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कन्नूर सेंट्रल जेल से फरार हुआ सौम्या रेप-मर्डर केस का दोषी गोविंदाचामी, हाई अलर्ट पर पुलिस

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कन्नूर (केरल): केरल के बहुचर्चित सौम्या बलात्कार और हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा दोषी गोविंदाचामी शुक्रवार सुबह कन्नूर सेंट्रल जेल से फरार हो गया। इस सनसनीखेज फरारी ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पुलिस ने फरार कैदी की तलाश के लिए वांटेड पोस्टर जारी करते हुए आमजन से सतर्कता और सहयोग की अपील की है। गोविंदाचामी को अत्यधिक खतरनाक माना जा रहा है।


🔴 कैसे हुआ फरार?

पुलिस सूत्रों के अनुसार,

  • सुबह करीब 7:15 बजे जेल अधिकारियों को गोविंदाचामी अपनी कोठरी में मौजूद नहीं मिला।
  • शुरुआती जांच में सामने आया है कि उसने जेल की उच्च सुरक्षा कोठरी की लोहे की सलाखें काटकर फरारी को अंजाम दिया।
  • जेल परिसर में तत्काल सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है, जबकि आसपास के इलाकों में हाई अलर्ट जारी किया गया है।

🟥 कौन है गोविंदाचामी?

विवरण जानकारी
पूरा नाम गोविंदाचामी उर्फ चार्ली थॉमस
निवास स्थान विरुधाचलम, तमिलनाडु
पहचान एक हाथ नहीं है (दिव्यांग)
अपराध का रिकॉर्ड चोरी, लूट और हत्या के मामले
केस 2011 सौम्या रेप और मर्डर केस
सजा आजीवन कारावास

🧾 सौम्या केस: क्या था मामला?

  • 1 फरवरी, 2011 को 23 वर्षीय सौम्या पर एर्नाकुलम से शोरानूर जा रही पैसेंजर ट्रेन में यात्रा के दौरान हमला किया गया था।
  • गोविंदाचामी ने पहले युवती के साथ बलात्कार किया, फिर उसे चलती ट्रेन से फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।
  • अदालत ने अपराध को दुर्लभतम श्रेणी (rarest of rare) में मानते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

🚨 वांटेड पोस्टर जारी, पुलिस की अपील

कन्नूर पुलिस ने गोविंदाचामी की तस्वीर के साथ वांटेड पोस्टर जारी कर दिया है।

  • जनता से अपील की गई है कि यदि वह कहीं नजर आए तो तत्काल नजदीकी पुलिस स्टेशन को सूचित करें
  • पुलिस के अनुसार, उसका एक हाथ नहीं है, जिससे उसकी पहचान की जा सकती है।

📌 क्या है अगला कदम?

  • जेल विभाग और राज्य पुलिस ने संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया है।
  • सभी रेलवे स्टेशन, बस अड्डों, सीमावर्ती क्षेत्रों और होटल लॉजिंग पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
  • सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और अन्य कैदियों से भी पूछताछ की जा रही है।

यह घटना न केवल जेल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे एक दोष सिद्ध अपराधी वर्षों बाद भी समाज के लिए खतरा बना रह सकता है। राज्य सरकार और जेल प्रशासन पर अब कड़ी निगरानी और जवाबदेही तय करने का दबाव है।

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