
देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC), जो राज्य में विभिन्न सरकारी विभागों की भर्तियों के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है, खुद असमंजस की स्थिति में है। कारण—आयोग के सचिव पद पर तैनात नई अधिकारी विप्रा त्रिवेदी ने कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद ही लंबी छुट्टी का आवेदन दे दिया है। इस स्थिति में यह बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आगामी महीनों में प्रस्तावित दर्जनों भर्ती परीक्षाएं आखिर कैसे और किसकी निगरानी में संपन्न होंगी?
परीक्षाएं सिर पर, जिम्मेदार अफसर नदारद
UKSSSC द्वारा जारी परीक्षा कार्यक्रम के अनुसार जून में टंकण और आशुलेखन परीक्षा, महीने के अंत में वन दरोगा की लिखित परीक्षा, और जुलाई में पुलिस विभाग की बड़ी परीक्षा होनी है। इसके अतिरिक्त पशुपालन, अन्य विभागों और स्नातक स्तर की परीक्षाएं भी नियत हैं। तीन महीनों के भीतर आयोग को सैकड़ों पदों के लिए चयन प्रक्रिया पूरी करनी है।
तबादले के बाद ज्वाइनिंग, फिर छुट्टी
गौरतलब है कि 10 मई को शासन द्वारा किए गए तबादलों में UKSSSC के तत्कालीन सचिव सुरेंद्र सिंह रावत को हटाकर विप्रा त्रिवेदी को सचिव बनाया गया था। त्रिवेदी इससे पूर्व गढ़वाल मंडल विकास निगम में महाप्रबंधक थीं। लेकिन उन्होंने आयोग में कार्यभार ग्रहण करते ही लंबी छुट्टी का आवेदन दे दिया, जिससे यह महत्वपूर्ण पद फिर खाली हो गया।
आयोग अध्यक्ष ने भी की पुष्टि
आयोग के अध्यक्ष द्वारा भी इस बात की पुष्टि की गई है कि सचिव छुट्टी पर हैं। ऐसे में आयोग की प्रशासनिक और तकनीकी तैयारियां प्रभावित हो सकती हैं, जिससे परीक्षाओं के पारदर्शी संचालन पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
नियुक्ति प्रक्रिया और तबादला नीति पर उठे सवाल
यह घटनाक्रम उन तबादला नीतियों और प्रशासनिक नियुक्तियों पर भी सवाल खड़ा करता है, जिनके तहत बिना पर्याप्त योजना के अधिकारियों को पदस्थ किया जा रहा है। सचिवालय सेवा संघ और पीसीएस संघ दोनों पहले ही इस बात पर असहमति जता चुके हैं कि चयन आयोग जैसे संस्थानों में तैनातियों को लेकर स्पष्ट नीति होनी चाहिए।