देशफीचर्ड

डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर शशि थरूर का पलटवार — “भारत अपने फैसले खुद करेगा”

तिरुवनंतपुरम/नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है जिसमें ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने रूस से तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया है और जल्द पूरी तरह रोक देगा।

थरूर ने कहा कि भारत एक संप्रभु देश है और अपने फैसले खुद करता है, किसी विदेशी नेता के माध्यम से नहीं।

थरूर ने शुक्रवार को मीडिया से कहा —

“मुझे नहीं लगता कि मिस्टर ट्रंप का भारत के फैसलों के बारे में ऐलान करना उचित है। भारत अपने फैसले खुद करेगा और खुद ही दुनिया को बताएगा। हम दुनिया को नहीं बताते कि मिस्टर ट्रंप क्या करेंगे, इसलिए ट्रंप को भी नहीं बताना चाहिए कि भारत क्या करेगा।”

उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच मंगलवार को फोन पर बातचीत हुई थी, जिसमें व्यापार और ऊर्जा सहयोग समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी।


फोन कॉल के बाद ट्रंप का दावा

व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर “बहुत अच्छी चर्चा” की है।
ट्रंप ने दावा किया —

“मोदी और मैंने व्यापार पर बात की। हम कई चीजों पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन मुख्य रूप से व्यापार की दुनिया पर। वह इसमें बहुत दिलचस्पी ले रहे हैं। मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की — हमारे बीच बहुत अच्छे रिश्ते हैं और वह रूस से ज्यादा तेल नहीं खरीदेंगे। उन्होंने तेल खरीद बहुत कम कर दी है और इसे और कम करते जा रहे हैं।”

ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका दोनों चाहते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध जल्द खत्म हो। उन्होंने मोदी को “स्ट्रॉन्ग लीडर” बताते हुए कहा कि भारत की विदेश नीति “अमेरिका के साथ बेहद मजबूत दिशा” में आगे बढ़ रही है।


भारत की प्रतिक्रिया — विदेश नीति पर बाहरी बयान स्वीकार नहीं

ट्रंप के बयान पर भारत सरकार की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों और रणनीतिक हितों के आधार पर निर्णय लेता है।
भारत का रुख हमेशा यही रहा है कि

“ऊर्जा सुरक्षा राष्ट्रीय हित का प्रश्न है, और भारत किसी तीसरे देश के दबाव में नहीं आएगा।”

थरूर का बयान इसी नीति की पुनः पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि ट्रंप का बयान “अनुचित हस्तक्षेप” की तरह है, जो भारत की कूटनीतिक स्वायत्तता पर सवाल उठाता है।


पिछले हफ्ते भी ट्रंप ने किया था ऐसा दावा

यह पहली बार नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के तेल आयात को लेकर सार्वजनिक टिप्पणी की हो।
पिछले सप्ताह भी उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें बताया था कि भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर देगा, हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने उस समय स्पष्ट किया था कि “दोनों नेताओं के बीच ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई।” प्रधानमंत्री मोदी ने तब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर ट्रंप के फोन कॉल पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा था —

“राष्ट्रपति ट्रंप, आपके फोन कॉल और गर्मजोशी भरे दीवाली संदेश के लिए शुक्रिया। रोशनी का यह पर्व दोनों महान लोकतंत्रों को और करीब लाए। भारत और अमेरिका मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और वैश्विक स्थिरता के लिए काम करते रहेंगे।”

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में भी कहा गया था कि दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने तथा वैश्विक आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और व्यापारिक सहयोग जैसे मुद्दों पर समन्वय बढ़ाने पर चर्चा की।


ट्रंप के बयानों से कूटनीतिक हलकों में हलचल

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मानते हैं कि ट्रंप का यह बयान कूटनीतिक मर्यादा से परे है। पूर्व राजनयिक पिनाक रंजन चक्रवर्ती के अनुसार —

“जब तक कोई देश खुद अपनी विदेश नीति पर आधिकारिक बयान न दे, तब तक किसी तीसरे देश के नेता का दावा अनुचित माना जाता है। भारत और अमेरिका के रिश्ते इतने परिपक्व हैं कि इन्हें ऐसे गैर-आधिकारिक दावों से प्रभावित नहीं किया जा सकता।”

विशेषज्ञों का कहना है कि रूस से तेल खरीद पर भारत का रुख हमेशा व्यावहारिक रहा है। भारत अपने आर्थिक हितों और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रूस से कच्चे तेल का आयात करता है —और यह नीति अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भी जारी रही है।


भारत की ऊर्जा नीति: ‘भारत फर्स्ट’

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक ऊर्जा संकट के दौरान भारत ने सस्ते रूसी तेल का आयात बढ़ाया, जिससे देश को महंगाई नियंत्रण और ईंधन कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिली। सरकार ने कई बार दोहराया है कि

“भारत किसी राजनीतिक ब्लॉक का हिस्सा नहीं, बल्कि अपने आर्थिक हितों के अनुरूप निर्णय लेता है।”

इस संदर्भ में थरूर का बयान भारत की पारंपरिक स्वतंत्र विदेश नीति को दोहराने जैसा है, जहां नई दिल्ली पश्चिम और रूस दोनों के साथ संबंध संतुलित रखती है।


व्यापारिक तनाव भी चर्चा का केंद्र

ट्रंप और मोदी के बीच हुई फोन बातचीत में व्यापारिक रिश्ते भी मुख्य एजेंडे में थे। अमेरिका ने भारतीय सामानों पर औसतन 50% तक का टैरिफ लगा रखा है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक असंतुलन बना हुआ है। हालांकि भारत लगातार यह कहता आया है कि मुक्त और न्यायसंगत व्यापार ही दोनों अर्थव्यवस्थाओं के हित में है।

ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत को ‘जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेस (GSP)’ से बाहर कर दिया गया था,
जिससे भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हुआ था।
अब ट्रंप के बयान से यह अटकलें भी तेज हो गई हैं कि
अगर वह फिर से सत्ता में आते हैं तो भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों पर इसका क्या असर पड़ेगा।


विश्लेषण: बयानबाज़ी से रिश्तों में खटास की संभावना नहीं

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि शशि थरूर और डोनाल्ड ट्रंप के बीच यह शब्दयुद्ध दरअसल दोनों देशों के घरेलू राजनीतिक परिदृश्यों का हिस्सा है।
भारत में कांग्रेस सरकार के खिलाफ विपक्ष के स्वर में थरूर का बयान जहां “राष्ट्रीय आत्मनिर्णय” की नीति को मजबूत करता है, वहीं अमेरिका में ट्रंप की टिप्पणियां घरेलू चुनावी बयानबाज़ी के रूप में देखी जा रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ डॉ. नीरजा गोखले कहती हैं —

“ट्रंप अपने बयानों में अक्सर अतिशयोक्ति करते हैं।
भारत को इन टिप्पणियों को भावनात्मक रूप से नहीं, बल्कि कूटनीतिक संतुलन के साथ देखना चाहिए।
भारत और अमेरिका के रिश्ते अब व्यक्ति-केन्द्रित नहीं रहे,
बल्कि संस्थागत साझेदारी पर आधारित हैं।”

डोनाल्ड ट्रंप के दावे और शशि थरूर की तीखी प्रतिक्रिया के बीच एक बात साफ है —भारत की विदेश नीति किसी बाहरी घोषणा या दावे पर निर्भर नहीं करती। भारत अपने फैसले राष्ट्रीय हित, वैश्विक जिम्मेदारी और रणनीतिक स्वायत्तता के सिद्धांतों पर लेता है। थरूर के शब्दों में —“भारत अपनी बात खुद कहने में सक्षम है — और यही उसकी लोकतांत्रिक ताकत है।”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button