श्रीलंका के साझा इतिहास और भविष्य दोनों का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में —“भारत–श्रीलंका का सहयोग केवल दो देशों का नहीं, बल्कि दो सभ्यताओं का मिलन है, जो एक उज्जवल दक्षिण एशिया की दिशा तय करेगा।”